मुंबई अटैक की पूरी प्लानिंग करने वाला तहव्वुर राणा भारत आ रहा है। पिछले हफ्ते अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट से आखिरी अर्जी भी खारिज होने के बाद तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण का रास्ता साफ हो गया था। उसे अमेरिका से स्पेशल फ्लाइट से भारत लाया जा रहा है। बताया जा रहा है कि भारत आने के बाद उसे NIA की कस्टडी में रखा जाएगा।
इस बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एडवोकेट नरेंद्र मान को स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर नियुक्त कर दिया है। एडवोकेट नरेंद्र मान NIA की तरफ से केस लड़ेंगे। गृह मंत्रालय ने इसका नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया।
क्या जिम्मेदारी होगी?
गृह मंत्रालय की ओर से जारी नोटिफिकेशन में बताया गया है कि एडवोकेट नरेंद्र मान NIA का केस लड़ेंगे। यह केस तहव्वुर राणा और डेविड कोलमेन हेडली के खिलाफ है। अब नरेंद्र मान इस केस में NIA की स्पेशल कोर्ट और इससे मामले से जुड़ी हुई अपीलीय कोर्ट में पैरवी करेंगे।
उन्हें यह जिम्मेदारी तीन साल के लिए दी गई है। नोटिफिकेशन जारी होते ही उनकी जिम्मेदारी भी शुरू हो गई है। इसका मतलब हुआ कि गुरुवार को NIA कोर्ट में जब तहव्वुर राणा को पेश किया जाएगा, तो नरेंद्र मान ही उसके खिलाफ केस लड़ेंगे। अगर तीन साल से पहले ट्रायल पूरा हो जाता है, तो उनकी जिम्मेदारी पूरी हो जाएगी। अगर ट्रायल लंबा खींचता है तो 3 साल बाद या तो किसी और को स्पेशल प्रॉसिक्यूटर नियुक्त किया जाएगा या फिर नरेंद्र मान का कार्यकाल बढ़ाया जाएगा।
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केस क्या है?
26 नवंबर 2008 को मुंबई में कई जगह आतंकी हमले हुए थे। इस सिलसिले में 11 नवंबर 2009 को NIA ने IPC की धारा 121A, UAPA की धारा 18 और SAARC कन्वेंशन की धारा 6(2) के तहत डेविड कोलमेन हेडली उर्फ दाऊद गिलानी और तबव्वुर राणा के तहत केस दर्ज किया था।
NIA की FIR के मुताबिक, अमेरिकी नागरिक डेविड हेडली और पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक तहव्वुर राणा ने आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और हरकत-उल जिहादी इस्लामी (HUJI) के साथ मिलकर नई दिल्ली समेत भारत की कई जगहों पर आतंकी हमलों की साजिश रची थी।
जांच एजेंसी के मुताबिक, तहव्वुर राणा ने ही डेविड हेडली के लिए भारत के वीजा का इंतजाम किया था। आरोप है कि हेडली भारत आया था और उसने दिल्ली के नेशनल डिफेंस कॉलेज और मुंबई के चबाड हाउस पर हमले की प्लानिंग में राणा की मदद की थी। जून 2006 में डेविड हेडली और तहव्वुर राणा के बीच अमेरिका में मुलाकात हुई थी, जहां उन्होंने भारत पर हमला करने पर चर्चा की थी।
एजेंसी ने बताया कि 13 से 21 नवंबर 2008 के तहव्वुर राणा अपनी पत्नी समराज राणा के साथ उत्तर प्रदेश, दिल्ली, आगरा, कोच्चि, अहमदाबाद और मुंबई आया था। 2007 और 2008 में हेडली भी 5 बार मुंबई आया था। इतना ही नहीं, तहव्वुर राणा 26/11 अटैक के लिए मेजर इकबाल से भी संपर्क में था, जो कथित तौर पर ISI से जुड़ा था।
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कितने हैं आरोपी?
इस पूरे मामले में कुल 9 आरोपी बनाए गए हैं। इनमें तहव्वुर राणा और डेविड हेडली के अलावा हाफिज सईद उर्फ तायाजी, जकी-उर-रहमान लखवी, साजिद माजिद उर्फ वासी, इलियास कश्मीरी और अब्दुर रहमान हाशिम सईद उर्फ मेजर अब्दुर्रहमान उर्फ पाशा को आरोपी बनाया गया है। इनके अलावा, दो ISI अफसर- मेजर इकबाल उर्फ मेजर अली, मेजर समीर अली उर्फ मेजर समीर को भी आरोपी बनाया गया है।
जांच पूरी होने के बाद 24 दिसंबर 2011 को NIA ने दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी। इसमें इन सभी 9 आरोपियों के खिलाफ IPC की धारा 120B, 121, 121A, 302, 468 और 471 और UAPA की धारा 16, 18 और 20 के तहत आरोप लगाए गए थे।
कौन हैं नरेंद्र मान?
एडवोकेट नरेंद्र मान के बारे में बहुत ज्यादा जानकारी पब्लिक डोमेन में मौजूद नहीं हैं। हालांकि, थोड़ा सर्च करने पर पता चलता है कि नरेंद्र मान पहले भी भारतीय एजेंसियों के लिए केस लड़ चुके हैं। हालांकि, केस की बहुत ज्यादा डिटेल नहीं मिलती है। NIA से पहले नरेंद्र मान CBI की तरफ से भी केस लड़ चुके हैं। हालांकि, जिस तरह से उन्हें इतने हाईप्रोफाइल केस की जिम्मेदारी मिली है, उससे पता चलता है कि नरेंद्र मान आतंकवाद या संगठित अपराध से जुड़े मामलों में पैरवी कर चुके हैं।