कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी का एक बयान विवादों में घिर चुका है। राहुल गांधी ने दावा किया कि मैं जब कृषि कानूनों के खिलाफ लड़ रहा था तब अरुण जेटली को मेरे पास धमकाने की खातिर भेजा गया। मगर मैंने उनसे कहा कि आपको नहीं पता कि आप किससे बात कर रहे हैं? राहुल गांधी के इस दावे पर दिवंगत भाजपा नेता अरुण जेटली के बेटे रोहन जेटली ने न केवल पलटवार किया, बल्कि यह भी बताया कि कृषि कानूनों के आने से पहले ही उनके पिता का निधन हो चुका था। आइये जानते हैं पूरा मामला।
नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में आयोजित अनुअल लीगल कॉन्क्लेव-2025 को संबोधित करने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी पहुंचे। उन्होंने अपने संबोधन के दौरान कृषि कानूनों का जिक्र किया। राहुल गांधी ने कहा, 'मुझे याद है जब मैं कृषि कानूनों के खिलाफ लड़ रहा था तब अरुण जेटली को मुझे धमकाने भेजा गया था। उन्होंने (अरुण जेटली) मुझसे कहा था कि अगर आप सरकार का विरोध करते रहे और कृषि कानूनों के खिलाफ लड़ाई जारी रखी तो हमें आपके खिलाफ कार्रवाई करनी पड़ेगी।' राहुल गांधी ने आगे दावा किया, 'मैंने उनकी (अरुण जेटली) तरफ देखा और कहा कि मुझे नहीं लगता कि आपको पता है कि आप किससे बात कर रहे हैं।'
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राहुल गांधी ने अरुण जेटली पर क्या दावा किया?
राहुल गांधी का वीडियो सामने आने के अरुण जेटली के बेटे रोहन जेटली ने प्रतिक्रिया दी। रोहन का कहना है कि उनके पिता एक कट्टर लोकतांत्रिक व्यक्ति थे। वह हमेशा आम सहमति पर यकीन रखते थे। रोहन जेटली ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी ने मनोहर पर्रिकर के साथ भी कुछ ऐसा ही करने की कोशिश की थी। जो हमारे बीच नहीं हैं, उनके बारे में बोलते वक्त राहुल गांधी को सचेत रहना चाहिए।
2020 में बने कृषि कानून, 2019 में हो चुका था पिता का निधन: रोहन जेटली
रोहन जेटली ने अपने एक्स पर लिखा, 'राहुल गांधी का दावा है कि मेरे दिवंगत पिता अरुण जेटली ने उन्हें कृषि कानूनों पर धमकाया था। मैं उन्हें याद दिला दूं कि मेरे पिता का निधन 2019 में ही हो चुका है, जबकि कृषि कानूनों को साल 2020 में पेश किया गया। इससे भी अहम बात यह है कि मेरे पिता के स्वभाग में किसी भी दूसरे विचार वालों को धमकाना नहीं था। वह एक कट्टर लोकतांत्रिक शख्स थे। उनका हमेशा आम सहमति बनाने में विश्वास था। अगर ऐसी कोई स्थित आती भी तो वह स्वतंत्र और खुली चर्चा की बात करते थे, ताकि सभी स्वीकार्य समाधान तक पहुंच सके। सच में वह बस ऐसे ही थे और उनकी आज भी यही विरासत है।'
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'मनोहर पर्रिकर के साथ भी ऐसा ही किया'
मैं राहुल गांधी की सराहना करूंगा कि वह उन लोगों के बारे में बोलते समय सावधानी बरतें, जो हमारे बीच नहीं हैं। उन्होंने मनोहर पर्रिकर के साथ भी ऐसा ही करने की कोशिश की। उनके आखिरी दिनों का सियासीकरण भी उतना ही घटिया था।