हर दिन 52 मांओं की मौत; लीला साहू की मांग क्यों वाजिब है?
सीधी की रहने वाली लीला साहू ने सड़क बनवाने की मांग की तो बीजेपी सांसद राकेश मिश्रा ने कहा कि डिलीवरी की डेट बता दीजिए, एक हफ्ते पहले उठवा लेंगे। ऐसे में जानते हैं कि भारत में मातृ मृत्यु दर को लेकर आंकड़े क्या कहते हैं?

लीला साहू। (Photo Credit: Social Media/AI Generated)
मध्य प्रदेश के सीधी से बीजेपी सांसद राकेश मिश्रा से जब गर्भवती महिलाओं ने सड़क बनाने की मांग की तो उन्होंने कहा कि 'डिलीवरी की डेट बता दीजिए, एक हफ्ते पहले उठवा लेंगे।' यह मांग लीला साहू नाम की महिला की ओर से की गई थी। लीला साहू ने इस लेकर एक वीडियो शेयर करते हुए लिखा था, 'ओ सांसद जी, सड़क बनवा देई न'। इसी को लेकर सीधी से सांसद राकेश शर्मा से सवाल किया गया था।
दरअसल, सालभर पहले राकेश मिश्रा ने सीधी के खड्डी खुर्द गांव में सड़क बनाने का वादा किया था। सड़क नहीं बनी तो लीला साहू ने एक वीडियो जारी किया।
लीला साहू ने कहा, 'जब आप में हिम्मत नहीं थी तो सड़क बनवाने का वादा क्यों किया? आप पहले ही बता देते कि आप में हिम्मत नहीं है तो मैं आपसे बड़े नेताओं से मिलती। नितिन गडकरी से मिलती या नरेंद्र मोदी से मिलती। अर्जी देती तो सुनवाई होती। आपके बस का नहीं था तो आपने वादा क्यों किया?'
लीला साहू को राकेश मिश्रा का बेतुका जवाब!
लीला साहू ने अपने इस वीडियो में सड़क बनवाने की मांग करते हुए कहा, 'मैं गर्भवती हूं। नौवां महीना चल रहा है। कुछ भी करके सड़क बनवाइए। किसी भी समय हमको जरूरत पड़ गई तो हम क्या करेंगे? एंबुलेंस यहां तक न आ पाई तो सबके जिम्मेदार आप होंगे, मैं बता दे रही हूं।'
O sansad @DrRajesh4BJP ji सड़क बनवा देई न pic.twitter.com/6iOWNz7AmR
— Leela sahu (@Leelasahu_mp) July 3, 2025
इस पर जब सीधी से सांसद राकेश मिश्रा से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, 'हमारे पास सुविधाएं हैं। हम व्यवस्था करेंगे। चिंता की क्या बात है। डिलीवरी की एक डेट होती है। हमें तारीख बताइए। उसके एक हफ्ते पहले हम उठवा लेंगे। इच्छा है तो यहां आकर भर्ती हो जाएं। हम सब सुविधाएं देंगे।'
उन्होंने कहा कि 'सड़क मैं नहीं बनाता हूं। इंजीनियर सर्वे करता है, कोई ठेकेदार बनाता है। ऐसे में दो-तीन साल तो लग ही जाते हैं।'
BJP should consider an “art of public dealing” course for their MP/MLAs.
— THE SKIN DOCTOR (@theskindoctor13) July 12, 2025
During the 2024 Lok Sabha campaign for Sidhi seat (Madhya Pradesh), Rajesh Mishra visited Khaddi Khurd village and promised the villagers he’d get a road built for them.
A year passed and nothing happened.… pic.twitter.com/vi4w0uvIkd
बीजेपी सांसद राकेश मिश्रा ने लीला साहू की मांग को सोशल मीडिया पर प्रसिद्धि पाने का जरिया भी बताया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उनसे पहले कांग्रेस के नेता थे, उन्होंने कुछ नहीं किया।
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सड़क और अस्पताल जरूरी
सड़क न होने के कारण समय पर अस्पताल न पहुंच पाने के कारण कितनी मांओं की मौत हो जाती है? इसे लेकर कोई आंकड़ा नहीं है। हालांकि, कई बार ऐसे मामले सामने जरूर आते हैं, जब सड़क न होने या एंबुलेंस के न पहुंच पाने के कारण गर्भवती महिलाओं की मौत हो जाती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट के मुताबिक, 2023 में 2.60 लाख से ज्यादा महिलाओं की मौत प्रेग्नेंसी के दौरान या बच्चे को जन्म देते समय हो गई। WHO का कहना है कि इनमें से ज्यादातर मौतों को रोका जा सकता था।
इसी तरह एक स्टडी हुई थी। इसमें बताया गया था कि 2007 से 2014 के बीच जितनी मांओं की मौत हुई थी, उनमें से 51.4% मौतें अस्पतालों या हेल्थ फैसिलिटी में हुई थी। वहीं, एक तिहाई यानी 30.2% मौतें घर पर और 8.4% मौतें अस्पताल जाते समय रास्ते में ही हो गई थी।
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मातृ मृत्यु दर में नाइजीरिया के बाद भारत
WHO के मुताबिक, भारत में मातृ मृत्यु दर में कमी आई है। हालांकि, अब भी भारत में नाइजीरिया के बाद सबसे ज्यादा मांओं की मौतें हो जाती हैं। मातृ मृत्यु दर तब माना जाता है जब किसी महिला की प्रेग्नेंसी के दौरान या बच्चे को जन्म देने के 42 दिन के भीतर मौत हो जाती है।
WHO का कहना है कि हर महिला को प्रेग्नेंसी के दौरान और बाद में कई हफ्तों तक स्वास्थ्य देखभाल की जरूरत होती है। सभी महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान और बाद में स्वास्थ्य सुविधाएं मिलनी चाहिए, क्योंकि समय पर सहायता और इलाज मिलना मां और बच्चे दोनों के लिए जरूरी है।
WHO की रिपोर्ट बताती है कि 2023 में दुनियाभर में 2.60 लाख से ज्यादा मांओं की मौत हो गई थी। सबसे ज्यादा 75 हजार मौतें नाइजीरिया में हुई थीं। दूसरे नंबर पर भारत रहा, जहां 19 हजार माओं की मौत हुई थी। इस हिसाब से देखा जाए तो हर दिन औसतन 52 मांओं की मौत हो जाती है।
हालांकि, यह रिपोर्ट यह भी बताती है कि भारत में मातृ मृत्यु दर में काफी कमी आई है। रिपोर्ट की मुताबिक, 2000 ती तुलना में 2023 में मातृ मृत्यु दर काफी घट गई है। साल 2000 में 1 लाख जन्म पर 362 मांओं की मौत हो जाती थी। 2023 में यह घटकर 80 मौतों पर आ गया। यानी, 2023 में हर 1 लाख जन्म पर 80 मांओं की मौत हो जाती है।
WHO की रिपोर्ट बताती है कि दुनियाभर में जितनी मांओं की मौत होती है, उनमें से 7.2% मौतें भारत में होती है।
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