सरकारों के लिए 'खराब' नहीं है शराब! जानें इससे कितना कमाती हैं सरकारें
पहले दिलजीत दोसांझ और अब हनी सिंह ने शराबबंदी की चुनौती दी है। हालांकि, सरकारें कमाई के कारण चाहकर भी शराब पर प्रतिबंध नहीं लगा पातीं।

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पहले दिलजीत दोसांझ और अब हनी सिंह ने शराबबंदी की चुनौती दी है। हालांकि, सरकारें कमाई के कारण चाहकर भी शराब पर प्रतिबंध नहीं लगा पातीं।
सिंगर-रैपर हनी सिंह ने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि अगर शराब के ठेके बंद होते हैं तो वो इसका समर्थन करेंगे। उन्होंने कहा कि शराब से बड़ा मुनाफा होता है। शराब के ठेके बंद कर देश को ड्राई कंट्री बना दीजिए तो मैं इसका समर्थन करूंगा।
हनी सिंह से पहले पंजाबी सिंगर दिलजीत दोसांझ ने भी इसी तरह की बात कही थी। पिछले महीने दिलजीत दोसांझ की कॉन्सर्ट के बाद तेलंगाना सरकार ने हिदायत देते हुए कहा कि इन सबमें शराब और ड्रग्स वाले गाने न गाएं। इस पर रिएक्ट करते हुए दिलजीत ने कहा था, 'आप सारे ठेके बंद कर दीजिए, जिंदगी भर शराब पर गाना नहीं गाऊंगा।'
सिर्फ 5 राज्यों में शराबबंदी
शराब एक ऐसा विषय है, जिस पर अक्सर बहस होती है। शराब को खराब तो बताया जाता है लेकिन सरकारों की इससे मोटी कमाई होती है। इसी साल जून में ओडिशा सरकार शराबबंदी करने की तैयारी कर रही थी। मगर ऐसा नहीं कर सकी।
अभी देश में बिहार, गुजरात, मिजोरम, नागालैंड और लक्षद्वीप में पूरी तरह से शराब पर प्रतिबंध है। गुजरात पहला राज्य था जिसने सबसे पहले शराबबंदी की थी। बिहार में 2015 से शराबबंदी है। हरियाणा में 1996 में शराबबंदी लागू की गई थी, लेकिन दो साल बाद ही 1998 में इसे हटा लिया गया। आंध्र प्रदेश में 1995 में शराब पर प्रतिबंध लगा लेकिन 1997 में सरकार ने इसे वापस ले लिया। मणिपुर में भी 1991 से शराबबंदी लागू है और दो साल पहले ही इसमें थोड़ी छूट दी गई, ताकि रेवेन्यू बढ़ाया जा सके।
आरबीआई की रिपोर्ट बताती है कि 2023-24 में सभी राज्य सरकारों ने 2.81 लाख करोड़ रुपये का रेवेन्यू शराब की बिक्री से कमाया था। इससे 5 साल पहले 2019-20 में 1.61 लाख करोड़ रुपये का रेवेन्यू आया था। यानी , 5 साल में एक्साइज ड्यूटी से होने वाली कमाई डेढ़ गुना से ज्यादा बढ़ गई।
कितना कमाती हैं सरकारें?
राज्य सरकारों की कमाई के बड़े जरियों में से एक एक्साइज ड्यूटी भी होती है। एक्साइज ड्यूटी सबसे ज्यादा शराब पर ही लगती है। इसका सिर्फ कुछ ही हिस्सा दूसरी चीजों पर लगता है।
एक रिपोर्ट बताती है कि राज्य सरकारों को सबसे ज्यादा कमाई GST से होती है। इससे औसतन 43 फीसदी रेवेन्यू आता है। इसके बाद सेल्स टैक्स और पेट्रोल-डीजल पर लगने वाले VAT से 23 फीसदी रेवेन्यू मिलता है। वहीं, एक्साइज ड्यूटी से 13 फीसदी रेवेन्यू आता है।
एक्साइज ड्यूटी से किस राज्य की कितनी कमाई?
राज्य | कमाई (2024-25) |
आंध्र प्रदेश | ₹25,597 करोड़ |
अरुणाचल प्रदेश | ₹294 करोड़ |
असम | ₹4,100 करोड़ |
छत्तीसगढ़ | ₹10,999 करोड़ |
गोवा | ₹974 करोड़ |
गुजरात | ₹155 करोड़ |
हरियाणा | ₹12,650 करोड़ |
हिमाचल प्रदेश | ₹2,884 करोड़ |
जम्मू-कश्मीर | ₹2,600 करोड़ |
झारखंड | ₹2,700 करोड़ |
कर्नाटक | ₹38,525 करोड़ |
केरल | ₹3,107 करोड़ |
मध्य प्रदेश | ₹16,000 करोड़ |
महाराष्ट्र | ₹30,500 करोड़ |
मणिपुर | ₹300 करोड़ |
मेघालय | ₹660 करोड़ |
मिजोरम | ₹2 करोड़ |
नागालैंड | ₹4 करोड़ |
ओडिशा | ₹8,680 करोड़ |
पंजाब | ₹10,350 करोड़ |
राजस्थान | ₹17,100 करोड़ |
सिक्किम | ₹450 करोड़ |
तमिलनाडु | ₹12,247 करोड़ |
तेलंगाना | ₹25,617 करोड़ |
त्रिपुरा | ₹477 करोड़ |
उत्तराखंड | ₹4,439 करोड़ |
उत्तर प्रदेश | ₹58,307 करोड़ |
पश्चिम बंगाल | ₹21,846 करोड़ |
दिल्ली | ₹6,400 करोड़ |
पुडुचेरी | ₹1,600 करोड़ |
Source: RBI |
कितनी शराब पीते हैं भारतीय?
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 (NFHS-5) के आंकड़ों के मुताबिक, करीब 20 फीसदी भारतीय शराब पीते हैं। यानी, 100 में से 20 भारतीय शराब पीते हैं। इनमें 19 फीसदी पुरुष और 1 फीसदी के आसपास महिलाएं हैं। शराब पीने वाले पुरुषों की संख्या शहरों की तुलना में गांवों में ज्यादा है। शहरों में रहने वाले करीब 17 फीसदी और गांवों में रहने वाले 20 फीसदी पुरुष शराब पीते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, भारत में शराब की खपत तेजी से बढ़ रही है। 2009 में एक आम भारतीय सालाना औसतन 3.8 लीटर शराब पीता था। जबकि, 2019 में बढ़कर 5.61 लीटर हो गई है।
हाल ही में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी (NIPFP) की एक रिपोर्ट आई थी। इसके मुताबिक, तेलंगाना में हर व्यक्ति सालाना औसतन 1,623 रुपये शराब पर खर्च करता है। दूसरे नंबर पर आंध्र प्रदेश है, जहां हर व्यक्ति सालभर में औसतन 1,306 रुपये की शराब पीता है।
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