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कम बैठकें, खूब हंगामा, बेकार गया संसद के शीतकालीन सत्र का आधा समय

पिछले दो संसद सत्र में खूब काम हुआ था लेकिन शीतकालीन सत्र हंगामे की भेंट चढ़ गया। दोनों ही सदनों की कार्यवाही बार-बार बाधित हुई और लगभग आधे समय में ही चर्चाएं हो पाईं।

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संसद परिसर में प्रदर्शन करते सांसद, Photo: PTI

देश की संसद साल भर में कम से कम 3 बार सांसदों की मौजूदगी से भर जाती है। मकसद होता है कि ये कानून निर्माता बैठेंगे, मुद्दों पर बहस करेंगे और देश के बेहतर भविष्य के लिए नीति निर्धारित करेंगे। जब शीतकालीन सत्र आयोजित किया गया तब भी ऐसी ही उम्मीदें थीं। संसद सत्र की शुरुआत से पहले पीएम मोदी ने एक बात कही थी कि यह सत्र 'शीत' ही रहेगा। अगर अब हिसाब-किताब देखें तो लगभग 15 दिन चला यह संसद सत्र सच में ठंडा ही गुजर गया। ज्यादातर दिनों में संसद की कार्यवाही स्थगित हुई। दोनों सदनों में गिनती की बैठकें हुईं और उनमें भी बेहद कम बिलों पर चर्चा हुई और उन्हें पास किया जा सका। आखिरी दो दिनों में तो यह देखा गया कि डॉ. भीमराव आंबेडकर पर दिए गए अमित शाह के बयान को लेकर विपक्षी गठबंधन के नेता सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (BJP) को घेरते रहे और जमकर हंगामा होता रहा।

 

25 नवंबर को शीतकालीन सत्र 20 दिसंबर को समाप्त हो गया। 26 दिनों के इस समय में लोकसभा में सिर्फ 20 और राज्यसभा में 19 बैठकें ही हुईं। PRS लेजिस्लेटिव रिसर्च के मुताबिक, लोकसभा में तय समय के कुल 52 पर्सेंट हिस्से में ही काम हुआ और राज्यसभा में सिर्फ 39 पर्सेंट समय में ही काम हो पाया। संसद सत्र के पहले हफ्ते में तो अदाणी के मुद्दे पर हंगामा ही होता रहा और दोनों ही सदनों के 10 पर्सेंट समय में ही काम हुआ। लोकसभा में शनिवार को भी बैठक हुई और संविधान पर चर्चा की  गई।

कितने बिल हुए पास?

 

अगर पास किए गए बिल की चर्चा करें तो सिर्फ दो अहम बिल इस सत्र में पास हुए। एक तो भारतीय वायुयान विधेयक, 2024 जो कि अब एयरक्राफ्ट ऐक्ट 1934 की जगह लेगा। दूसरा द अप्रोप्रिएशन बिल 2024। यह मनी बिल की तरह लोकसभा से पास किया गया। वहीं इस सत्र में 5 नए बिल को सदन में रखा गया जिसमें वन नेशन वन इलेक्शन संबंधित बिल भी शामिल है। इसके यूनियन टेरिटरीज लॉ (संशोधन)बिल, मर्चेंट शिपिंग बिल और कोस्टल शिपिंग बिल 2024 भी पेश किए गए।

 

संसद का यह सत्र खत्म हो जाने पर यह सामने आया है कि 33 बिल ऐसे हैं जो अभी संसद में पेंडिंग हैं। PRS लेजिस्लेटिव की रिसर्च के मुताबिक, इस सत्र में राज्यसभा में 19 में से 15 दिन ऐसा हुआ जब प्रश्नकाल चल ही नहीं पाया। वहीं, लोकसभा के 20 दिन में से 12 दिन ऐसे रहे जब प्रश्नकाल 10 मिनट से ज्यादा नहीं चला। पूरे सत्र के दौरान सबसे बड़ा मुद्दा संविधान रहा। लोकसभा में इस पर 16 घंटे तो राज्यसभा में 17 घंटे चर्चा हुई।

ऐसे ही जा रहे संसद सत्र

 

ऐसा नहीं है कि पहली बार संसद सत्र का समय बर्बाद हुआ हो। पिछले साल भी शीतकालीन सत्र में जमकर हंगामा हुआ था। हालांकि, इस बार की तुलना में ज्यादा ही काम हुआ था। दिसंबर 2023 में आयोजित संसद सत्र में लोकसभा में 74 पर्सेंट समय में और राज्यसभा में 81 पर्सेंट समय में काम हुआ था। 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद के दोनों सत्रों में लगभग पूरे समय में काम हुआ था लेकिन यह सत्र हंगामे की भेंट चढ़ गया।

 

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