मणिपुर में CM बीरेन सिंह सहित मंत्रियों-विधायकों के घरों पर हुए हमले
मणिपुर में सीएम बीरेन सिंह सहित अन्य मंत्रियों व विधायकों के घरों पर हमले हुए हैं।

मणिपुर हिंसा । पीटीआई
मणिपुर में हालात फिर से एक बार बेकाबू हो गए हैं। जिरीबाम में व्याप्त तनाव राजधानी इम्फाल तक पहुंच गई है। जिरीबाम जिले की एक नदी से एक महिला व दो बच्चों की लाशों के एक नदी में मिलने के बाद के कुछ घंटे बाद ही राज्य में हिसा भड़क गई। माना जा रहा है कि ये लाशें उन्हीं 6 लोगों में से हैं जो सोमवार को जिरीबाम में लापता हो गए थे। बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन और नेताओं के घरों पर हमले को देखते हुए पश्चिम इम्फाल में कर्फ्यू लगा दिया गया है।
बीरेन सिंह और उनके दामाद के घर पर हमला
प्रदर्शनकारियों ने मुख्यमंत्री बीरेन सिंह सहति उनके दामाद और अन्य मंत्रियों व विधायकों के घरों पर भी हमला किया। जिन नेताओं के घरों में हमला किया गया है उनमें बीरेन सिंह के दामाद राजकुमार इमो सिंह; खुरई विधायक एल सुसीद्रो शामिल हैं, उरीपोक विधायक के रघुमणि सिंह; पटसोई विधायक सपाम कुंजाकेश्वर; और थांगमेइबंद विधायक के जॉयकिसन सिंह के अलावा केशामथोंग के स्वतंत्र विधायक सपाम निशिकांत के घरों पर हमला हुआ है। । जो बीरेन सिंह सरकार में मंत्री भी हैं।
शनिवार देर रात, भीड़ ने इम्फाल के हेइंगंग में मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के निजी आवास पर भी हमला करने की कोशिश की। हालांकि उस समय वे वहां मौजूद नहीं थे। सुरक्षा बलों ने भीड़ को पीछे धकेल दिया और उनके आवास की ओर जाने वाले राजमार्ग पर जलते हुए टायर बिछा दिए ताकि प्रदर्शनकारी वहां तक पहुंच न सकें।
इम्फाल के सागोलबंद में आरके इमो के आवास पर भीड़ ने बाहर तैनात सुरक्षा दल पर कब्ज़ा कर लिया और गेट तोड़कर फर्नीचर में आग लगा दी। आग को और फैलने से पहले ही दमकल सेवाओं ने बुझा दिया। अधिकारियों ने बताया कि विधायक के आवास पर हमला होने के समय वे मौजूद नहीं थे। कुछ ही मिनटों में एक और भीड़ सपाम कुंजाकेश्वर के आवास में घुस गई और संपत्ति को नुकसान पहुंचाया तथा वाहनों में आग लगा दी।
इंटरनेट सेवाएं बंद
सुरक्षा के मद्देनज़र इम्फाल के पूर्वी और पश्चिमी दोनों जिलों समेत सात जिलों में इंटरनेट सेवाएं दो दिनों के लिए बंद कर दी गई हैं। हिंसा से सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्रों में मध्य मैतेई बहुल घाटी के सभी पांच जिले, साथ ही कुकी-जो बहुल कांगपोकपी और चूड़ाचांदपुर जिले शामिल हैं।
आर्मी को किया तैनात
विरोध प्रदर्शनों के बाद, शहर में सुरक्षा को मजबूत करने के लिए भारतीय सेना और असम राइफल्स की टुकड़ियों को इंफाल में तैनात किया गया है। मणिपुर पुलिस ने एक्स पर एक बयान के माध्यम से बताया, "फ्लैग मार्च किया गया है और भीड़ को तितर-बितर करने की प्रक्रिया में आठ लोग घायल हो गए हैं।"
बयान में कहा गया है, "घरों में तोड़फोड़ और आगजनी करने वाली भीड़ का हिस्सा रहे 23 लोगों को इम्फाल पूर्व, इंफाल पश्चिम और बिष्णुपुर जिलों से गिरफ्तार किया गया है।"
On 16.11.2024, irate mobs have targeted various houses and properties of public representatives including Ministers and MLAs of the State in Imphal. Police have resorted to firing tear gas shells etc. to disperse the mob. Security forces including Army and Assam Rifles have been…
— Manipur Police (@manipur_police) November 17, 2024
हमार समुदाय के लोगों को CRPF ने मारी गोली
शनिवार की रात को जिरीबाम में भी आगजनी की घटना हुई, जब गुस्साई भीड़ ने हमार समुदाय के सदस्यों की संपत्तियों को आग के हवाले कर दिया, जिसमें घर और कम से कम एक चर्च शामिल था।
जिरीबाम में जातीय विभाजन के दोनों पक्षों में कई मौतों के बाद राजधानी में अराजकता फैल गई है। सोमवार को, एक पुलिस स्टेशन में मैतेई लोगों के लिए बने राहत शिविर को कथित तौर पर हथियारबंद लोगों ने निशाना बनाया था, जिसके बाद सीआरपीएफ ने हमार समुदाय के 10 लोगों को गोली मार दी थी।
हमले के बाद राहत शिविर के आठ सदस्य लापता हो गए थे, जबकि दो बुज़ुर्गों के शव कुछ ही देर बाद बरामद किए गए, तीन महिलाएं और तीन बच्चे लापता हैं। फिर, शुक्रवार को एक महिला और दो बच्चों के शव बरामद किए गए, जिससे तनाव और बढ़ गया।
पिछले साल से ही जल रहा मणिपुर
दरअसल, मणिपुर में हिंसा की शुरुआत पिछले साल 3 मई को हुई थी, जब हाईकोर्ट के एक आदेश के खिलाफ कुकी-जो जनजाति समुदाय के लोगों ने हिंसा, आगजनी और तोड़फोड़ शुरू कर दी। यह सारी हिंसा और तोड़फोड़ मैतेई समुदाय को जनजाति का दर्जा दिए जाने पर विचार करने संबंधी कोर्ट के आदेश को लेकर था।
मैतेई समुदाय ने हाईकोर्ट में एक याचिका की थी जिसमें कहा गया था कि 1949 में जब मणिपुर का भारत में विलय हुआ उसके पहले उन्हें जनजाति का दर्जा मिला हुआ था। उसी आधार पर मैतेई समुदाय के लोग फिर से जनजाति का स्टेटस बहाल किए जाने की मांग कर रहे थे। याचिका पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की थी कि मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने पर विचार करे।
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