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नदियां, जिनकी वजह से कश्मीर से उत्तराखंड तक बेहाल हैं देश के कई राज्य

भारत के 3 राज्य और 1 केंद्र शासित प्रदेश बाढ़ की वजह से बेहाल हैं। हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब में बाढ़ लोगों की जान निगल रही है। जम्मू और कश्मीर में हालात बेहद खराब हैं। किन नदियों की वजह से ऐसा हुआ है, समझिए।

Kullu Flood

हिमाचल प्रदेश का कुल्लू भी बाढ़ की आपदा से जूझ रहा है। (Photo Credit: PTI)

पहाड़ी इलाकों से लेकर मैदानी इलाकों तक, देश के कई राज्य भीषण बाढ़ का सामना कर रहे हैं। उत्तराखंड, पंजाब और हिमाचल प्रदेश में बाढ़ की वजह से भीषण तबाही मची है। मॉनसून की शुरुआत से अब तक, हजारों करोड़ रुपये की संपत्ति का नुकसान हुआ है, कई लोगों की जान जा चुकी है। उत्तर प्रदेश और दिल्ली में भी बाढ़ का कुछ ऐसा ही हाल है।

दिल्ली में यमुना नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। मयूर विहार से लेकर मोनेस्ट्री बाजार तक पानी भरा है। उत्तर प्रदेश में मथुरा शहर का बुरा हाल है। भारत के किस राज्य में किन नदियों में आई बाढ़ ने कितनी तबाही मचाई है, आइए इसे समझते हैं।

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पंजाब आपदा:  सब कुछ जो आप जानना चाहते हैं

पंजाब के सभी 23 जिले बाढ़ की वजह से प्रभावित हैं। राज्य के 1900 से ज्यादा गांव बाढ़ की चपेट में हैं। बाढ़ की जद में 3.5 लाख से ज्यादा आबादी है। लाखों लोग विस्थापित हैं। फसलें तबाह हो गईं हैं। अब तक सैकड़ों मवेशी मारे जा चुके हैं। पंजाब में 40 से ज्यादा लोगों की मौत बारिश और बाढ़ की आपदा में हो चुकी है। 

  • नुकसान: पंजाब 1988 के बाद सबसे विनाशकारी बाढ़ से जूझ रहा है। 23 जिलों में 1400 गांव बाढ़ की चपेट में हैं। अब तक 21,929 लोगों को बाढ़ग्रस्त इलाकों से निकाला गया है। 196 राहत शिविर स्थापित किए गए हैं। फाजिल्का, होशियारपुर, फिरोजपुर और पठानकोट में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। सेना, NDRF और SDRF के जवान लोगों कोा रेस्क्यू कर रहे हैं।  बाढ़ की वजह से पंजाब में 1.71 लाख हेक्टेयर से ज्यादा खेत पानी में डूब गए। धान, कपास और मक्के की फसलें डूब गईं। 

  • वजह: हिमाचल और जम्मू-कश्मीर से आया पानी तबाही की वजह बना। इन पहाड़ी इलाकों में हुई भारी बारिश और भूस्खलन की वजह से सतलुज, ब्यास और रावी नदियों में पानी आया। पंजाब के निचले इलाके डूब गए। मौसमी नाले भी उफान पर थे। जल जमाव, गांव-गांव पहुंच गया। कई तटबंध टूट गए। लुधियाना और तरनतारन में कई गांव पूरी तरह से डूब गए हैं। 

  • प्रभावित इलाके: गुरदासपुर, पठानकोट, अमृतसर, तरनतारन, फाजिल्का, फिरोजपुर, होशियारपुर, कपूरथला, जालंधर, लुधियाना, पटियाला, और मानसा सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। 
  • नदियां जिनकी वजह से बाढ़ आई: पंजाब में आई आपदा के लिए सतुलज, ब्यास, रावी और घघ्घर नदियों में आई बाढ़ जिम्मेदार है। नदियों का जल स्तर खतरे के निशान से ऊपर है। पंजाब में अगस्त महीने में 74 फीसदी से ज्यादा बारिश दर्ज की गई है। भारी बारिश की वजह से पौंग बांध, भाखड़ा-नंगल बांध, रणजीत सागर बांध और शाहपुर कंडी बांध में जल स्तर खतरे के निशान को पार कर दिया। बांधों को बचाने के लिए पानी छोड़ना पड़ा।
कपूरथला में बाढ़ के बादाल हालात। (Photo Credit: PTI)


क्या है इन नदियों की कहानी 

सतलुज, ब्यास, रावी और घग्घर नदियां हिमालय से निकलती हैं। सतलुज तिब्बत के मानसरोवर झील के पास राक्षस ताल से शुरू होकर पंजाब तक लगभग 1,450 किमी दूरी तय करती है। ब्यास हिमाचल प्रदेश के रोहतांग दर्रे से निकलकर 470 किमी की यात्रा कर पंजाब पहुंचती है। रावी हिमाचल के चंबा जिले से निकलती है। यह नदी 720 किमी की दूरी तय करती है। पंजाब में करीब 150 किलोमीटर का सफर तय करती है। घघ्घर नदी भी शिवालिक की पहाड़ियों से निकलती है। यह नदी हरियाणा के कालका से भी होकर गुजरती है, राजस्थान तक जाती है। ये नदियां खेती के लिए वरदान मानी जाती हैं, अब तबाही मचा रही हैं।

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जम्मू और कश्मीर आपदा: सब कुछ जो आप जानना चाहते हैं

अगस्त से सिंतबर तक हुई भीषण बारिश ने कश्मीर में बड़ी तबाही मचाई है। श्रीनगर, रामबन, डोडा, कठुआ और अनंतनाग जैसे जिले बाढ़ की मार झेल रहे हैं। भूस्खलन और बाढ़ की वजह से 130 से ज्यादा मौतें हो गई हैं। बाढ़, भूस्खलन और बादल फटने की वजह से इस केंद्र शासित प्रदेश में तबाही मची। पोंग और भाखड़ा बांध से पानी छोड़ने की वजह से भी तबाही मची। कश्मीर का देश के बाकी हिस्सों से संपर्क कट गया है। जम्मू-कश्मीर नेशनल हाइवे के कई हिस्से क्षतिग्रस्त हैं। सैकड़ों गाड़ियां फंस गई हैं।

  • प्रभावित इलाके: श्रीनगर, रामबन, डोडा, कठुआ और अनंतनाग।
  • नुकसान: जम्मू और कश्मीर में बाढ़ की वजह से धान और मक्के की फसलें तबाह हो गई हैं। 25850 हेक्टेयर में फैली फसल खराब हुई है। 
  • नदियां जो जिम्मेदार हैं: झेलम, चिनाब, तवी, रावी और सतलुज।
जम्मू और कश्मीर के रामबन में चेनाब नदी खतरे के निशान के पार बह रही है। (Photo Credit: PTI)

क्या है इन नदियों की कहानी? 

झेलम नदी पीर पंजाल रेंज से निकलती है। यह नदी कश्मीर, खैबर पख्तूनख्वा और पंजाब प्रांत से होकर गुजरती है। वेरिनाग झरना इसका उद्गम स्थल माना जाता है। चिनाब नदी बारालाचा दर्रे से निकलती है। चिनाब का पानी कश्मीर से लेकर पाकिस्तान तक बहता है। तवी नदी डोडा जिले के भद्रवाह कैलाश कुंड ग्लेशियर या कालीकुंड से निकलती है। यह चिनाब नदी में मिल जाती है। डोडा में आई बाढ़ के लिए यह नदी भी जिम्मेदार है। यह नदी उधमपुर, चेनानी और जम्मू से होकर गुजरती है। सतलुज तिब्बत के मानसरोवर झील से निकलती है, वहीं रावी हिमाचल के चंबा जिले से निकलती है। ये नदियां मैदानी इलाकों के लिए उपजाऊ थीं लेकिन अब इन्हीं इलाकों में मुश्किलें बढ़ा रही हैं। 

 

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उत्तराखंड आपदा: सब कुछ जो आप जानना चाहते हैं

उत्तराखंड में भी अगस्त से सितंबर के बीच में भीषण तबाही मची है। बाढ़, बादल फटने और बारिश की वजह से उत्तराखंड में हालात बेहद गंभीर हैं। धराली से लेकर चमोली तक भीषण तबाही मची है। राज्य में सड़कें, पुल और फसलें बुरी तरह से तबाह हुईं हैं।

  • प्रभावित इलाके: उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग, टिहरी और हरिद्वार।
  • नुकसान: 1 अप्रैल से 31 अगस्त तक बारिश और बाढ़ की वजह से 1,944.15 करोड़ रुपये की क्षति सरकार को हुई है, लोक निर्माण विभाग को 1,163.84 करोड़ रुपये की क्षति पहुंची है। ऊर्जा विभाग को 123.17 करोड़, स्वास्थ्य सेवाओं को 4.57 करोड़ और स्कूल शिक्षा सुविधाओं को 68.28 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। राज्य ने क्षतिग्रस्त बुनियादी ढांचे के पुनर्निर्माण के लिए 1,944.15 करोड़ और जोखिमग्रस्त सड़कों, पुलों और अन्य सार्वजनिक बुनियादी ढांचे को स्थिर करने के लिए 3,758 करोड़ रुपये की मांग की है। इस मानसून में 79 लोगों की जान गई, 115 घायल हुए और 90 लापता हैं। लगभग 3,953 पशुधन भी मरे। 2,835 पक्के और 402 कच्चे मकानों को गंभीर नुकसान पहुंचा।  
  • नदियां जो जिम्मेदार हैं: अलकनंदा, मंदाकिनी, भागीरथी, खीर गंगा और गंगा
हरिद्वार में गंगा नदी का हाल। (Photo Credit: PTI)

क्या है इन नदियों की कहानी?  

अलकनंदा नदी संतोपथ ग्लेशियर से निकलती है। मंदाकिनी नदी चोराबारी ग्लेशियर से निकलती है। भागीरथी नदी गंगोत्री ग्लेशियर के गोमुख से निकलती है। खीरगंगा नदी श्रीकंठ पर्वत से निकलती है। गंगा, अलकनंदा और भागीरथी नदी के संगम से बनती है। ये नदियां देव प्रयाग में मिलतीं हैं। ये नदियां, भारत के मैदानी इलाकों में सिंचाई की रीढ़ हैं। 

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चमोली में भूस्खलन के बाद के हालात। (Photo Credit: PTI)

हिमाचल प्रदेश आपदा: सब कुछ जो आप जानना चाहते हैं

यह राज्य, बाढ़ और बारिश से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य है। यहां के कई जिले संकटग्रस्त स्थिति में पहुंच गए हैं। हिमाचल प्रदेश में अब तक 95 से ज्यादा बार अचानक बाढ़ आई है। 45 बार बादल फटे हैं।  

  • नुकसान: बारिश और बादल फटने के बाद 343 लोगों की मौत हो चुकी है। 43 लोग लापता हैं। राज्य को 3,690 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। हिमाचल प्रदेश प्रदेश में इतनी तबाही मची है कि सबको मुआवजा दे पाना मुश्किल है। हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपील की है कि नुकसान झेलने वाले लोगों को 1 बीघा जमीन दिया जाए। सरकार की मांग है कि इस आपदा से निपटने के लिए कम से कम 3,000 करोड़ रुपये की मदद मिले। राज्य की लगभग 68 प्रतिशत भूमि वन भूमि के रूप में वर्गीकृत है। 
  • प्रभावित इलाके: कुल्लू, मंडी, चंबा, कांगड़ा, और किन्नौर में ज्यादा तबाही मची है।  
  • नदियां जो जिम्मेदार हैं: ब्यास, सतलुज, रावी, और स्वां नदी
मंडी में ब्यास नदी में बाढ़ के बाद हालात। (Photo Credit:  PTI)

क्या है इन नदियों की कहानी?

ब्यास हिमाचल प्रदेश के रोहतांग दर्रे से निकलती है। यह नदी हिमाचल, पंजाब और कश्मीर तक फैली है। मैदानी इलाकों में सींचाई की रीढ़ है। सतलुज का उद्गम स्थल कैलाश पर्वत है। रावी नदी भी कैलाश से निकलती है। स्वां नदी का उद्गम स्थल ब्यासकुंड है। इन नदियों से पंजाब से लेकर पाकिस्तान तक की जमीनों को पानी मिलता है। ये नदियां, सिंचाई में अहम योगदान देतीं हैं। अभी ये नदियां, कई राज्यों के लिए मुसीबत का सबब बनी हुई हैं।

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