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हक के लिए बुलानी पड़ती है पुलिस, दलितों पर अत्याचार की पूरी कहानी

राजस्थान में हाल ही दो ऐसे मामले सामने आए हैं, जो बताते हैं कि आज भी दलितों पर किस हद तक अत्याचार किए जा रहे हैं। ऐसे में जानते हैं कि दलितों पर अत्याचार पर कानून क्या है और आंकड़े क्या कहते हैं?

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पुलिस की मौजूदगी में घोड़ी चढ़े विजय। (Photo Credit: PTI)

पहला केसः राजस्थान के झुंझनू के पचेरी कला में ईंट भट्टी चलाने वाले विनोद यादव ने चिमन लाल को सिर्फ इसलिए पीट दिया, क्योंकि उसने पानी का मटका छू दिया था। चिमन लाल दलित है और उसने सिर्फ मटके से पानी पीने की कोशिश की थी। विनोद ने पहले चिमन लाल को लात मारी। फिर उसे हरियाणा के रेवाड़ी ले जाकर बेल्ट से मारा। आखिर में उसके परिवार से 1.5 लाख की फिरौती मांगी। फिरौती मिलने के बाद चिमन लाल को छोड़ा गया।


दूसरा केसः राजस्थान के ही अजमेर जिले के लवेरा गांव में एक शादी में बाराती से ज्यादा पुलिसकर्मी थे। शादी नारायण खोरवाल की बेटी अरुणा की थी। दूल्हे बने विजय घोड़ी पर आ रहे थे। शादी दलित समाज की थी और दूल्हा घोड़ी पर आ रहा था और कोई बवाल न हो इसलिए नारायण ने पुलिस से सुरक्षा मांगी थी। दूल्हे की सुरक्षा के लिए एसपी, एएसपी और डीएसपी समेत कई पुलिसकर्मी तैनात थे।


ये दो मामले बताते हैं कि कैलेंडर पर सिर्फ तारीख और साल बदलते हैं, लोगों की सोच नहीं। ये सबकुछ 2025 में हो रहा है। याद होगा पिछले साल बिहार के नवादा में दलितों की पूरी की पूरी बस्ती जला दी गई थी।

खत्म नहीं हो रहा दलितों पर अत्याचार

राजस्थान के झुंझनू और अजमेर जिले की घटनाएं हाल-फिलहाल की हैं। दलितों पर अत्याचार के मामलों में राजस्थान दूसरे नंबर पर है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़े बताते हैं कि देश में दलितों पर अत्याचार की घटनाएं कम होने की बजाय लगातार बढ़ती ही जा रहीं है। 


NCRB के आंकड़ों के मुताबिक, 2018 के बाद से हर साल दलितों के खिलाफ अत्याचार मामले बढ़े हैं। 2018 में दलितों के खिलाफ अपराध के 42,793 मामले दर्ज किए गए थे। 2022 में देशभर में 57,582 मामले दर्ज हुए थे। इस हिसाब से देश में हर दिन औसतन 157 मामले दर्ज किए गए। इससे पहले 2021 में 50,900 मामले दर्ज किए गए थे। 

 

दलितों पर अत्याचार के कितने मामले?
2018 42,793
2019 45,935
2020 50,291
2021 50,900
2022 57,582
Source: NCRB

यूपी-राजस्थान में सबसे ज्यादा अत्याचार

रिपोर्ट बताती है कि दलितों पर अत्याचार करने में उत्तर प्रदेश और राजस्थान सबसे आगे है। 2022 में यूपी में दलितों के खिलाफ अपराध के 15,368 मामले सामने आए थे। दूसरे नंबर पर राजस्थान रहा था, जहां 8,752 मामले सामने आए थे। तीसरे नंबर पर मध्य प्रदेश (7,733), चौथे पर बिहार (6,509) और 5वें नंबर पर ओडिशा (2,902) था।


NCRB की रिपोर्ट के मुताबिक, हर दिन औसतन 12 दलित महिलाओं के साथ रेप हो रहा है। इसके मुताबिक, 2022 में दलित महिलाओं के साथ रेप के 4,241 मामले दर्ज किए गए थे। इतना ही नहीं, रेप के 1,406 मामले ऐसे थे, जिनमें पीड़िता की उम्र 18 साल से कम थी। वहीं, हर दिन औसतन 2 से 3 दलितों की हत्या भी हो जाती है। 2022 में 975 दलितों की हत्या हुई थी।


रही बात कन्विक्शन की तो दलितों पर अत्याचार के मामलों में आरोपियों की सजा मिलने की दर 34 फीसदी थी। इससे पहले 2021 में कन्विक्शन रेट 36 फीसदी था।

कानून क्या है?

दलित और आदिवासियों की सुरक्षा के लिए 1989 में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचारण निवारण) कानून लाया गया था. इसे आम भाषा में SC/ST एक्ट भी कहा जाता है। ये कानून हर उस व्यक्ति पर लागू होता है जो दलित नहीं है। 


इस कानून मकसद दलितों और आदिवासियों को किसी भी तरह के उत्पीड़न से बचाना है। इसके तहत स्पेशल कोर्ट भी बनाई जाती है, ताकि मामलों को जल्द से जल्द निपटाया जा सके। 


2018 में सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून के तहत दर्ज मामलों में तुरंत गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का जमकर विरोध हुआ था। इसके बाद केंद्र सरकार ने कानून में संशोधन कर दिया था। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी इस संशोधित कानून को मंजूरी दे दी थी।

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