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सूरज से आने वाला है सौर तूफान! क्या पृथ्वी पर आ सकती है तबाही?

नासा के मुताबिक पृथ्वी पर सोलर फ्लेयर आने वाला है जिसकी वजह से पृथ्वी के बिजली ग्रिड और संचार तंत्र वगैरह को नुकसान पहुंच सकता है।

Representational Image : Photo Credit: NASA/SDO

प्रतीकात्मक तस्वीर : Photo Credit: NASA/SDO

नासा ने हाल ही में एक चेतावनी जारी की है कि सूरज से आने वाले दिनों में तीव्र सौर तूफान पृथ्वी पर बिजली ग्रिड, संचार तंत्र और नेविगेशन सिस्टम को बाधित कर सकते हैं। यह चेतावनी 14 मई, 2025 को सूरज से निकली X2.7-क्लास सौर तूफान (सोलर फ्लेयर) के बाद आई, जो इस साल का सबसे तेज सौर तूफान था। नासा की सोलर डायनामिक्स ऑब्जर्वेटरी (SDO) ने इस घटना को रिकॉर्ड किया। यह तूफान सूरज के सक्रिय क्षेत्र AR4087 से निकला था, जो अब पृथ्वी की ओर आने को है।

 

अमेरिका की नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) के अनुसार, इस तूफान ने यूरोप, एशिया और मध्य पूर्व के कुछ हिस्सों में 10 मिनट तक हाई-फ्रीक्वेंसी रेडियो संचार को बाधित किया। नासा और NOAA का स्पेस वेदर प्रेडिक्शन सेंटर इस सक्रिय सौर क्षेत्र पर नजर रख रहा है, जो लगातार शक्तिशाली विकिरण (रेडिएशन) उत्सर्जन कर रहा है।

 

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क्या होता है सौर तूफान

सौर तूफान सूरज से निकलने वाली विकिरण और चार्ज्ड कणों की तीव्र लहरें हैं, जो सौर ज्वालाओं और कोरोनल मास इजेक्शन (CME) के कारण बनती हैं। X-क्लास ज्वालाएं सबसे तीव्र होती हैं और पृथ्वी की आयनमंडल (ionosphere) को प्रभावित कर सकती हैं, जिससे सैटेलाइट सिग्नल, संचार और बिजली ग्रिड में रुकावटें हो सकती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि आम लोगों के लिए घबराने की जरूरत नहीं है, लेकिन सैटेलाइट नेविगेशन, विमानन और समुद्री संचालन से जुड़े क्षेत्रों को सतर्क रहना चाहिए।

क्या होगा असर

सौर तूफान तब होता है जब सूरज की सतह पर चुंबकीय ऊर्जा जमा होकर अचानक फटती है, जिससे सौर तूफान और CME निकलते हैं। ये चार्ज्ड कण पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र से टकराते हैं, जिससे जियोमैग्नेटिक तूफान पैदा होता है। ये तूफान कई तरह से पृथ्वी को प्रभावित कर सकते हैं:

 

बिजली ग्रिड: सौर तूफान बिजली की लाइनों पर असर डाल सकते हैं, जिससे ब्लैकआउट हो सकता है। 1989 में कनाडा के क्यूबेक में सौर तूफान की वजह से 12 घंटे तक बिजली गुल हो गई थी, जिससे लाखों लोग प्रभावित हुए थे।

 

संचार: विमानन और समुद्री संचार के लिए जरूरी हाई-फ्रीक्वेंसी रेडियो सिग्नल बाधित हो सकते हैं। 14 मई, 2025 को मध्य पूर्व, यूरोप और एशिया में 10 मिनट का रेडियो ब्लैकआउट इसका उदाहरण है।

 

सैटेलाइट और जीपीएस: इसके अलावा सैटेलाइट्स के सर्किट खराब हो सकते हैं, और जीपीएस में खराबी आ सकती हैं। 2006 में एक X-क्लास तूफान ने सैटेलाइट कम्युनिकेशन को प्रभावित किया था, जिससे कई फ्लाइट्स को रास्ता बदलना पड़ा।

 

इलेक्ट्रॉनिक उपकरण हो सकते हैं प्रभावित: नासा ने चेतावनी दी है कि आगे की सौर तूफान अंतरिक्ष यात्रियों, सैटेलाइट्स और पृथ्वी की तकनीकों, जैसे जीपीएस, विमानन संचार और बिजली बुनियादी ढांचे को प्रभावित कर सकती हैं। औरोरा विशेषज्ञ विंसेंट लेडविना ने X पर लिखा, “यह स्थिति गंभीर हो रही है, खासकर क्योंकि यह सक्रिय क्षेत्र पृथ्वी की ओर बढ़ रहा है। इसने कुछ घंटे पहले M5.3 तूफान भी पैदा किया था। आगे क्या होगा, यह देखना होगा।’ सूरज इस समय अपने 11 साल के सौर चक्र के चरम (सोलर मैक्सिमम) पर है।

 

अंतरिक्ष यात्रियों के लिए जोखिम: सौर तूफान से निकलने वाली रेडिएशन अंतरिक्ष यात्रियों और ऊंचाई पर उड़ने वाले विमानों के लिए खतरा पैदा करती है। 2025 में नासा का ICESat-2 उपग्रह तूफान के कारण आइडल मोड में चला गया था।

 

औरोरा: सौर तूफान खूबसूरत औरोरा (उत्तरी या दक्षिणी रोशनी) पैदा करते हैं, जो असामान्य स्थानों, जैसे उत्तरी भारत, में दिख सकते हैं। मई 2024 में एक G5-स्तर के सौर तूफान की वजह से लद्दाख में औरोरा दिखा था।

 

2025 का सौर तूफान: क्या हुआ?

14 मई, 2025 को सूरज के सक्रिय क्षेत्र AR4087 से X2.7-क्लास की फ्लेयर निकली, जो इस साल की सबसे शक्तिशाली फ्लेयर थी। यह ज्वाला सुबह 8:25 UTC (1:55 PM IST) पर अपने चरम पर थी और इसने यूरोप, एशिया और मध्य पूर्व में संचार को प्रभावित किया। NOAA के अनुसार, इस तूफान ने आयनमंडल को आयनित कर दिया, जिससे रेडियो सिग्नल बाधित हुए। इसके कुछ घंटे पहले AR4087 ने M5.3-क्लास की फ्लेयर भी पैदा की थी, जो दर्शाता है कि यह क्षेत्र काफी सक्रिय है।

 

नासा और NOAA इस क्षेत्र पर लगातार नजर रख रहे हैं, क्योंकि यह अब इसके पृथ्वी की तरफ आने की संभावना है। अगर AR4087 से कोई CME (कोरोनल मास इजेक्शन) पृथ्वी की ओर आता है, तो यह G1 से G3 स्तर का जियोमैग्नेटिक तूफान पैदा कर सकता है। 19 मई को एक CME निकला था, जिसके 23 मई को हल्का तूफान (G1 स्तर) लाने की संभावना है। यह तूफान औरोरा को बढ़ावा दे सकता है, जो ब्रिटेन, आयरलैंड और उत्तरी भारत में दिख सकता है।

पहले भी हो चुकी है घटना

पिछले सौर तूफानों ने हमें इसके खतरों के बारे में बहुत कुछ सिखाया है:


1989 क्यूबेक ब्लैकआउट: एक शक्तिशाली सौर तूफान ने कनाडा के क्यूबेक में 12 घंटे तक बिजली गुल कर दी, जिससे 6 मिलियन लोग प्रभावित हुए। ट्रांसफार्मर जल गए, और लाखों डॉलर का आर्थिक नुकसान हुआ।

 

2003 हैलोवीन तूफान: इस तूफान ने स्वीडन में बिजली के ग्रिड को नुकसान पहुंचाया और कई सैटेलाइट्स को प्रभावित किया। दक्षिण अफ्रीका में बिजली की सप्लाई में रुकावटें हुईं, और विमानों को ध्रुवीय क्षेत्रों से बचने के लिए रास्ता बदलना पड़ा।


मई 2024 तूफान: यह G5-स्तर का तूफान था, जो 20 साल में सबसे तीव्र था। इसकी वजह से भारत के लद्दाख में औरोरा लाइट्स दिखीं और इसने सैटेलाइट्स और जीपीएस को प्रभावित किया, जिससे कुछ फ्लाइट्स में देरी हुई।


लोगों पर होगा क्या असर

सामान्य रूप से तो सौर तूफान का मानव शरीर पर कोई ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता है क्योंकि  पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र और वायुमंडल (Atmosphere) सूरज से आने वाली अधिकांश हानिकारक विकिरण को रोक लेते हैं। नासा के अनुसार, सौर तूफान से निकलने वाली X-रे और गामा किरणें आयनमंडल (Ionosphere) में अवशोषित हो जाती हैं

 

हालांकि, कुछ अध्ययनों में दावा किया गया है कि तीव्र जियोमैग्नेटिक तूफान हृदय गति, रक्तचाप, या मानसिक स्वास्थ्य (जैसे तनाव और चिंता) पर मामूली प्रभाव डाल सकते हैं, लेकिन यह वैज्ञानिक रूप से पूरी तरह सिद्ध नहीं है। उदाहरण की बात करें तो 2003 के हैलोवीन सौर तूफान के दौरान कुछ लोगों ने सिरदर्द या नींद में परेशानी की शिकायत की थी, लेकिन इसका कोई ठोस सबूत नहीं मिला।

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