भारत का पहला वर्टिकल लिफ्ट रेल ब्रिज न्यू पम्बन पुल जल्द ही यात्रियों के लिए खुलने वाला है। साल 1914 में बने पुराने पुल पर 2022 में आवागमन रोक दिया गया था। 2.05 किलोमीटर लंबा यह पुल पुराने पम्बन ब्रिज की जगह लेगा। पुराने रेल पम्बन पुल को जंग लगने की आशंका से बंद कर दिया गया था। नया पुल तमिलनाडु के रामेश्वरम द्वीप को मुख्य भूमि से जोड़ता है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 6 अप्रैल 2025 को रामनवमी के अवसर पर तमिलनाडु के रामेश्वरम में बने न्यू पम्बन ब्रिज का उद्धाटन करेंगे।
न्यू पम्बन पुल एशिया का पहला वर्टिकल लिफ्ट सी ब्रिज है। यह ब्रिज 535 करोड़ की लागत से बनाया गया है। इस ऐतिहासिक पुल के पुनर्निर्माण की मंजूरी 20 फरवरी 2019 को दी गई थी। इसे 2018-19 के अनुपूरक अनुदान मांगों (Supplementary Demands for Grants) के तहत मंजूरी दी गई थी। यह पुल दक्षिण रेलवे (SR) ज़ोन के प्रशासनिक नियंत्रण में आता है। अब सवाल यह उठता है कि पुराने पुल की अपेक्षा यह पुल कितना अलग है, इसकी लंबाई पुराने पुल से कितनी ज्यादा है?
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पम्बन ब्रिज के निर्माण का इतिहास
रिपोर्ट्स के मुताबिक, रेलवे का पम्बन पुल पहले रामेश्वरम और धनुषकोडी जाने का एकमात्र रास्ता था। यह पुल 1914 में बना था। बाद में साल 1988 में इसके बगल में एक सड़क पुल बना और लोगों को दूसरा रास्ता मिला। 1988 तक मंडपम और रामेश्वरम द्वीप के बीच ट्रेन ही एकमात्र यातायात का साधन था। साल 2022 में जंग लगने की आशंका से इसे बंद कर दिया गया था। नया पुल, पुल पम्बन रेलवे पुल की जगह लेगा जो 104 साल पुराना है।
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क्या है नए पुल की विशेषताएं
- न्यू पम्बन ब्रिज रामेश्वरम द्वीप को तमिलनाडु के मंडपम से जोड़ता है।
- पम्बन ब्रिज पुराने पुल से 3 मीटर ऊंचा बनाया गया है, जिससे छोटे जहाज आराम से इसके नीचे से गुजर सकें।
- इस पुल को भविष्य में दोहरी रेल लाइन के लिए तैयार किया गया है। फिलहाल, यह सिंगल रेलवे लाइन के लिए उपलब्ध होगा।
- इस पुल पर ट्रेन 80 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकती है। जबकि पुराने पुल पर ट्रेन की गति केवल 10 किलोमीटर प्रति घंटा थी। हालांकि, शुरुआत में स्पीड कम रखी जाएगी।
- इसमें 72.5 मीटर का वर्टिकल लिफ्ट स्पैन है, जिसे 17 मीटर तक ऊपर उठाया जा सकता है, जिससे बड़े जहाज आसानी से गुजर सकें।
कैसी है इस पुल की मजबूती?
- यह 2.08 किमी लंबा पुल 99 स्पैन (18.3 मीटर) से बना है और इसका बीच का हिस्सा (72.5 मीटर) ऊपर उठने वाला है।
- इस पुल के निर्माण में 333 पाइल्स और 101 पाइल कैप्स का उपयोग किया गया है, जिससे यह भारी मालगाड़ियों और वंदे भारत जैसे हाई-स्पीड ट्रेनों को भी आसानी से झेल सकेगा।
- इसे 58 साल तक सुरक्षित बनाए रखने के लिए उन्नत सुरक्षा प्रणाली(एडवांस सिक्योरिटी सिस्टम) की मदद से बनाया गया है।
- समुद्री तूफानों, तेज़ हवाओं और ज्वार-भाटे जैसी स्थितियों से बचाने के लिए इस पुल में पॉलीसिलोक्सेन पेंट, स्टेनलेस स्टील और फाइबर रिइन्फोर्स्ड प्लास्टिक (FRP) का यूज किया गया है।