हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने चंडीगढ़ में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आगामी अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव की जानकारी दी। बता दें कि गीता जयंती महोत्सव 28 नवंबर से 15 दिसंबर तक हरियाणा के कुरुक्षेत्र में आयोजित किया जाएगा। इस वर्ष महोत्सव के पार्टनर राज्य उड़ीसा और देश तंजानिया हैं। मुख्यमंत्री ने इसे वैश्विक स्तर पर गीता के महत्व को बढ़ाने वाला कदम बताया।
गीता के 5162 वर्ष पूरा होने का उत्सव
प्रेस कॉन्फ्रेंस में गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद भी उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि इस वर्ष गीता के 5162 साल पूरे हो रहे हैं। महाभारत युद्ध में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जो गीता का उपदेश दिया, वह आज भी दुनिया के लिए समाधान का मार्ग प्रशस्त करता है। उन्होंने कहा कि मौजूदा वैश्विक समस्याओं और युद्ध जैसे माहौल में गीता का संदेश अत्यंत प्रासंगिक है।
महोत्सव की मुख्य कार्यक्रम
मुख्यमंत्री नायब सैनी ने बताया कि इस महोत्सव में सांस्कृतिक कार्यक्रम, सरस मेला, और अन्य विशेष आयोजन होंगे। इसमें सरस मेला 28 नवंबर से शुरू होगा। इसके साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम 5 दिसंबर से आरंभ होकर 15 दिसंबर तक चलेंगे और महोत्सव का समापन 15 दिसंबर को होगा। मुख्यमंत्री ने आगे बताया कि पिछले वर्ष इस महोत्सव में 45-50 लाख लोगों ने हिस्सा लिया था और इस बार इससे भी अधिक संख्या की उम्मीद है।
तंजानिया की हाई कमिश्नर अनीशा ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस में भाग लिया। मुख्यमंत्री ने बताया कि हरियाणा का प्रतिनिधिमंडल तंजानिया के दौरे पर गया था, जहां हिंदू मंदिर और भारतीय संस्कृति का सम्मान देखकर यह साझेदारी तय की गई। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जिक्र करते हुए कहा कि जी20 सम्मेलन में अफ्रीकी देशों को महत्व दिया गया, और तंजानिया के इस महोत्सव में शामिल होने से भारत-तंजानिया के सांस्कृतिक रिश्ते और मजबूत होंगे।
वैश्विक मंच पर गीता का प्रभाव
गीता जयंती महोत्सव पहले मॉरिशस, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और श्रीलंका जैसे देशों में भी आयोजित किया जा चुका है। मुख्यमंत्री सैनी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की इच्छा है कि गीता का संदेश पूरी दुनिया तक पहुंचे। गीता महोत्सव के दौरान कुरुक्षेत्र की 48 कोस की परिधि में कई सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। यह आयोजन हरियाणा की संस्कृति और इतिहास को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। गीता महोत्सव न केवल धार्मिक आस्था को बढ़ावा देगा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों को भी सुदृढ़ करेगा।