दिल्ली शहर खाने-पीने की जगहों, ऐतिहासिक ढाबों और रेस्तरां के साथ-साथ कई खास डिशेज के लिए भी मशहूर है। सैकड़ों-हजारों साल में तमाम देशों के अलग-अलग खानसामे अपनी खूबियां लेकर आए और उसे दिल्ली के लिए परोसकर चले गए। आज भी दिल्ली में कई ऐसे रेस्तरां और होटल हैं जो सैकड़ों साल पुराने होने के बावजूद नई पीढ़ी के बीच काफी मशहूर हैं। कभी कोई सेलिब्रिटी या नेता वहां पहुंचता है तो वे एक नए सिरे से चर्चा में आ जाते हैं। ऐसा ही एक रेस्तरां इन दिनों चर्चा में है। इस रेस्तरां में कांग्रेस नेता और गांधी परिवार के सदस्य खाना खाने पहुंचे थे। राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, सोनिया गांधी और अन्य लोगों की तस्वीरें सामने आने के बाद दिल्ली का 'क्वालिटी' रेस्तरां चर्चा में आ गया है।
राहुल गांधी, अपनी मां सोनिया गांधी, बहन प्रियंका गांधी, जीजा रॉबर्ट वाड्रा और भांजे-भांजी के साथ इस रेस्तरां में खाना खाने पहुंचे थे। उनकी टेबल पर बड़े आकार का भटूरा भी दिखा जो इस रेस्तरां की सबसे खास और मशहूर डिशेज में से एक है। दिल्ली का दिल कहा जाने वाला यह रेस्तरां अपने ऐतिहासिक टच के लिए भी मशहूर है। दीवारों पर टंगी ऐतिहासिक पेंटिंग, महंगे झूमर, शानदार इंटीरियर और महंगी दिखने वाली सजावट इसे महंगे रेस्तरां की लाइन में खड़ा करते हैं। पंजाबी डिशेज के अलावा, चिकन, फिश, बिरयानी, मुगलई खाना, तंदूरी चिकन, चिकन मखनी, चिनक भर्ता और अन्य आइटम इस रेस्तरां की खूबी हैं। इनके अलावा आइसक्रीम तो यहां की पुरानी खासियत है ही।
कैसे शुरू हुआ Kwality?
साल 1940 का था और भारत अपनी आजादी के लिए अंग्रेजों से जूझ रहा था। अंग्रेज अब कलकत्ता के बजाय दिल्ली से भारत पर राज करते थे और नया-नया बसा शहर अब रईस नेताओं, अधिकारियों और अन्य विदेशियों का अड्डा हो गया था। ऐसे में 1940 में ही क्वालिटी रेस्तरां की शुरुआत एक आइसक्रीम पार्लर के रूप में हुई। नाम तो क्वालिटी था लेकिन गलत स्पेलिंग एक तरह से ब्रैंड की रणनीति थी इसलिए इसकी स्पेलिंग Kwality लिखी गई जबकि सही स्पेलिंग Quality है। अब पाकिस्तान का हिस्सा हो चुके लाहौर से दिल्ली आकर बसे पिशोरी लाल लांबा ने इसकी शुरुआत रीगल सिनेमा वाली बिल्डिंग में की थी जिसके मालिक का नाम सर सोभा सिंह था।
जब यह रेस्तरां शुरू हुआ उसके कुछ ही समय बाद दूसरा विश्व युद्ध शुरू हो गया और ब्रिटेन की कॉलोनी होने की वजह से भारत को भी उसका हिस्सा बनना पड़ा। उस समय बहुत सारे अमेरिका भारत में ही थी और वे इंतजार कर रहे थे कि उन्हें चीन-बर्मा-भारत थिएटर का हिस्सा बनकर लड़ने जाएंगे। जिन्हें युद्ध में नहीं जाना था, वे दिल्ली में ऐशोआराम की जिंदगी जीते थे। उस समय ये लोग दिल्ली के इन इलाकों में बन रहे नए रेस्तरां में शानदार खाना खाते, रीगल सिनेमा में फिल्में देखें और शराब पीते। इसी में पिशोरी लाल लांबा और उनके रिश्तेदार और पार्टनर इकबाल घई को मौका दिखा।
इन दोनों ने Kwality के नाम से आइसक्रीम बेचने की शुरुआत की। उस समय के अमेरिकी सैनिक ढेर सारी आइसक्रीम खाते थे। इन्हीं अमेरिकियों ने लांबा और घई की जोड़ी को कसाटा और अन्य अमेरिकी आइसक्रीम के बारे में बताया। आज भी इस तरह की आइसक्रीम इस रेस्तरां में मिल जाती हैं।
साल 1994 में हिंदुस्तान यूनीलीवर लिमिटेड ने इसे खरीद लिया और इसका नाम क्वालिटी वॉल्स हो गया। आगे चलकर यह रेस्तरां पिंडी चना और भटूरे की वजह से मशहूर हो गया। कहा जाता है कि मेनका गांधी और नरगिस जैसी मशहूर हस्तियां भी इस रेस्तरां के नियमित ग्राहकों में से रहे हैं।
अदालतों में भी खूब दौड़ा नाम
दो पार्टनर का शुरू किया हुआ बिजनेस आगे चलकर अदालतों तक भी पहुंचा। इकबाल घई के बेटे रवि और पिशोरी लाल लांबा के बीच हुआ विवाद कोर्ट तक गया। रवि घई ने आरोप लगाए कि लांबा ने अवैध तरीके से 'Kwality' का ब्रांड नाम किसी और कंपनी को दे दिया। यह मामला साल 2015-16 का है जब वाडीलाल ग्रुप ने क्वालिटी को खरीदने की कोशिश की। मौजूदा समय में घई परिवार कुछ अन्य शहरों में इसी नाम से रेस्तरां चला रहा है।
मौजूदा समय में पिशोरी लाल लांबा के परिवार की तीसरी और चौथी पीढ़ी के सदस्य इस कारोबार को आगे बढ़ा रहे हैं। भारत में एक दर्जन से ज्यादा रेस्तरां के साथ-साथ लंदन में भी इस रेस्तरां की ब्रांच है।