उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ मेला शुरू होने के पहले योगी आदित्यनाथ की सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए मेला क्षेत्र को जिला बनाने की घोषणा की है। इस नए जिले का नाम महाकुंभ मेला होगा।
क्यों किया गया ऐसा
इसे फैसले के पीछे की वजह बताई जा रही है कि इससे मैनेजमेंट और प्रशासन में आसानी होगी। इस तरह के फैसले के संकेत प्रधानमंत्री मोदी और योगी आदित्यनाथ द्वारा 2024 के माघ मेला के दौरान ही दे दिया गया था. प्रधानमंत्री मोदी 13 दिसंबर को महाकुंभ 2025 की तैयारियों की समीक्षा करने और जो भी विकास कार्य किए गए हैं उन्हें देखने के लिए उत्तर प्रदेश का दौरा करेंगे।
कौन होगा जिलाधिकारी
जिलाधिकारी प्रयागराज द्वारा जारी आदेश के मुताबिक मेला अधिकारी को ही एक्जीक्युटिव मजिस्ट्रेट, जिलाधिकारी और अतिरिक्त जिलाधिकारी की शक्तियां प्राप्त होंगी.
चार महीने के लिए होगा जिला
महाकुंभ मेला एक अस्थायी जिला होगा जो कि सिर्फ चार महीने के लिए बनाया गया है। यानी कि महाकुंभ की शुरुआत से लेकर इसके खत्म होने तक ही इस जिले का अस्तित्व रहेगा। इस जिले के निर्माण के लिए प्रयागराज के डीएम रविंद्र कुमार मांदड़ ने अधिसूचना जारी की।
कौन-कौन से गांव होंगे शामिल
महाकुंभ एरिया में चारों तहसीलों के 67 गांवों को जोड़कर बनाया गया है। इनमें से 25 गांव प्रयागराज सदर तहसील के होंगे। इन गांवों में कुछ खास गांव कुरैशीपुर उपरहार, कुरैशीपुर कछार, कीटगंज उपरहार, कीटगंज कछार, बराही पट्टी कछार, बह्मन पट्टी कछार, मुस्तफाबाद मुनकस्मा कछार, मुस्तफाबाद मुनकस्मा उपरहार, अली पट्टी, बस्की उपरहार, बस्की कछार, अल्लापुर बस्की कछार, बघाड़ा जहूरुद्दीन इत्यादि गांव हैं।
अस्थायी जिला बनाने के क्या हैं नियम
अस्थायी जिले को बनाने के नियम स्थायी जिले को बनाने के नियम से अलग है। स्थायी जिला बनाने का अधिकार राज्य सरकार के पास होता है। इसे राज्य सरकार अधिसूचना जारी करके बना सकती है. इसके लिए मुख्यमंत्री की तरफ से कार्यकारी आदेश जारी करके भी किया जा सकता है। हालांकि, अस्थायी जिला बनाने के लिए डीएम द्वारा अधिसूचना जारी करके हो जाता है।
12 सालों में होता है महाकुंभ
महाकुंभ हर 12 साल में आता है। इस बार कुंभ 13 जनवरी से 26 फरवरी तक चलेगा। महाकुंभ मेला जिले के लिए अलग से जिलाधिकारी को नियुक्त नहीं किया जाएगा।