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ट्रेन लेट होने पर यात्रियों को हर्जाना देने वाली योजना बंद क्यों हुई?

एक RTI के जवाब में IRCTC ने बताया है कि 2019 में शुरू की गई उस योजना को बंद कर दिया गया है जिसमें प्राइवेट ट्रेनों के लेट होने पर यात्रियों को हर्जाना दिया जाता था।

Tejas Train

Tejas Train, Photo: Piyush Goyal X Handle

कुछ साल पहले एक योजना शुरू की गई थी कि प्राइवेट रेलवे ट्रेन अगर लेट होती है तो यात्रियों को इसका हर्जाना मिलेगा। हर घंटे की देरी पर यह हर्जाना बढ़ता जाता और ज्यादा देरी होने पर यात्रियों को खाने-पीने की चीजें भी उपलब्ध कराई जातीं। अब सूचना के अधिकार (RTI) के तहत दिए गए जवाब में IRCTC ने बताया है कि इस योजना को अब बंद कर दिया गया है। इस योजना के तहत पिछले 5 साल में लगभग 26 लाख रुपये का हर्जाना दिया भी गया था। फिलहाल गोपनीयता नीति का हवाला देते हुए यह नहीं बताया गया है कि इस योजना को बंद करने की वजह क्या थी। 

 

आईआरसीटीसी ने पांच साल पहले प्राइवेट ट्रेनों के विलंब पर यात्रियों को हर्जाना देने की योजना को बंद कर दिया है। साथ ही गोपनीयता नीति का हवाला देते हुए इस योजना को बंद करने का कारण बताने से इनकार किया है। समाचार एजेंसी भाषा को सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत दाखिल आवेदन के जवाब में यह जानकारी प्राप्त हुई। भारतीय रेलवे खानपान एवं पर्यटन निगम (आईआरसीटीसी) की स्थापना रेल मंत्रालय द्वारा रेलवे की संपूर्ण खानपान एवं पर्यटन गतिविधियों के संचालन के मूल उद्देश्य से की गई थी और वर्तमान में यह टिकट बुकिंग और प्राइवेट ट्रेनों का संचालन भी करता है।


5 साल में दिए गए 26 लाख रुपये

 

IRCTC के मुताबिक, इस योजना के तहत 4 अक्टूबर 2019 से इस वर्ष 16 फरवरी तक यात्रियों को 26 लाख रुपये हर्जाने के तौर पर दिए गए। आईआरसीटीसी द्वारा मुहैया कराई गई जानकारी के मुताबिक, अकेले 2023-24 में 15.65 लाख रुपये का हर्जाना यात्रियों को दिया गया। IRCTC ने RTI के जवाब में बताया, 'प्राइवेट ट्रेनों के विलंब या देरी से चलने की स्थिति में हर्जाना प्रदान करने वाली योजना 15 फरवरी 2024 को बंद कर दी गई।' IRCTC ने गोपनीयता नीति का हवाला देते हुए इस योजना को बंद करने का कारण बताने से इनकार किया है।

 

RTI से प्राप्त जानकारी के अनुसार, आईआरसीटीसी दो तेजस ट्रेनों का संचालन करता है जिसमें से एक नई दिल्ली से लखनऊ (चार अक्टूबर 2019 से) और दूसरी अहमदाबाद से मुंबई (17 जनवरी 2020 से) के लिए शुरू की गई थी। जानकारी के मुताबिक, यात्रियों को हर्जाना देने के पीछे का कारण यात्रियों को इन ट्रेनों के प्रति आकर्षित करना था, जो मार्केटिंग गतिविधियों का हिस्सा था। आरटीआई के तहत मिली सूचना के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में आईआरसीटीसी द्वारा दिए गए हर्जाने की बात करें तो 2019-20 में 1.78 लाख रुपये, 2020-21 में शून्य, 2021-22 में 96 हजार रुपये, 2022-23 में 7.74 लाख रुपये और 2023-24 में 15.65 लाख रुपये का हर्जाना यात्रियों को दिया गया है।

 

ट्रेन में देरी पर यात्री को दी जाने वाली हर्जाना राशि संबंधी सवाल पर IRCTC ने बताया कि 60 से 120 मिनट की देरी पर 100 रुपया और 120 से 240 मिनट के विलंब के लिए 250 रुपया यात्री को हर्जाने के तौर पर दिया जाता था। IRCTC के मुताबिक, ट्रेन के रद्द होने पर यात्रियों को पूरा किराया वापस किया जाता था और विलंब की स्थिति में यात्रियों को खाने-पीने की सुविधा भी मुहैया कराई जाती थी।

 

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