बिहार में इलेक्टोरल लिस्ट को लकेर गहन जांच जारी है, लेकिन जांच के दौरान तमाम चौंकाने वाले खुलासे हुए है। मीडिया में छपी खबरों के मुताबिक चुनाव आयोग के अधिकारियों ने रविवार को बताया कि बिहार में मतदाता सूची की गहन जांच के दौरान नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार से आए बड़ी संख्या में लोग पाए गए हैं। यह जानकारी घर-घर जाकर की गई जांच के दौरान मिली।
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, 1 अगस्त के बाद इन लोगों की उचित जांच की जाएगी। इसके बाद 30 सितंबर को प्रकाशित होने वाली अंतिम मतदाता सूची में अवैध प्रवासियों के नाम शामिल नहीं किए जाएंगे। बूथ-स्तरीय अधिकारियों ने बताया कि नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार के लोग बड़ी संख्या में पाए गए हैं।
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चुनाव आयोग की विशेष योजना
चुनाव आयोग पूरे भारत में मतदाता सूची की विशेष जांच करेगा ताकि अवैध विदेशी प्रवासियों को हटाया जा सके। इसके लिए जन्म स्थान की जांच की जाएगी। चुनाव आयोग ने बताया कि शनिवार शाम तक बिहार में 80.11% मतदाताओं ने अपने फॉर्म जमा कर दिए हैं। आयोग 25 जुलाई तक सभी फॉर्म जमा करने की प्रक्रिया पूरी करना चाहता है।
बिहार में विधानसभा चुनाव जल्द
बिहार में अक्टूबर या नवंबर में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। मतदाता सूची की इस जांच ने राज्य की राजनीति में बड़ा मुद्दा बन गया है। असम, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में भी 2026 में विधानसभा चुनाव होने हैं।
विपक्ष ने उठाए सवाल
विपक्षी दलों ने बिहार में मतदाता सूची की जांच का विरोध किया है। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने हाल ही में पूर्णिया में राजद नेता तेजस्वी यादव के साथ एक रैली में हिस्सा लिया। कांग्रेस ने इस जांच को खतरनाक और अजीब बताया है। कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि 2003 के बाद जुड़े मतदाताओं को संदिग्ध मानना मनमाना और कानूनी रूप से गलत है।
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सुप्रीम कोर्ट का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि मतदाता सूची में शामिल होने के लिए आधार कार्ड, वोटर आईडी और राशन कार्ड को भी सबूत के रूप में स्वीकार किया जाए। कोर्ट यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहा है कि इससे बड़ी संख्या में मतदाताओं के अधिकार छिन सकते हैं। बता दें कि पिछले कुछ दिनों से भारत में अवैध प्रवासियों का मुद्दा काफी छाया हुआ है ऐसे में इस कदम को काफी महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है।