logo

ट्रेंडिंग:

कर्नाटक में ओला-ऊबर बाइक टैक्सी पर रोक, समझें क्या है पूरा मामला? 

कर्नाटक में हाई कोर्ट ने बाइक टैक्सी सर्विस पर रोक लगा दी है। कोर्ट का कहना है कि जब तक राज्य सरकार इससे संबंधित नियम नहीं बनाती तब तक इस पर रोक रहनी चाहिए।

Representational Image । Photo Credit: PTI

प्रतीकात्मक तस्वीर । Photo Credit: PTI

बाइक टैक्सी एग्रीगेटर ऐप रैपिडो,ओला और ऊबर को बड़ा झटका देते हुए कर्नाटक हाई कोर्ट ने बुधवार को फैसला सुनाया कि जब तक सरकार मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 3 के तहत आवश्यक दिशा-निर्देशों के साथ-साथ जरूरी नियमों को अधिसूचित नहीं करती, तब तक कोई भी बाइक टैक्सी एग्रीगेटर राज्य में काम नहीं कर सकते। कोर्ट ने राज्य सरकार और परिवहन विभाग को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि छह सप्ताह के भीतर सभी बाइक टैक्सी संचालन बंद हो जाना चाहिए।

 

जस्टिस बी एम श्याम प्रसाद ने कहा कि रैपिडो, ऊबर, ओला और अन्य बाइक टैक्सी एग्रीगेटर सहित याचिकाकर्ताओं को निर्धारित अवधि के भीतर काम करना बंद कर देना चाहिए। राज्य सरकार को बाइक टैक्सी चलाने के लिए आवश्यक नियम और दिशा-निर्देश तैयार करने के लिए तीन महीने का समय दिया गया है। जस्टिस प्रसाद ने आदेश पढ़ते हुए इस बात पर जोर दिया, 'परिवहन विभाग को मोटरसाइकिलों को ट्रांसपोर्ट वीकल के रूप में रजिस्टर करने या ऐसी सर्विसेज के लिए कॉन्ट्रैक्ट कैरिएज परमिट जारी करने का निर्देश तब तक नहीं दिया जा सकता जब तक कि उचित सरकारी नियम लागू न हो जाएं।'

 

यह भी पढ़ें-- 24% ही क्यों? वह फॉर्मूला जिससे 1 से 1.24 लाख हुई सांसदों की सैलरी

 

राज्य करेगा विचार

इंडियन एक्सप्रेस को दिए बयान में राज्य के परिवहन मंत्री रामलिंगा रेड्डी ने कहा, 'हम विस्तार से समीक्षा करेंगे। हम (कोई भी कार्रवाई करने से पहले) इंतजार करेंगे क्योंकि अदालत ने एग्रीगेटर्स को ऑपेरशन बंद करने के लिए छह सप्ताह का समय दिया है। अदालत ने राज्य सरकार को बाइक टैक्सी संचालन के लिए उचित दिशा-निर्देश तैयार करने का भी समय दिया है। हम इसके अनुसार काम करेंगे।'

 

कार्यवाही के दौरान, एक पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले सीनियर एडवोकेट अरुण कुमार ने कहा कि ओला ने अप्रैल 2024 में ही बाइक टैक्सी की सेवाएं शुरू की थीं। अदालत ने इसे स्वीकार किया लेकिन कहा कि सभी याचिकाकर्ताओं को निर्देश का पालन करते हुए अपनी बाइक टैक्सी का संचालन बंद कर देना चाहिए।

 

फैसले में 2019 में एक विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट का भी हवाला दिया गया, जिसमें यातायात और सुरक्षा पर बाइक टैक्सियों के प्रभाव की जांच की गई थी। अदालत ने इस बात पर रोशनी डाली  कि ऐसी सेवाओं को जारी रखने की अनुमति देने से पहले रेग्युलेटरी स्पष्टता आवश्यक है।

 

कहां से शुरू हुआ झगड़ा

रैपिडो की मूल कंपनी रोपेन ट्रांसपोर्टेशन सर्विसेज लिमिटेड ने किफायती और तेज ट्रांसपोर्टेशन की मांग का लाभ उठाते हुए 2016 के आसपास कर्नाटक में बाइक टैक्सी सेवाएं देना शुरू किया। 

 

हालांकि, राज्य परिवहन विभाग ने इन परिचालनों को अवैध माना। उनका तर्क था कि कर्नाटक मोटर वाहन नियमों के तहत सफेद नंबर प्लेट वाले दोपहिया वाहनों (निजी वाहन) का व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए उपयोग नहीं किया जा सकता है।

 

इसके कारण फरवरी 2019 में 200 से अधिक बाइक और जनवरी 2022 में 120 से अधिक बाइक जब्त करने सहित कई कार्रवाई की गई।

 

इसके बाद, रैपिडो ने कर्नाटक हाई कोर्ट का रुख किया और राज्य सरकार को उसके बाइक टैक्सी व्यवसाय में हस्तक्षेप न करने और मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के अनुसार उचित परमिट देने के अलावा दोपहिया वाहनों को ट्रांसपोर्ट वीकल के रूप में पंजीकृत करने की अनुमति देने का निर्देश देने की मांग की।

 

राज्य ने शुरू की थी इलेक्ट्रिक बाइक टैक्सी योजना

हालांकि, जुलाई 2021 में, राज्य ने कर्नाटक इलेक्ट्रिक बाइक टैक्सी योजना शुरू की, जिसमें बाइक टैक्सियों को वैध बनाया गया, लेकिन उन्हें टिकाऊ परिवहन को बढ़ावा देने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) तक सीमित रखा गया। इस बीच, अगस्त 2021 में, हाई कोर्ट ने एक अंतरिम आदेश जारी किया, जिसमें अधिकारियों को मामला लंबित रहने तक रैपिडो की बाइक टैक्सियों के खिलाफ कोई भी दंडात्मक कार्रवाई करने से रोक दिया गया।

 

जब ऑटोरिक्शा यूनियनों और बाइक टैक्सी सवारों के बीच झड़प हुई, तो तनाव बढ़ गया, जिससे हिंसक घटनाएं हुईं। अप्रैल 2024 में, कर्नाटक हाई कोर्ट ने बाइक टैक्सी वेलफेयर एसोसिएशन की एक याचिका पर प्रतिक्रिया देते हुए, राज्य को आदेश दिया कि वह बाइक टैक्सी ऑपरेटर्स को ऑटोरिक्शा चालकों द्वारा उत्पीड़न से बचाए, तथा 2021 के अंतरिम संरक्षण के तहत संचालन के उनके अधिकार को सुरक्षित करे।

 

हालांकि, राज्य ने मार्च 2024 में इलेक्ट्रिक बाइक टैक्सी योजना को वापस ले लिया, जिसमें दुरुपयोग (गैर-ईवी बाइक का इस्तेमाल किया जा रहा था) और सुरक्षा संबंधी चिंताओं, खासकर महिलाओं की सुरक्षा का हवाला दिया गया। हालांकि, रैपिडो ने कहा कि हाई कोर्ट के आदेश के कारण उसके संचालन पर कोई असर नहीं पड़ा।

 

यह भी पढ़ें-- MP की 300 तो आम आदमी की 700 गुना बढ़ी कमाई; 70 साल में इतने बदले हालात

 

रैपिडो ने डाली थी याचिका

12 नवंबर, 2024 को, कर्नाटक हाई कोर्ट ने रैपिडो की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया, जिसमें दोपहिया वाहनों को ट्रांसपोर्ट वीकल के रूप में रजिस्टर करने और मोटर वाहन अधिनियम के तहत परमिट जारी करने की मांग की गई थी। 

 

राज्य ने तर्क दिया कि सफेद प्लेट वाली बाइक नियमों का उल्लंघन करती हैं और उनमें सुरक्षा उपायों की कमी होती है, जबकि रैपिडो ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि वह वीकली 20 लाख से अधिक राइड देते हैं और 10 लाख से ज्यादा राइडर्स को सपोर्ट करते हैं।

 

कर्नाटक के अलावा, रैपिडो को महाराष्ट्र, दिल्ली और असम जैसे राज्यों में भी कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जहां राज्य सरकारों ने बिना कॉमर्शियल लाइसेंस या परमिट के बाइक टैक्सी के ऑपरेशन पर प्रतिबंध लगा दिया है।

 

क्या कहते हैं एक्सपर्ट?

क एक्सपर्ट का कहना है कि बाइक टैक्सियां स्वाभाविक रूप से असुरक्षित है और पब्लिक ट्रांसपोर्ट के रूप में ठीक नहीं हैं। उन्होंने कहा, 'राज्य सरकार को अब ऑटोरिक्शा को रेग्युलेट करने की जरूरत है और एक बेहतर विकल्प के रूप में उसे आगे लाने की जरूरत है।'

 

ऑटो रिक्शा चालक संघ (ARDU) के महासचिव रुद्रमूर्ति ने मीडिया को बताया, 'यह निश्चित रूप से एक स्वागत योग्य कदम है और ऑटोरिक्शा चालकों के लिए एक बड़ी राहत है। हालांकि, ऑटो चालकों के रूप में, यह समय है कि हम राज्य सरकार के मानदंडों का पालन करें और यात्रियों से उचित किराया लें। बहुत सारे ऑटो चालक अभी भी अधिक किराया लेते हैं और सवारी को ले जाने से इनकार कर देते हैं। ऑटो चालकों को सामूहिक रूप से काम करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हम यात्रियों को उचित और उचित सेवाएँ प्रदान करें।'

Related Topic:#Uber, Ola

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

और पढ़ें

design

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap