बीते दिनों उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से एक खबर आई थी की 31 साल पहले लापता हुए एक बच्चे का परिवार से मिलन हो गया है। सभी परिजन भावुक थे और उसे गले लगा रहे थे। 31 साल बाद अपने खोए हुए बच्चे को देखकर सब खुश थे। शख्स को खाना खिलाया जा रहा था। हालांकि, यह खुशी ज्यादा देर तक टिक नहीं पाई और देहरादून से मिली एक खबर ने सभी को चौंका दिया।
जब देहरादून के परिवार ने किए खुलासे
दरअसल, देहरादून के रहने वाले एक और परिवार ने दावा किया कि इसी शख्स ने चार महीने पहले उनका बेटा होने का दावा किया था। देहरादून के इस परिवार ने पुलिस से दावा किया कि लगभग 4 महीने पहले उन्हें भी इस शख्स ने 'अगवा कर जबरन मजदूरी और भागने' की कहानी सुनाई थी। बता दें कि बिल्कुल सामान्य कहानी उसने गाजियाबाद के रहने वाले परिवार को भी सुनाई।
पुलिस का चकरा गया माथा
इस बात के सामने आने से पुलिस का माथा चकरा तो गया ही लेकिन साथ ही दोनों परिवार भी सकते में आ गए। इस व्यक्ति की असली पहचान अब तक नहीं हो पाई है। दरअसल, जुलाई में देहरादून में एक परिवार से मिलने के बाद उसने खुद को मोनू शर्मा बताया था। मोनू ने देहरादून के परिजनों को अगवा वाली कहानी सुनाई थी।
इसके बाद, पिछले शनिवार को इसी शख्स ने गाजियबाद के परिजनों को भी ऐसी ही एक कहानी सुनाई। इसमें उसने अपना नाम भीम सिंह बताया। इन दावों के बाद दोनों राज्यों के पुलिस का सिर चकरा गया और अज्ञात व्यक्ति को शनिवार देर शाम गाजियाबाद पुलिस ने पूछताछ के लिए हिरासत में लिया।
दोनों राज्यों की पुलिस कर रही जांच
गाजियाबाद पुलिस के इस खुलासे के बाद देहरादून पुलिस ने भी जांच शुरू कर दी है। देहरादून पुलिस की मानव तस्करी निरोधक इकाई के प्रभारी इंस्पेक्टर प्रदीप पंत ने कहा, 'ऐसा लगता है कि उसे कुछ मनोवैज्ञानिक समस्याएं हैं। ऐसा नहीं लगता है कि उसने देहरादून के परिवार से पैसे या कीमती सामान ठगा हो। लेकिन ऐसा लगता है कि उसने बचपन में अपने अपहरण की एक खास कहानी मन में गढ़ ली है जिसे वह हर बार किसी नए शहर में खो जाने पर सुनाता है। हालांकि, सच्चाई सामने लाने के लिए दोनों पुलिस विभागों द्वारा जांच जारी है।
एक सेल फोन की तलाश
गाजियाबाद पुलिस अब एक सेल फोन की तलाश में है जिससे अज्ञात व्यक्ति ने देहरादून में रहने के दौरान इस्तेमाल किया था। फोन से जुड़ा नंबर आखिरी बार गाजियाबाद के इंदिरापुरम में पाया गया था, लेकिन डिवाइस को अभी तक बरामद नहीं किया गया है। जांचकर्ताओं का मानना है कि फोन में उसकी असली पहचान और गतिविधियों के बारे में महत्वपूर्ण सुराग हो सकते हैं।