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मोदी सरकार ने चुनाव नियमों में ऐसा क्या बदला कि SC पहुंच गई कांग्रेस?

मोदी सरकार ने हाल ही में चुनाव नियमों में कुछ बदलाव किया है। इस बदलाव के बाद चुनाव से जुड़े इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं होंगे। इन नियमों में बदलाव के खिलाफ कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है।

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चुनाव नियमों में संशोधन को कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। (Creative Image)

चुनाव नियमों में बदलाव को लेकर कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। कांग्रेस ने इसे लेकर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है। केंद्र सरकार ने हाल ही में चुनाव आयोग की सिफारिश पर चुनाव नियमों में कुछ बदलाव किए हैं।


सरकार ने हाल ही में कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल्स, 1961 के कुछ नियमों में बदलाव किया है। यह बदलाव पोलिंग स्टेशन के CCTV, वेबकास्टिंग फुटेज और उम्मीदवारों की रिकॉर्डिंग जैसे इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों को सार्वजनिक करने से रोकने के लिए किए हैं।

चुनावी प्रक्रिया की अखंडता खत्म हो रहीः कांग्रेस

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने X पर पोस्ट कर बताया कि इन संशोधित नियमों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। जयराम रमेश ने लिखा, 'चुनावी प्रक्रिया की अखंडता तेजी से खत्म हो रही है। उम्मीद है सुप्रीम कोर्ट इसे बहाल करने में मदद करेगा।'


जयराम रमेश ने कहा, 'चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है, जिस पर स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने की जिम्मेदारी है। उसे एकतरफा और सबकी सलाह के बगैर अहम कानून में इतने निर्लज्ज तरीके संशोधन करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।'

 

नियमों में क्या बदला गया है?

चुनाव आयोग की सिफारिश पर केंद्रीय कानून मंत्रालय ने कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल्स 1961 के नियम 93 में बदलाव किया है। नियम 93 कहता है कि चुनाव के जुड़े सभी 'कागजात' सार्वजनिक उपलब्ध रहेंगे।


अब सरकार ने इसमें संशोधन कर नियम को बदल दिया है। अब यह नियम कहता है- 'चुनाव से जुड़े सभी दस्तावेज 'नियमानुसार' सार्वजनिक रूप से उपलब्ध रहेंगे।'


इसका मतलब यह हुआ कि अब सिर्फ चुनाव से जुड़े फॉर्म ही सार्वजनिक रूप से उपलब्ध रहेंगे। चुनाव से जुड़े इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड और CCTV फुटेज उपलब्ध नहीं रहेंगे।

क्यों बदला गया नियम?

चुनाव आयोग और कानून मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि यह नियम एक अदालती फैसले की वजह से बदला गया है। दरअसल, 9 दिसंबर को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा विधानसभा चुनाव से जुड़े सभी दस्तावेज याचिकाकर्ता से साझा करने का आदेश दिया था। इसमें इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड और CCTV फुटेज भी शामिल थे। हाईकोर्ट का फैसला आने के दो हफ्ते के भीतर ही सरकार ने नियमों में बदलाव कर दिया।


चुनाव आयोग से जुड़े एक अधिकारी ने कहा, 'ऐसे कई उदाहरण हैं जहां नियमों का हवाला देते हुए इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड मांगे गए हैं। अब जिन दस्तावेजों का नियमों में जिक्र है, सिर्फ वही सार्वजनिक रूप से उपलब्ध होंगे और उनकी ही जांच की जा सकेगी। ऐसा कोई भी दस्तावेज जिसका नियमों में जिक्र नहीं है, उसे साझा नहीं किया जाएगा।'


चुनाव आयोग के अधिकारियों ने दलील दी कि पोलिंग बूथ के अंदर की CCTV फुटेज का दुरुपयोग किया जा सकता है। AI की मदद से इन फुटेज का इस्तेमाल करके एक फर्जी कहानी तैयार की जा सकती है। 


हालांकि, संशोधन के बाद चुनाव से जुड़े सभी दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड उम्मीदवारों के लिए तो उपलब्ध रहेंगे लेकिन अगर किसी व्यक्ति को इसकी जरूरत है तो उसे अदालत के पास जाना होगा।

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