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संसद का शीतकालीन सत्र: सरकार घिरेगी या विपक्ष फंसेगा? समझिए क्या होगा

आज से देश की संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हो रहा है। चुनाव नतीजे, मणिपुर हिंसा और गौतम अदाणी ग्रुप पर लगे आरोपों के बीच यह सत्र काफी रोचक हो सकता है।

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भारतीय संसद (File Photo)

आज से देश की संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हो रहा है। चुनाव नतीजे, मणिपुर हिंसा और गौतम अदाणी ग्रुप पर लगे आरोपों के बीच यह सत्र काफी रोचक हो सकता है।

भारत की संसद का शीतकालीन सत्र आज से शुरू हो रहा है। यह सत्र उस समय पर हो रहा है जब देश के दो अहम राज्यों के चुनाव के नतीजे आए हैं और सरकार बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। साथ ही, देश के एक राज्य मणिपुर में हिंसा का दौर जारी है, उत्तर प्रदेश में मस्जिद के सर्वे को लेकर हंगामा हो गया है और गौतम अदाणी पर नए सिरे से आरोप लगे हैं। चर्चाएं हैं कि इस सत्र में केंद्र की एनडीए सरकार वक्फ बिल को संसद में पास करवाने की कोशिश कर सकती है। वहीं, विपक्ष प्रदूषण, मणिपुर हिंसा, अदाणी केस और कई अन्य मामलों पर सरकार को घेरने की कोशिश कर सकता है। यह सत्र 25 नवंबर से शुरू होकर 20 दिसंबर तक चलेगा।

 

संसद सत्र शुरू होने से पहले रविवार को राजधानी दिल्ली में एक सर्वदलीय बैठक हुई। इस बैठक में ही कांग्रेस ने दिखा दिया कि संसद सत्र में क्या होने वाला है। अब ज्यादा सांसदों के साथ संसद में मजबूत हो चुकी कांग्रेस ने अदाणी समूह पर लगे आरोपों का मुद्दा उठाया और मांग की कि संसद में इस पर चर्चा हो। विपक्षी दलों ने देश में हो रहे रेल हादसों, मणिपुर में जारी हिंसा और दिल्ली समेत उत्तर भारत के कई राज्यों में जारी वायु प्रदूषण के मुद्दे पर भी चर्चा कराने की मांग की है। केंद्र सरकार ने सर्वदलीय मीटिंग में विपक्षी दलों से अपील की कि वे सदन को सुचारू रूप से चलने दें। इस बैठक में 30 पार्टियों के 42 प्रतिनिधि शामिल थे।

 

NDA का जोश हाई

 

महाराष्ट्र में मिली बंपर जीत के बाद बीजेपी समेत पूरे एनडीए का जोश हाई है। वहीं, महाराष्ट्र के चुनाव को लेकर तमाम दावे कर रहे विपक्षी गठबंधन के हौसले पस्त दिख रहे हैं। ऐसे में संसद में बॉडी लैंग्वेज भी बहुत कुछ तय कर सकती है। हालांकि, जिस तरह से राहुल गांधी ने नेता विपक्ष बनने के बाद से खुद को पेश किया है, अगर उसी तरह से वह आक्रामक रहते हैं तो सरकार को मजबूती से घेर सकते हैं। पिछले सत्र के बाद से अब तक एनडीए ने लगातार चुनाव जीते हैं, ऐसे में वह भी विपक्ष के दबाव में आने वाला नहीं है। हां, इतना जरूर है कि 2024 के चुनाव से बाद से विपक्षी सांसदों की संख्या बढ़ गई है जिससे वह अक्सर भारी पड़ता दिखता है।

 

मुद्दों पर चर्चा के बारे में संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा है कि सभी दलों के मुद्दे नोट किए गए हैं और बिजनेस अडवाइजरी कमेटी इन पर फैसला लेगी। उन्होंने कहा, 'सरकार सब पर चर्चा के लिए तैयार है, बस इतनी अपील है कि सदन अच्छे से चले और हंगामा न हो। कोई भी विषय संसद में रखता है तो शांतिपूर्वक चर्चा हो। हर सदस्य चर्चा में भाग लेना चाहता है।' बता दें कि पिछला सत्र हंगामे से भरा रहा था और दोनों सदनों की कार्यवाही बार-बार बाधित भी हुई थी।

इस सत्र में क्या होगा?

 

अभी तक के प्रस्ताव के मुताबिक, इस सत्र का मुख्य आकर्षण वक्फ संशोधन बिल हो सकता है। इस बिल के अलावा कुल 16 बिल लिस्ट किए गए हैं। बता दें कि वक्फ बिल को ज्वाइंट कमेटी को भेजा गया था और इस कमेटी को अपनी रिपोर्ट इस हफ्ते के अंतिम दिन पेश करनी है। वहीं, विपक्षी दल मांग कर रहे हैं कि इस ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी का कार्यकाल बढ़ाया जाए और इस पर और चर्चा हो। दरअसल, कई विपक्ष दल और मुस्लिम संगठन नए बिल में प्रस्तावित कई संशोधनों का विरोध कर रहे हैं। 

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