कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सोमनहल्ली मल्लैया कृष्णा नहीं रहे। दुनिया उन्हें एसएम कृष्णा के नाम से जानती है। जिस आधुनिक रूप में बेंगलुरु नजर आता है, उसे संवारने के लिए एसएम कृष्णा ने खूब काम किया था। 92 साल की उम्र में उनका निधन हो गया।
एसएम कृष्णा देश के विदेश मंत्री भी रहे हैं। साल 1999 से 2004 के बीच उन्होंने कर्नाटक की कमान संभाली। उनके उल्लेखनीय कामों की वजह से साल 2023 में उन्हें पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वे कांग्रेस में 45 साल रहे, साल 2017 में वे भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए थे।
'ब्रांड बेंगलुरु के ब्रांड एंबेसडर'
एसएम कृष्णा को आधुनिक बेंगलुरु का डिजाइनर माना जाता है। उन्होंने ब्रांड बेंगलुरु के लिए काम किया है। उनके कार्यकाल के दौरान ही बेंगलुरु आईटी हब बना। हजारों लोगों रोजगार मिला। इन सभी कारकों में से, कृष्णा को कर्नाटक के मुख्यमंत्री और 'ब्रांड बेंगलुरु' के प्रवर्तक के रूप में उनके काम के लिए सबसे ज्यादा जाना जाता है। साल 2022 में उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई से अपील की थी कि वे ब्रांड बेंगलुरु को विकसित करने पर जोर दें। उन्होंने सुझाव दिया कि वे भी बैंगलोर एजेंडा टास्क फोर्स (BATF) को फिर से तैयार करें और बेंगलुरु की दिशा और दशा बदलें।
कैसे राजनीति में आए एसएम कृष्णा?
साल 1968 में वे पहली बार संसद पहुंचे। उन्होंने अपना पहला लोकसभा चुनाव जीता था। साल 1972 में उन्होंने केंद्रीय राजनीति छोड़ी और कर्नाटक की जमीनी राजनीति में भविष्य तलाशने लगे। वे विधान परिषद के लिए चुने गए। वे 1972 से 1977 के बीच वाणिज्य, उद्योग और संसदीय मामलों के मंत्री रहे। साल 1980 में वह फिर लोकसभा आए। उन्होंने 1983-84 के बीच उद्योग राज्य मंत्री और 1984-85 के दौरान वित्त राज्य मंत्री के तौर पर काम किया।
एसएम कृष्णा साल 1989-1992 तक कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष रहे। साल 1996 में वह फिर राज्यसभा के लिए चुने गए. अक्टूबर 1999 तक वे राज्यसभा सदस्य रहे। साल 1982 में, कृष्णा संयुक्त राष्ट्र में भारतीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्य भी थे। 1990 में, उन्होंने यूनाइटेड किंगडम के वेस्टमिंस्टर में एक प्रतिनिधि के तौर पर कॉमनवेल्थ पार्लियामेंट्री कन्वेंशन में हिस्सा लिया था।
कब बने कर्नाटक के मुख्यमंत्री?
एसएम कृ्ष्णा अक्टूबर 1999 से मई 2004 तक कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहे। साल 2004 में वह महाराष्ट्र के राज्यपाल बने। उनका राजनीतिक करियर 6 दशक लंबा रहा है। वह साल 2009 से 2012 के बीच में तत्कालीन यूपीए सरकार में विदेश मंत्री भी रहे हैं।
46 साल कांग्रेस में रहे, आखिरी वक्त में बीजेपी
एसएम कृष्णा जीवनभर कांग्रेस में रहे लेकिन साल 2017 में उन्होंने अपनी पुरानी पार्टी छोड़ दी। वे बीजेपी में शामिल हो गए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस भ्रमित है, इसलिए उन्होंने कांग्रेस से किनारा कर लिया। साल 2023 के विधानसभा चुनावों से कुछ महीने पहले ही उन्होंने सक्रिय राजनीति को अलविदा कह दिया।
कैसी निजी जिंदगी?
एसएम कृष्णा का जन्म 1 मई 1932 को मांड्या के सोमनहल्ली में हुआ था। उनके पिता का नाम एससी मल्लैया था। उनकी पत्नी का नाम प्रेमा था। उनकी दो बेटियां मालविका और शांभवी हैं।
कितने पढ़े लिखे थे एसएम कृष्णा?
एसएम कृष्णा ने मैसूर के महाराजा कॉलेज से ग्रेजुएशन किया था। वे बेंगलुरु लॉ कॉलेज से वकालत की पढ़ाई की थी। वे साउथ मेथोडिस्ट यूनिवर्सिटी डलास और जॉर्ज वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी भी पढ़ने गए थे। वे जब भारत लौटे तो बेंगलुरु के के रेणुकाचार्य लॉ कॉलेज में इंटरनेशनल लॉ के प्रोफेसर बने। साल 1962 में वे पहली बार विधान सभा के लिए चुने गए थे।