बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस सरकार में छात्र सलाहकार महफूज आलम के एक विवादास्पद बयान के बाद भारत और बांग्लादेश के बीच तनाव बढ़ गया। इसको लेकर भारत ने बांग्लादेशी नेता के विवादित बयान को लेकर कड़ी आपत्ति जताई है।
दरअसल, महफूज आलम ने भारत के कुछ हिस्सों को बांग्लादेश में मिलाने को लेकर भड़काऊ यूनुस सरकार को सुझाव दिया है। आलम ने ये बयान 16 दिसंबर (बांग्लादेश के विजय दिवस) दिया था।
बांग्लादेश को कड़ी फटकार
अब महफूज आलम की हटाई गई पोस्ट पर भारत के विदेश मंत्रालय ने बांग्लादेश को कड़ी फटकार लगाई है। इस मामले पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, 'हमने इस मुद्दे पर बांग्लादेश सरकार के साथ अपना कड़ा विरोध दर्ज कराया है। हम समझते हैं कि जिस पोस्ट का उल्लेख किया जा रहा है, उसे हटा दिया गया है। हम सभी संबंधित पक्षों को याद दिलाना चाहेंगे कि वे अपनी सार्वजनिक टिप्पणियों के प्रति सचेत रहें।'
भारत के बारे में बचकर बयान दें
जायसवाल ने सधे हुए शब्दों में बांग्लादेश को बता दिया है कि अगर बयान देना है तो भारत के बारे में बचकर बयान दें। इसके साथ ही रणधीर जायसवाल ने बांग्लादेश के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखने के लिए भारत की प्रतिबद्धता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, 'हालांकि भारत ने बार-बार बांग्लादेश के लोगों और वहां की अंतरिम सरकार के साथ संबंधों को बढ़ावा देने में रुचि दिखाई है लेकिन इस तरह की सार्वजनिक बयानों में जिम्मेदारी की जरूरत होती है।'
शेख हसीना के बाद बदले हालात
बता दें कि बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के 2009 में सत्ता में आने के बाद से ही बांग्लादेश भारत का एक अहम सहयोगी रहा है। हसीना के कार्यकाल में नई दिल्ली और ढाका के बीच अच्छे संबंध देखने को मिले थे। हालांकि बांग्लादेश में हालिया विद्रोह के बाद शेख हसीना के देश छोड़कर जाने और भारत में शरण लेने के बाद दोनों देशों के बीच संबंध खराब हो गए हैं।