भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का गुरुवार को निधन हो गया। उनकी उम्र 92 साल थी। शनिवार को पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। इसका एक प्रोटोकॉल है और उसी के हिसाब से प्रक्रिया को अंजाम दिया जाता है। तो खबरगांव आपको बता रहा है कि वह प्रोटोकॉल क्या है?
भारत के किसी भी पूर्व प्रधानमंत्री का निधन होने पर उनका अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाता है। इस मौके पर देश के सभी राज्यों में उनके सम्मान में शोक सभाएं आयोजित की जाती हैं। उनके सम्मान में दो मिनट का मौन रखा जाता है और उनकी याद में स्मृति दिवस मनाया जाता है।
ध्वज को आधा झुकाया जाता है
भारत के किसी भी पूर्व प्रधानमंत्री के निधन पर आमतौर पर 7 दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया जाता है। इसमें राष्ट्रीय ध्वज झुका रहता है। कोई भी सरकारी समारोह या उत्सव आयोजित नहीं किए जाते। पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के निधन पर भी 7 दिनों का राष्ट्रीय शोक सरकार द्वारा घोषित किया गया है।
शोक कितने दिनों का रखा जाएगा इसका फैसला भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार होता है। सेना के जवानों द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाता है और 21 तोपों की सलामी दी जाती है। पूर्व प्रधानमंत्री के राजकीय सम्मान के साथ दिए जाने वाले अंतिम संस्कार में देश के सभी उच्च पदाधिकारी और राजनेता उपस्थित रहते हैं।
ध्वज में लपेटा जाता है पार्थिव शरीर?
पूर्व प्रधानमंत्री के निधन पर उनके पार्थिव शरीर को राष्ट्रीय ध्वज में लपेटा जाता है और उनके सम्मान में देश के वरिष्ठ पदाधिकारी और राजनेता श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। पूर्व प्रधानमंत्री की याद में स्मृति स्थल का निर्माण किया जाता है, जहां उनकी समाधि बनाई जाती है और उनके जीवन और कार्यों को प्रदर्शित किया जाता है।
क्या है पूरा प्रोटोकॉल?
- प्रधानमंत्री के निधन पर राष्ट्रीय शोक की घोषणा की जाती है, इस दौरान राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुकाया जाता है।
-अंतिम संस्कार के वक्त सेना के जवानों द्वारा ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ दिया जाता है और 21 तोपों की सलामी दी जाती है।
- अंतिम संस्कार के दौरान देश के सभी उच्च पदाधिकारी और राजनेता उपस्थित रहते हैं।
- पूर्व प्रधानमंत्री की याद में स्मृति स्थल का निर्माण किया जाता है, जहां उनकी समाधि बनाई जाती है और उनके जीवन और कार्यों को प्रदर्शित किया जाता है।
- शोक सभा आयोजित की जाती है, जिसमें देश के सभी उच्च पदाधिकारी और राजनेता उपस्थित रहते हैं।
- स्मृति संग्रहालय का निर्माण किया जाता है, जहां उनके जीवन और कार्यों को प्रदर्शित किया जाता है।