पंजाब के किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल को अस्पताल में शिफ्ट किया जाए या नहीं? इस पर सुप्रीम कोर्ट ने 2 जनवरी तक सुनवाई तक टाल दी है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को 31 जनवरी तक डल्लेवाल को मनाने का समय दिया था। जगजीत सिंह डल्लेवाल अपनी मांगों को लेकर महीनेभर से भूख हड़ताल पर बैठे हैं। उन्होंने अस्पताल में भर्ती होने से मना कर दिया था।
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को डल्लेवाल को मनाने के लिए 31 जनवरी तक का वक्त दिया था। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट पंजाब सरकार की कार्रवाई की समीक्षा करने वाली थी, लेकिन इसे 2 जनवरी तक टाल दिया।
2 जनवरी तक क्यों टली सुनवाई?
किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल काफी लंबे वक्त से भूख हड़ताल पर बैठे हैं। सोमवार को उनके अनशन के 35 दिन पूरे हो गए। 20 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को 31 दिसंबर तक डल्लेवाल को मनाने का आदेश दिया था। मंगलवार को जब इस मामले पर सुनवाई शुरू हुई तो पंजाब सरकार की ओर से पेश एडवोकेट जनरल गुरमिंदर सिंह ने 3 दिन का वक्त और मांगा। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच ने इसे 2 जनवरी तक टाल दिया।
अदालत को गुरमिंदर सिंह ने बताया कि एक टीम प्रदर्शनकारी किसानों के साथ बातचीत कर रही है और डल्लेवाल को खनौरी बॉर्डर के पास बने एक अस्थायी अस्पताल में शिफ्ट करने की कोशिश कर रही है। गुरमिंदर सिंह की दलीलें सुनने के बाद बेंच ने सुनवाई टाल दी।
पंजाब सरकार ने क्या किया?
पंजाब सरकार की ओर से एक टीम बनाई गई थी, जो 29 दिसंबर को खनौरी बॉर्डर के पास प्रदर्शनकारी किसानों के पास पहुंची थी। इस टीम ने अनशन पर बैठे डल्लेवाल को अस्पताल जाने के लिए मनाने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने इससे इनकार कर दिया।
डल्लेवाल कब मानेंगे?
MSP की लीगल गारंटी, कर्जमाफी और किसानों को पेंशन समेत कई मांगों को लेकर किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। संयुक्त किसान मोर्चा और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले किसान 13 फरवरी से पंजाब-हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी बॉर्डर पर डेरा जमाए हुए हैं। 101 किसानों के जत्थे ने 6 से 14 दिसंबर के बीच तीन बार दिल्ली कूच करने की कोशिश की थी, लेकिन हरियाणा पुलिस ने उन्हें बॉर्डर पर ही रोक दिया था। खनौरी बॉर्डर पर डल्लेवाल भूख हड़ताल पर बैठे हैं। डल्लेवाल का कहना है कि जब तक मांगें नहीं मानी जाएंगी, तब तक वो अपना अनशन खत्म नहीं करेंगे।