राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 29 अक्टूबर बुधवार को हरियाणा के अंबाला में एयर फोर्स स्टेशन से एक राफेल फाइटर जेट में उड़ान भरी। यह पहली बार है जब किसी भारतीय राष्ट्रपति ने फ्रेंच एयरोस्पेस कंपनी दसॉल्ट एविएशन के बनाए गए राफेल फाइटर जेट में उड़ान भरी है। एयर चीफ मार्शल ए.पी. सिंह ने भी उसी एयरबेस से एक अलग विमान में उड़ान भरी। अंबाला बेस भारत के हाल के रक्षा अभियानों और स्ट्रैटेजिक मिशनों के लिए बहुत महत्वपूर्ण रहा है।
आज सुबह एयर फोर्स स्टेशन पहुंचने पर राष्ट्रपति को सेरेमोनियल गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया गया। राफेल जेट में बैठने से पहले राष्ट्रपति ने जी-सूट पहना। राष्ट्रपति ने पायलट के साथ तस्वीरें भी खिंचवाईं। सुबह 11.27 बजे विमान के उड़ान भरने से कुछ देर पहले, राष्ट्रपति ने जेट के अंदर से हाथ हिलाया। यह प्रेसिडेंट मुर्मू की फाइटर जेट में दूसरी उड़ान है। इसके पहले भी राष्ट्रपति ने अप्रैल 2023 में असम के तेजपुर एयर फोर्स स्टेशन पर सुखोई-30 MKI फाइटर एयरक्राफ्ट में उड़ान भरी थी।
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राफेल जेट्स
फ्रांसीसी एयरोस्पेस कंपनी दसॉल्ट एविएशन के बनाए गए राफेल फाइटर एयरक्राफ्ट को सितंबर 2020 में अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर औपचारिक रूप से भारतीय वायु सेना में शामिल किया गया था। पहले पांच राफेल विमान, जो 27 जुलाई 2020 को फ्रांस से आए थे, उन्हें 17 स्क्वाड्रन, 'गोल्डन ऐरो' में शामिल किया गया था। इस बेस से राफेल जेट्स ने पांच महीने पहले पहलगाम आतंकी के बाद शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर में अहम भूमिका निभाई थी।
7 मई को पाकिस्तान के कब्जे वाले इलाकों में कई आतंकी ठिकानों को नष्ट करने के लिए राफेल का इस्तेमाल किया गया था। इन हमलों के कारण चार दिनों तक दोनों देशों के बीच युद्ध जैसे हालात बन गए थे। इसके बाद यह लड़ाई 10 मई को सैन्य कार्रवाई रोकने की सहमति के साथ खत्म हुईं।
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राष्ट्रपति की राफेल में उड़ान भारत की बढ़ती हवाई ताकत का प्रतीक है। यह भारतीय वायु सेना की ताकत और आधुनिक क्षमताओं को दिखाता है। पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने 8 जून 2006 और प्रतिभा पाटिल ने 25 नवंबर 2009 को पुणे के पास लोहेगांव एयरफोर्स स्टेशन पर सुखोई-30 MKI फाइटर एयरक्राफ्ट में उड़ान भरी थी।