दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया में पढ़ना कई छात्रों का सपना होता है लेकिन यूनिवर्सिटी ने अपने छात्रों को बड़ा झटका दिया है। जेएमआई (जामिया मिल्लिया इस्लामिया) ने शैक्षणिक वर्ष 2025-26 के लिए सभी पाठ्यक्रमों की फीस में भारी बढ़ोतरी की घोषणा की है। इससे छात्रों के लिए आर्थिक दबाव बढ़ सकता है। मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, यूनिवर्सिटी ने विभिन्न पाठ्यक्रमों की फीस में 19 से 41 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी की घोषणा की है। पिछले वर्ष के साथ इस वर्ष 2025-26 के प्रॉस्पेक्टस से तुलना करने पर ट्यूशन फीस में भारी बढ़ोतरी का पता चलता है।
पिछले साल और इस साल के प्रॉस्पेक्टस से तुलना करने के बाद फीस वृद्धि का आंकड़ा साफ पता चल रहा है। फीस वृद्धि का आंकड़ा ऐसे समझिए कि फारसी विभाग में फीस में 41.41 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, जिससे सालाना फीस 6,700 रुपये से बढ़कर 9,475 रुपये हो गई है। इसके अलावा, अरबी विभाग में भी 37.15 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है, जिससे फीस 7,200 रुपये से बढ़कर 9,875 रुपये हो गई है। इसी तरह तुर्की, फेंच और स्पेनिश में बी.ए जैसे विदेशी भाषा कार्यक्रमों की फीस में भी 37.15 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो अब 9,875 रुपये प्रति वर्ष होगी।
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समाजशास्त्र और विज्ञान के पाठ्यक्रमों पर असर
सामाजिक विज्ञान पाठ्यक्रम, राजनीति विज्ञान, इतिहास और समाजशास्त्र में एमए और बीए, बी कॉम (ऑनर्स) की फीस में 32.99 प्रतिशत की वृद्धि की है, जो 7,425 रुपये से बढ़कर अब 9,875 रुपये हो गई है।
तकनीकी और व्यावसायिक पाठ्यक्रमों पर असर
जेएमआई ने बीटेक पाठ्यक्रम की फीस में 19.04 प्रतिशत की वृद्धि की है, जो कि 16,150 रुपये से बढ़कर अब 19,225 रुपये प्रति वर्ष हो गई है। वहीं, एमटेक पाठ्यक्रम की फीस अब 21,375 रुपये प्रति वर्ष हो गई है। इसके अलावा कानूनी पाठ्यक्रम की बात करें तो एलएलएम (नियमित) और बीए एलएलबी (ऑनर्स) सहित विधि कार्यक्रमों में 19 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जिससे फीस 15,000 रुपये से बढ़कर 17,850 रुपये प्रति वर्ष हो गई है।
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फीस वृद्धि के साथ नए पाठ्यक्रम की भी घोषणा
जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने फीस बढ़ोत्तरी के साथ-साथ नए पाठ्यक्रमों की भी घोषणा की है। नए शैक्षणिक वर्ष 2025-26 के लिए जेएमआई ने कई नए पाठ्यक्रम भी शुरू किए हैं। इस वर्ष 25 कार्यक्रम- जिनमें नौ स्नातक, पांच स्नातकोत्तर, आठ डिप्लोमा और तीन उन्नत डिप्लोमा पाठ्यक्रम शामिल हैं।
सभी पाठ्यक्रमों में फीस की वृद्धि के कारण छात्रों को इस साल अपनी शिक्षा के लिए ज्यादा पैसे खर्च करने होंगे, जिसकी वजह से छात्रों को अतिरिक्त वित्तीय तनाव का सामना करना पड़ सकता है।