केरल में जंगली जानवरों की जान लेने का हक क्यों मांग रहे हैं लोग? समझिए
केरल की सरकार अब जंगली जानवरों को मारने की कानूनी हक मांग रही है। ऐसे में केरल सरकार जंगली जानवरों को मारना क्यों चाहती है? पढ़ें, यह रिपोर्ट

सांकेतिक तस्वीर, Photo Credit: freepik
केरल के किसान इन दिनों मौसम या बाजार की मार नहीं झेल रहे, बल्कि जंगली जानवरों से परेशान हैं। खेतों में मेहनत करके जो फसल उगाते हैं, वो जंगली सूअर , हाथी, बंदर जैसे जानवर आकर बर्बाद कर देते हैं। इस वजह से किसानों को बहुत बड़ा नुकसान हो रहा है। ना सिर्फ फसलें बर्बाद हो रही हैं, बल्कि कभी-कभी लोगों की जान भी चली जाती है। दरअसल, केरल के कई इलाकों में जंगलों के पास खेत हैं। जैसे ही फसलें पकती हैं, जंगली जानवर जंगल से बाहर आकर फसलें खा जाते हैं या रौंद देते हैं। कई बार ये जानवर गांवों में भी घुस आते हैं और इंसानों पर हमला कर देते हैं।
राज्य सरकार क्या कर रही है?
केरल सरकार ने केंद्र सरकार से मांग की है कि कुछ खास जंगली जानवरों (जैसे जंगली सुअर) को 'हानिकारक जानवर' (vermin) घोषित किया जाए। इसका मतलब ये होता है कि इन जानवरों को कानूनी रूप से मारा जा सकता है, ताकि किसानों और आम लोगों की सुरक्षा हो सके।
यह भी पढ़ें: दिल्ली: 7वें फ्लोर पर लगी आग, जान बचाने के लिए कूदे 3 लोगों की मौत
अब तक क्या होता आ रहा?
भारत में वन्यजीव संरक्षण कानून (Wildlife Protection Act) के तहत जंगली जानवरों को मारना गैरकानूनी है लेकिन इस कानून में एक नियम है कि अगर कोई जानवर बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचा रहा है, तो राज्य सरकार केंद्र से अनुमति लेकर उसे मारने की इजाजत दे सकती है। वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 भारत में जानवरों की रक्षा के लिए बना एक सख्त कानून है। यह शिकार पर रोक लगाता है और वन्यजीवों और उनके घर यानी आवास को बचाने की कोशिश करता है लेकिन अगर कोई जानवर इंसानों के लिए खतरा बन जाए, तो उसे मारने की इजाजत देना एक लंबी और पेचीदा सरकारी प्रक्रिया होती है। केवल राज्य का एक सीनियर अधिकारी (CWLW) ही इसकी मंजूरी दे सकता है।
हालांकि पहले पकड़ने, शांत करने या दूसरी जगह ले जाने जैसे तरीके आजमाए जाते हैं लेकिन यह हमेशा मुमकिन नहीं होते क्योंकि संसाधन और सुविधाएं कम हैं। ऊपर से कोर्ट और कुछ सरकारी संस्थाएं (जैसे प्रोजेक्ट एलीफेंट, NTCA) जानवर को मारने के फैसले को और सख्त बना देती हैं। इसलिए जब कोई जंगली जानवर तुरंत खतरा बनता है, तब भी किसान कुछ नहीं कर पाते।
किसानों की हालत कैसी है?
कई किसान तो खेती छोड़ने की सोच रहे हैं, क्योंकि साल-दर-साल फसलें बर्बाद हो रही हैं। कुछ किसान खुद ही जानवरों को मारने की कोशिश करते हैं, जिससे उन्हें कानूनी मुसीबत भी हो सकती है। ऐसे में अगर केंद्र सरकार अनुमति दे देती है, तो केरल में कुछ जंगली जानवरों को मारा जा सकेगा वह भी सरकारी निगरानी में, ताकि बेकसूर जानवरों को नुकसान ना पहुंचे और पर्यावरण संतुलन भी बना रहे।
यह भी पढ़ें: झुग्गियों पर AAP-BJP में तकरार, AK बोले, '3 महीने में बर्बाद कर दिया'
जंगली जानवरों से कितने किसानों की जा रही जान?
लोकसभा में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के सांसद ई टी मोहम्मद बशीर ने केंद्रीय पर्यावरण राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह तीन सवाल किए थे, जिसमें से एक था कि क्या सरकार ने ह्यूमन एनिमल अटैक में हो रही वृद्धि के कारणों पर कोई उपाय किया है? इसके जवाब में उन्होंने बताया कि देश के अलग-अलग हिस्सों से अक्सर इंसानों और जंगली जानवरों के बीच टकराव की घटनाएं सामने आती रहती हैं। सरकार के पास जो जानकारी है, वो दिखाती है कि ये घटनाएं हर राज्य में अलग-अलग तरह से घटती-बढ़ती रहती हैं।
पिछले 5 सालों में किन राज्यों में कितने लोगों की हुई मौत
पिछले पांच सालों में अलग-अलग राज्यों में बाघों और हाथियों के हमलों से हुई कई किसानों की मौत हुई है। महाराष्ट्र में 2024 में बाघों से लगभग 42 लोगों की मौत हुई। वहीं उत्तर प्रदेश में 10 लोगों ने बाघ के हमले में जान गंवा दी। वहीं, 2016-17 से जनवरी 2025 के बीच, केवल केरल राज्य में वन्यजीवों के हमलों में 919 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 8,967 लोग घायल हुए हैं। यहां देखें अन्य राज्यों का हाल:
बाघों से हुई किसानों की मौत:
हाथियों के हमले में कितनी गई जान?
सरकार क्या कर रही?
सरकार 'वन्यजीव आवास विकास' और 'प्रोजेक्ट टाइगर व एलीफेंट' जैसी योजनाओं के तहत राज्यों को आर्थिक मदद देती है। इन योजनाओं में जानवरों को खेतों में आने से रोकने के लिए सौर फेंसिंग, जैव-बाड़, दीवारें आदि बनाई जाती हैं। फरवरी 2021 और जून 2022 में मंत्रालय ने मानव-वन्यजीव संघर्ष से निपटने के लिए गाइडलाइंस जारी किए। मार्च 2023 में कुछ खास जानवरों के लिए अलग से दिशा-निर्देश दिए गए।
वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत राष्ट्रीय उद्यान, अभयारण्य आदि बनाए गए हैं ताकि जानवरों और उनके आवासों की सुरक्षा हो सके। दिसंबर 2023 में सरकार ने जंगली जानवरों के हमलों से मौत या गंभीर चोट पर राहत राशि 5 लाख से बढ़ाकर 10 लाख कर दी। संरक्षित क्षेत्रों के बेहतर प्रबंधन के लिए मंत्रालय ने योजना बनाने के दिशानिर्देश भी जारी किए हैं।
और पढ़ें
Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies
CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap