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कहां और किसलिए खर्च हो रहा है देश का CSR फंड, आंकड़ों से समझिए

देश की प्राइवेट और सरकारी कंपनियों को अपने मुनाफे में से कुछ हिस्सा सामाजिक क्षेत्र में खर्च करना होता है। इसी के तहत हजारों करोड़ रुपये हर साल खर्च होते हैं।

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प्रतीकात्मक तस्वीर, Image Source: Freepik

हर साल देश की सैकड़ों कंपनियां CSR के तहत हजारों करोड़ रुपये खर्च करती हैं। यह काम सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के साथ-साथ प्राइवेट कंपनियों को भी करना होता है। आंकड़ों के मुताबिक, हर साल लगभग 26 हजार करोड़ रुपये CSR गतिविधियों पर खर्च किए जा रहे हैं। इसमें सबसे ज्यादा पैसा शिक्षा, स्वास्थ्य और पर्यावरण संबंधी कार्यक्रमों पर खर्च होता है। राज्यों के हिसाब से देखें तो पिछले तीन सालों में महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा CSR फंड खर्च किया गया है।

 

हाल ही में सांसद वाई एस अविनाश रेड्डी ने कॉरपोरेट अफेयर्स मंत्रालय से CSR फंड के बारे में जानकारी मांगी थी। इसी के जवाब में मंत्रालय ने आंकड़े जारी किए हैं। इन आंकड़ों के मुताबिक, हर साल कम से कम 26 हजार करोड़ रुपये CSR फंड में खर्च किए जा रहे हैं। पिछले तीन साल से सबसे ज्यादा पैसे शिक्षा पर खर्च हो रहे हैं। यह रोचक है क्योंकि शिक्ष समवर्ती सूची का विषय है और इसके लिए राज्य सरकारों के साथ-साथ केंद्र सरकार भी पैसे खर्च करती है।

किस क्षेत्र में खर्च हो रहे हैं पैसे?

 

सेक्टर के हिसाब से आंकड़े समझें तो साल 2022-23 में शिक्षा क्षेत्र में 10,085 करोड़ रुपये खर्च किए गए। इसी साल हेल्थकेयर पर 6830 करोड़ रुपये, पर्यावरण पर 1960 करोड़ रुपये और ग्रामीण विकास से जुड़े कामों पर 2005 करोड़ रुपये खर्च किए गए। खेल को बढ़ावा देने के लिए इसी साल 526 करोड़ रुपये खर्च किए गए जो पिछले दो सालों की तुलना में काफी ज्यादा थे।

 

2022-23 में ही साफ-सफाई पर 429 करोड़ रुपये, स्वच्छ पेयजल के लिए 246 करोड़ रुपये, लैंगिक समानता के लिए 119 करोड़ रुपये और झुग्गी-बस्तियों के विकास के लिए 93.84 करोड़ रुपये खर्च किए गए।

राज्यों का क्या है गणित?

 

राज्यों के हिसाब से देखें तो CSR फंड खर्च करने के मामले में सबसे आगे महाराष्ट्र है। महाराष्ट्र में साल 2021-22 में 5380 करोड़ रुपये और 2022-23 में 5497 करोड़ रुपये खर्च किए गए। दूसरे नंबर पर गुजरात, तीसरे नबर पर कर्नाटक और चौथे नंबर पर तमिलनाडु है। CSR खर्च के मामले में पूर्वोत्तर के राज्य बेहद पीछे हैं और इन राज्यों में 50 करोड़ से भी कम रुपये खर्च किए गए हैं। बिहार में साल 2022-23 में 234 करोड़ रुपये, गोवा में 58 करोड़ रुपये और पंजाब में 247 करोड़ रुपये ही CSR फंड से खर्च किए गए हैं।

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क्या है CSR?

 

कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी फंड एक ऐसी धनराशि है जो हर कंपनी को अपनी कमाई में से देनी होती है। इसके तहत कंपनियां सामाजिक कार्यों, पर्यावरणीय विकास और आर्थिक कार्यों के लिए अपनी कमाई का कुछ हिस्सा दान करती हैं। कंपनी ऐक्ट, 2013 के तहत यह अनिवार्य है कि कंपनियां CSR फंड में दान दें। कंपनी रूल्स, 2014 के मुताबिक, उस फंड को CSR फंड में नहीं गिना जाता है जो कंपनियां अपने कर्मचारियों पर खर्च करती हैं। हर कंपनी को एक CSR कंपनी बनानी होती है जिसमें तीन या उससे ज्यादा डायरेक्टर शामिल हो सकते हैं।

 

कंपनी ऐक्ट, 2013 के मुताबिक, कंपनियों को अपने मुनाफे का कम से कम 2 पर्सेंट हिस्सा CSR गतिविधियों के लिए देना होता है। मुनाफे के हिसाब से इन कंपनियों को तीन कैटगरी में बांटा जाता है। पहली- 5 करोड़ या उससे ज्यादा मुनाफा कमाने वाली कंपनी, दूसरी- 400 करोड़ या उससे ज्यादा मुनाफा कमाने वाली कंपनी, तीसरी- 1000 करोड़ या उससे ज्यादा मुनाफा कमाने वाली कंपनी। CSR से जुड़े नियमों का उल्लंघन करने पर कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई भी की जा सकती है।


CSR गतिविधियों के तहत कई कंपनियां तरह-तरह के अभियान चलाती हैं। उदाहरण के लिए- टाटा स्टील का प्रोग्राम मैटरनल न्यूबॉर्न सर्वाइवल इनिशिएटिव (MANSI)। इसके अलावा, देश की बड़ी कंपनियां जैसे कि इन्फोसिस, महिंद्रा और रिलायंस भी अलग-अलग तरह के कार्यक्रम चलाकर सामाजिक क्षेत्र में अपना योगदान देते रहते हैं।

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