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'जोड़े पांच रत्न', पीएम बोले- नए GST सुधार इकॉनमी के लिए 'डबल डोज'

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को जीएसटी 2.0 सुधारों को देश की अर्थव्यवस्था के लिए ‘डबल डोज़’ बताया। उन्होंने कहा कि अब टैक्स व्यवस्था और भी सरल हो गई है और इसका लाभ समाज के हर वर्ग को मिलेगा।

Narendra Modi । Photo Credit: PTI

नरेंद्र मोदी । Photo Credit: PTI

बुधवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता वाली जीएसटी काउंसिल ने एक अहम फैसला लिया, जिसके बाद ज्यादातर वस्तुओं पर केवल दो टैक्स स्लैब – 5% और 18% कर दिया गया। पहले चार टैक्स स्लैब लागू थे। नई व्यवस्था 22 सितंबर, यानी नवरात्रि के पहले दिन से लागू होगी। इसकी तारीफ करते हुए पीएम मोदी ने गुरुवार को कहा कि केंद्र और राज्य मिलकर एक 'बड़ा और ऐतिहासिक निर्णय' ले चुके हैं। उन्होंने कहा, 'जीएसटी अब और सरल और आसान हो गया है। अब सिर्फ दो दरें बची हैं – 5 और 18 प्रतिशत। जीएसटी 2.0 देश की तरक्की और सहारे के लिए डबल डोज़ साबित होगा।'

 

प्रधानमंत्री ने याद दिलाया कि स्वतंत्रता दिवस के अपने भाषण में उन्होंने वादा किया था कि दीवाली और छठ पूजा से पहले लोगों को खुशी का डबल धमाका मिलेगा। पीएम मोदी ने कहा कि इस फैसले से गरीब, नव-मध्यम वर्ग, महिलाएं, छात्र, किसान और युवा सभी को सीधा फायदा होगा। उन्होंने दावा किया कि इसके बाद छोटे कारोबारियों और व्यापारियों के लिए व्यवसाय करना आसान होगा, निवेश और रोजगार में बढ़ोतरी होगी, नागरिकों के जीवन स्तर और खपत में सुधार आएगा।

 

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जीएसटी 2.0 को ‘पंच रत्न’ बताया

मोदी ने कहा कि इस सुधार ने भारत की जीवंत अर्थव्यवस्था में पांच नए रत्न जोड़ दिए हैं। उनके मुताबिक, ये सुधार सहकारी संघवाद को मजबूत करेंगे और विकसित भारत के निर्माण में अहम भूमिका निभाएंगे। फैसले के बाद पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X (पूर्व ट्विटर) पर लिखा,  'खुशी है कि जीएसटी काउंसिल, जिसमें केंद्र और राज्य दोनों शामिल हैं, ने जीएसटी दरों में कटौती और सुधारों के प्रस्तावों पर सहमति दी है। इससे आम आदमी, किसान, एमएसएमई, मध्यम वर्ग, महिलाएं और युवा सभी लाभान्वित होंगे।'

 

 

उन्होंने आगे कहा कि ये सुधार न केवल नागरिकों के जीवन को बेहतर बनाएंगे, बल्कि छोटे कारोबारियों के लिए भी व्यापार करना आसान होगा।

सरकार को नुकसान

इस नए जीएसटी स्लैब की घोषणा के बाद ऐसा कहा जाने लगा था कि इससे सरकार को काफी घाटा लगेगा। इस पर स्पष्टीकरण देते हुए रेवेन्यू सेक्रेटरी अरविंद श्रीवास्तव ने कहा कि इससे 48 हजार करोड़ रुपये का नुकसान होगा लेकिन इसे 'रेवेन्यू लॉस कहना सही नहीं होगा'

 

उन्होंने कहा कि कम टैक्स का मतलब आम आदमी के हाथ में ज्यादा पैसा होगा और वह ज्यादा खर्च करेगा, जिसका सीधा असर अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। अरविंद ने कहा कि सरकार का मानना है कि यह वित्तीय रूप से टिकाऊ होगा। उन्होंने कहा कि इससे बाजार में उछाल आएगा। उन्होंने आगे कहा कि इससे किसी बड़े वित्तीय प्रभाव की उम्मीद नहीं है।

कैसे होगी इसकी भरपाई?

1 जुलाई 2017 को जब GST लागू किया गया था तो केंद्र सरकार ने राज्यों को मुआवजा देने का वादा किया था। यह मुआवजा राज्यों को 5 साल तक मिलना था। जून 2022 में इसकी मियाद पूरी हो गई थी। हालांकि, इसे सरकार ने 4 साल और बढ़ाकर 31 मार्च 2026 तक कर दिया।

 

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GST लागू होने से राज्यों को होने वाली घाटे की भरपाई के लिए कंपनसेशन सेस लगाया था। यह कंपनसेशन सेस लग्जरी आइटम्स और पान-तंबाकू, बीड़ी-सिगरेट जैसी चीजों पर लगता है। यह 1 से 290% तक होता है। इससे केंद्र को जो रेवेन्यू मिलता है, उसे राज्यों को बांटा जाता था। अब जब GST में स्लैब 4 से घटाकर 2 कर दी है तो इससे राज्यों को घाटा होने का डर है। हालांकि, केंद्र सरकार कह रही है कि खपत बढ़ने से कुछ साल में घाटे की भरपाई हो जाएगी।



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