logo

ट्रेंडिंग:

मणिपुर से उड़कर 9 हजार किलोमीटर दूर पहुंच गई चिड़िया, वजह क्या थी?

अमूर फाल्कन अपने भारत प्रवास के दौरान लगभग 45 दिनों तक नागालैंड, मणिपुर और पूर्वोत्तर के दूसरे राज्यों में आराम करते हैं और यहीं खाना खाते हैं। अमूर फाल्कन को धीरज रखने वाला पक्षी माना जाता है।

Amur Falcons

Photo Credit- Social Media

वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (WII) भारत में विलुप्त हो रही चिड़ियों को लेकर रिसर्च और उनके संरक्षण के लिए काम करता रहता है। भारत में अमूर फाल्कन नाम का पक्षी काफी दुर्लभ है, इसके संरक्षण के लिए काम हो रहे हैं। WII साल 2024 से ही लापता हो रहे अमूर फाल्कन संरक्षण प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है। 

 

इसी कड़ी में फाल्कन की हरकतों को जानने के लिए WII के शोधकर्ताओं ने मणिपुर में एक अमूर फाल्कन की गर्दन पर रेडियो-टैग बांध दिया था। इस रेडियो-टैग की मदद से शोधकर्ताओं ने पाया कि फाल्कन, दक्षिणी अफ्रीका में 114 दिन बिताने के बाद साइबेरिया की लंबी यात्रा पर निकल पड़ा है। अपनी यात्रा करके फाल्कन भारत लौटेगा।

 

फाल्कन को मिला वैज्ञानिक नाम

 

वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने नवंबर 2024 में मणिपुर के तामेंगलोंग जिले में 'चिउलुआन 2' नाम के फाल्कन को एक दूसरे फाल्कन 'गुआंगराम' के साथ रेडियो टैग बांधा था। दोनों फाल्कन को यह नाम इस क्षेत्र के दो बसेरा गांवों के नाम पर मिला है।

 

यह भी पढ़ें: विदेश जाना कम कर रहे भारतीय स्टूडेंट; अमेरिका, यूके, कनाडा टॉप पर

 

संरक्षण प्रोजेक्ट के तहत अमूर फाल्कन के प्रवास की निगरानी कर रहे सीनियर वैज्ञानिक डॉ. सुरेश कुमार ने कहा, 'चिउलुआन-2 ने 8 अप्रैल को अफ्रीकी देश बोत्सवाना से उत्तर की ओर अपनी यात्रा शुरू की। तब से फाल्कन जिम्बाब्वे और तंजानिया को पार करते हुए वर्तमान में केन्या-सोमालिया सीमा के पास उड़ रहा है।'

 

फाल्कन ने बोत्सवाना में 46 दिन बिताए

 

सुरेश कुमार ने बताया कि चिउलुआन-2 पक्षी ने 8 नवंबर 2024 को मणिपुर के तामेंगलोंग जिले से उड़ान भरी थी। फाल्कन ने नॉन-स्टॉप उड़ान के बाद 20 दिसंबर तक दक्षिण अफ्रीका पहुंच गया। इसके बाद उसने बोत्सवाना के सेंट्रल कालाहारी रिजर्व में 46 दिन बिताए। उन्होंने अरब सागर मार्ग का जिक्र करते हुए कहा, 'मुझे उम्मीद है कि चिउलुआन-2 लगभग 10 दिनों में अपनी समुद्री यात्रा शुरू कर देगा।' साथ ही कहा कि पक्षी बांग्लादेश, ओडिशा और महाराष्ट्र से भी उड़ान भरेगा।

 

वैज्ञानिक बताते है कि अमूर फाल्कन हर साल 22,000 किलोमीटर का प्रवास करते हैं। यह दुनिया के सबसे लंबे समय तक यात्रा करने वाले पक्षियों में से एक हैं। फाल्कन को प्रवास के लिए साइबेरिया की भयानक सर्दियों के मुकाबले दक्षिणी अफ्रीका की जलवायु ज्यादा पसंद आती है।

 

यह भी पढ़ें: 99 पैसे में 21 एकड़: आंध्र ने TCS को इतने सस्ते में क्यों दे दी जमीन?

 

दूसरे पक्षी का संपर्क टूटा

 

तामेंगलोंग डिवीजनल फॉरेस्ट ऑफिसर हिटलर सिंह के मुताबिक,'अमूर फाल्कन साइबेरिया की अपनी वापसी यात्रा के दौरान तामेंगलोंग को बायपास करते हैं और सीधे अमूर नदी के किनारे अपने प्रजनन स्थलों की ओर बढ़ते हैं।' बताया गया है कि चिउलुआन-2 के साथ उड़ा 'गुआंगराम' पक्षी ने आखिरी बार दिसंबर 2024 में केन्या के पास से उड़ने के बाद उसका संपर्क टूट गया है।

 

वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया जो अमूर फाल्कन की ट्रैकिंग कर रहा है उसका मकसद फाल्कन के प्रवासी व्यवहार को गहनता से समझना है। यह पक्षी अपने भारत प्रवास के दौरान लगभग 45 दिनों तक नागालैंड, मणिपुर और पूर्वोत्तर के दूसरे राज्यों में आराम करते हैं और यहीं खाना खाते हैं। अमूर फाल्कन को धीरज रखने वाला पक्षी माना जाता है। यह 14,500 किलोमीटर की प्रवास यात्रा करता है।

Related Topic:#Wildlife News

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

और पढ़ें

design

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap