भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के मद्देनजर, भारतीय वायु सेना (IAF) की पिचोरा एयर डिफेंस सिस्टम की चर्चा हो रही है। यह एयर डिफेंस कवच नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है। पिचोरा सिस्टम, जिसे आधिकारिक रूप से S-125 नेवा/पिचोरा कहा जाता है। यह 1970 के दशक से भारत की वायु रक्षा का एक प्रमुख स्तंभ रही है। यह मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल सिस्टम है, जिसे UAV जैसे हवाई खतरों को नष्ट करने के लिए खास तौर पर डिजाइन किया गया है। यह सिस्टम कम से मध्यम ऊंचाई पर उड़ रहे टारगेट को भेदने में सक्षम है और आज भी प्रभावी सुरक्षा कवच के रूप में उपयोग की जा रही है।
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इस सिस्टम की खासियत क्या?
यह सिस्टम एक रडार-निर्देशित मिसाइल लांचर और फायर कंट्रोल यूनिट से युक्त है, जो मुख्य रूप से वी-600 मिसाइल का उपयोग करती है। इसमें पांच पैराबोलिक एंटेना वाले 4R90 यतागन रडार का प्रयोग होता है, जो टारगेट को पहचानने, ट्रैक करने और लॉक करने में सक्षम है। खतरे की पुष्टि होने पर यह सिस्टम मिसाइल दागकर टारगेट को हवा में ही नष्ट कर सकती है।
पिचोरा सिस्टम विशेष रूप से धीमी गति से उड़ने वाले या निम्न ऊंचाई वाले टारगेट जैसे ड्रोन और क्रूज मिसाइल के लिए अधिक प्रभावी है। यह अकेले और एक बड़े वायु रक्षा नेटवर्क का हिस्सा बनकर काम कर सकती है और भारी इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग के वातावरण में भी कार्यशील रहती है।
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पिचोरा सिस्टम की जानकारी
रेंज: पिचोरा सिस्टम की ऑपरेशनल फायरिंग रेंज 30-35.4 किमी तक है, कुछ अपग्रेडेड वर्जन 35.4 किमी तक पहुंचते हैं।
ऊंचाई: यह 20 मीटर से लेकर 20-25 किमी तक की ऊंचाई पर उड़ने वाले टारगेट को निशाना बना सकता है, जो इसे कम और मध्यम ऊंचाई दोनों तरह के खतरों के लिए मजबूत बनाता है।
डिटेक्शन: सिस्टम का रडार 100 किमी दूर तक के टारगेट का पता लगा सकता है, जो पहले ही अलर्ट जारी कर देता है।
सटीकता: पिचोरा में लगभग 92% की उच्च मारक संभावना है और यह 900 मीटर/सेकंड तक की स्पीड से एक साथ दो टारगेट को निशाना बना सकता है।
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पिचोरा सिस्टम की तैनाती
हालिया, सैन्य वृद्धि के दौरान पिचोरा सिस्टम की तैनाती और विश्वसनीयता ने भारतीय वायुसेना को न सिर्फ एक प्रभावी डिफेंसिव पैरिमिटर तुरंत स्थापित करने में मदद की, बल्कि पाकिस्तानी ड्रोन को टारगेट तक पहुंचने से पहले ही पहचान कर उन्हें निष्क्रिय करने में भी सक्षम बनाया। हालांकि, भारत ने आकाश-एनजी, एमआरएसएएम और एस-400 सुदर्शन चक्र जैसी नई एडवांस सिस्टम शामिल की हैं।