पैसा नहीं था, सस्ता डोमेन खरीदा; कैसे युवा अरबपति बने अरविंद श्रीनिवास
31 साल के अरविंद श्रीनिवास देश के सबसे युवा अरबपति बने हैं। उनके पास 21 हजार करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति है। वह आज अपनी कंपनी Perplexity AI के जरिये गूगल जैसी कंपनियों को टक्कर देने में जुटे हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अरविंद श्रीनिवास। (Photo Credit: X/@AravSrinivas)
M3M हुरुन इंडिया रिच लिस्ट 2025 में एक अरबपति सबसे युवा है। उम्र 31 साल और नाम अरविंद श्रीनिवास है। बुधवार को जब देश के सबसे रईस लोगों की सूची जारी हुई तो सभी को अरविंद श्रीनिवास ने हैरत में डाल दिया। तीन साल पहले अपनी नौकरी छोड़कर कंपनी शुरू करने वाले अरविंद श्रीनिवास के पास अब 21,190 करोड़ रुपये की संपत्ति है। तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में जन्मे अरविंद श्रीनिवास Perplexity AI के सह-संस्थापक और सीईओ हैं। सर्च इंजन की दुनिया में न केवल गूगल बल्कि अपने ही शहर के सुंदर पिचाई को टक्कर दे रहे हैं। मौजूदा समय में Perplexity AI के 3 करोड़ एक्टिव यूजर्स हैं। आइये जानते हैं कि अरविंद श्रीनिवास शून्य से शिखर तक कैसे पहुंचे, उनकी कंपनी की स्थापना कब हुई, यह कितनी बड़ी है और गूगल को कैसे टक्कर दे रही है।
अरविंद श्रीनिवास को बचपन से ही गणित और कंप्यूटर में बेहद रूची थी। शुरुआत से ही उन्होंने टेक्नोलॉजी और एआई रिसर्च की फील्ड में अपना करियर बनाने की ठान ली थी। आईआईटी मद्रास से ग्रेजुएशन और 2017 में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। इसके बाद श्रीनिवास ने कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय से कंप्यूटर साइंस में पीएचडी की डिग्री हासिल की। यहां उन्होंने रीइन्फोर्समेंट लर्निंग और प्रेडिक्टिव कोडिंग का ज्ञान हासिल किया। पीएचडी शोध के दौरान ही डीपमाइंड और ओपनएआई में इंटर्नशिप की। 2021 में अरविंद श्रीनिवास की ओपनएआई में दोबारा वापसी हुई। यहां उनका सफर महज एक साल ही चल सका।
पीएचडी शोध के दौरान अरविंद श्रीनिवास की एक मेल के माध्यम से डेनिस याराट्स से पहली बातचीत हुई। दोनों के बीच दोस्ती हो गई और बातचीत का सिलसिला जारी रहा। जुलाई 2022 में अरविंद श्रीनिवास और याराट्स ने एक स्टार्टअप शुरू करने का निर्णय लिया। इसमें जॉनी हो और यूसी बर्कले के पूर्व छात्र एंड्रयू कोनविंस्की ने उनका साथ दिया।
Perplexity के संस्थापक कौन?
- अरविंद श्रीनिवास: ओपनएआई और डीपमाइंड में काम कर चुके।
- सीटीओ डेनिस याराट्स: मेटा में एआई रिसर्च वैज्ञानिक रह चुके।
- जॉनी हो: क्वोरा में एक इंजीनियर के तौर पर काम किया।
- एंडी कोनविंस्की: डेटाब्रिक्स की संस्थापक टीम का हिस्सा रहे।
Perplexity का मतलब क्या होता है?
चारों दिग्गजों ने लंबी माथापच्ची के बाद कंपनी का नाम Perplexity रखा। अब आप सोच रहे होंगे कि Perplexity कितना अजीब नाम है। मगर इसका जवाब अरविंद श्रीनिवास खुद देते हैं। उनका कहना है कि Perplexity एआई में एक मीट्रिक है, जो यह मापता है कि आप किसी चीज को कितनी अच्छी तरह से जानते हैं। इस वजह से इसका नाम Perplexity रखा गया।
सस्ता डोमेन और Perplexity के बीच क्या कनेक्शन
मगर Perplexity बिजनेस के लिहाज से बेहद कठिन नाम है। जब एक पॉडकास्ट में अरविंद श्रीनिवास से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि शुरुआत में मुझे अच्छी तरह की समझ नहीं थी। हम बड़े सपने भी नहीं देख रहे थे। Perplexity.ai डोमेन 120 डॉलर में दो साल के लिए उपलब्ध था। हमने इसे खरीद लिया। उन्होंने यह भी माना की एक कंजूमर कंपनी के लिहाज से यह सबसे खराब नामों में से एक है। आगे प्रोडक्ट का नाम बदल सकता है। चार-पांच अक्षरों का कोई नाम रख सकते हैं। हालांकि कंपनी का नाम Perplexity ही रहेगा।
पहला ही कदम चर्चा में आया, जैक डॉर्सी ने तारीफ की
अरविंद श्रीनिवास ने कंपनी खड़ी करने बाद दिसंबर 2022 में बर्ड SQL के तौर पर अपना सबसे पहला प्रोडक्ट लॉन्च किया। यह ओपनएआई के कोडेक्स टूल का इस्तेमाल करता था। इसकी मदद से ट्विटर के डेटाबेस में खोज करना आसान था। यह रोजमर्रा की भाषा को कंप्यूटर कोड में बदल देता था। श्रीनिवास के इस प्रोडक्ट पर जब ट्विटर के संस्थापक जैक डॉर्सी का ध्यान गया तो वह भी तारीफ करने से खुद को नहीं रोक सके।
ट्विटर के झटके से खड़ा हुआ Perplexity AI सर्च इंजन
2023 में ट्विटर ने एलान किया कि वह अपने एपीआई तक मुफ्त पहुंच को बंद करने जा रहा है। एलन मस्क की कंपनी का यह कदम अरविंद श्रीनिवास और उनकी टीम के सामने एक झटके के जैसा था, क्योंकि उनकी कंपनी ट्विटर के एपीआई का इस्तेमाल करती थी। इसके बाद अरविंद श्रीनिवास और उनकी टीम ने एक एआई सर्च इंजन बनाने पर फोकस किया। उस वक्त चारों तरफ सिर्फ चैटजीपीटी की धूम दी। इस बीच श्रीनिवास की टीम Perplexity.ai नाम से एक नया सर्च इंजन ले आई।
यह सर्च इंजन किसी चीज को सर्च करने पर वेबसाइट का लिंक नहीं देता है, बल्कि सटीक उत्तर और उसका सोर्स देता है। धीरे-धीरे इसकी लोकप्रियता बढ़ने लगी। कई दिग्गजों ने निवास किया तो सबका ध्यान इस पर जाने लगा। साल 2024 के शुरुआत में Perplexity की वैल्यू 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर थी, लेकिन साल के अंत तक Perplexity में 165 मिलियन अमेरिकी डॉलर के निवेश से इसकी वैल्यू एक अरब डॉलर से अधिक हो गई।
किस-किसने किया निवेश?
- अमेजन के सीईओ जेफ बेजोस
- एनवीडिया
- डेटाब्रिक्स
- एआई गॉडफादर यान लेकन
- यूट्यूब के पूर्व सीईओ सुसान वोज्स्की
- गूगल के मुख्य वैज्ञानिक जेफ डीन
- गिटहब के पूर्व सीईओ नैट फ्रीडमैन
- टेस्ला एआई के पूर्व निदेशक आंद्रेज कारपथी
- निवेशक बालाजी श्रीनिवासन
कितनी तेजी से बढ़ रही Perplexity कंपनी?
इसी साल अप्रैल महीने में Perplexity ने बताया कि उसके 3 करोड़ से ज्यादा मासिक एक्टिव यूजर्स हैं। 2023 तक उसने करीब 50 करोड़ प्रश्नों का उत्तर दिया है। जबकि अक्टूबर 2024 तक इसने हर हफ्ते 10 सवालों का जवाब दिया। मतलब एक महीने में 40 करोड़ उत्तर। दो महीने पहले यानी जुलाई 2024 में Perplexity ने 25 करोड़ उत्तर दिए। इससे साफ है कि महीना दर महीना Perplexity का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है। एक अनुमान के मुताबिक अक्टूबर 2024 तक Perplexity के करीब 50 फीसदी यूजर्स इंडोनेशिया और इंडिया से थे।
निवेशकों के भरोसे के साथ बढ़ रहा श्रीनिवास का पैसा
Perplexity ने अपने सीरीज ए राउंड में 25.6 मिलियन डॉलर की रकम जुटाई थी। इसके बाद दिसंबर 2024 में बी और मई 2025 में सी राउंड की दो फंडिंग से 500 मिलियन डॉलर की धनराशि जुटाई। सीरीज डी राउंड की फंडिंग से भी 500 मिलियन डॉलर की रकम जुटाई। कंपनी की वैल्यू 14 बिलियन डॉलर तक पहुंच गई। जुलाई 2025 में कंपनी को 100 मिलियन डॉलर की और फंडिंग मिली। इसके बाद उसकी वैल्यू 18 बिलियन डॉलर तक पहुंच गई।
कितना बड़ा है दुनिया का सर्च बाजार?
2021 तक वैश्विक सर्च इंजन का बाजार मूल्य 167 बिलियन डॉलर था। एक अनुमान के मुताबिक यह 2032 तक 529 बिलियन डॉलर के आंकड़े को छू लेगा। दुनियाभर में इंटरनेट सेवाओं का विस्तार हो रहा है। गांव-गांव तक इंटरनेट पहुंचने से सर्च का पैमाना भी बढ़ रहा है। 2015 में अमेरिका में इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले वयस्कों की हिस्सेदारी 86 फीसद थी, लेकिन 2023 में यह बढ़कर 95 फीसद हो गई। अमेरिका की तरह अन्य देशों में भी नए यूजर्स बढ़ रहे हैं।
इस वजह से डिजिटल विज्ञापन बाजार भी तेजी से बढ़ रहा है। इंटरनेट सर्च के क्षेत्र में गूगल का एकछत्र राज है। इंटरनेट में खोजे जाने वाले 10 में से 9 सवालों का जवाब गूगल ही देता है। 2024 तक गूगल रोजाना 14 बिलियन सवालों के जवाब देता था। अरविंद श्रीनिवास की कंपनी की निगाह सर्च इंजन के इसी विशाल बाजार पर है। वह गूगल के एकछत्र राज में सेंधमारी करने की जुगत में है।
जनरेटिव एआई बाजार पर श्रीनिवास की निगाह
2022 में वैश्विक जनरेटिव एआई बाजार 29 बिलियन डॉलर का था। अनुमान है कि 2030 तक यह 668 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है। अरविंद श्रीनिवास की नजर इस बाजार पर भी टिकी है। Perplexity खुद के एआई मॉडल विकसित कर रहा है। अपनी एपीआई सेवाएं दे रहा है। इसके अलावा जनरेटिव एआई बाजार में उसका एंटरप्राइज क्लाइंट्स और भविष्य के मॉडलों को विकसित करने पर फोकस है, ताकि कंपनी का मुनाफा बढ़ाया जा सके।
दक्षिण भारत के दो लड़कों के बीच सर्च इंजन की रेस
अरविंद श्रीनिवास गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई को अपनी प्रेरणा मानते हैं। खास बात यह है कि दोनों का जन्म चेन्नई में हुआ। हालांकि श्रीनिवास की उम्र पिचाई से लगभग 22 साल कम है। 2019 में श्रीनिवास ने गूगल की एक कंपनी डीपमाइंड ज्वाइन की। इसी साल सुंदर पिचाई को नई जिम्मेदारी मिली। वह गूगल के साथ-साथ अल्फाबेट के भी CEO बन गए। तब तक सर्च इंजन की दुनिया में अरविंद श्रीनिवास अंजान नाम थे। मगर अब सुंदर पिचाई और उनके बीच तकनीक की नई प्रतिद्वंद्विता शुरू है।
श्रीनिवास की तुलना में सुंदर पिचाई के पास अधिक संसाधन हैं। मगर उनके हाथ बंधे हैं, क्योंकि उन्हें गूगल के सर्च विज्ञापन राजस्व की भी रक्षा करनी है। यह रकम करीब 175 अरब डॉलर की है। दूसरी तरफ श्रीनिवास इस मामले में आजाद हैं। उनके पास नए-नए प्रयोग करने का विशाल मैदान है। अरविंद श्रीनिवास खुद कहते हैं, 'हम इतिहास के एक अनोखे दौर में हैं। सबसे अच्छी तकनीक हमेशा गूगल के अंदर ही रही है। गूगल ने 10 ब्लू लिंक्स के चारों तरफ अपना पूरा कारोबार खड़ा किया। मगर अब एंथ्रोपिक, ओपनएआई और मेटा का लामा है। सर्च इंजन बनाने के लिए एआई उपकरण अब गूगल के बाहर भी मौजूद हैं।
गूगल को कैसे टक्कर देने में जुटे श्रीनिवास?
- Perplexity एआई सर्च इंजन का खौफ 27 साल पुरानी दुनिया की सबसे दिग्गज कंपनी गूगल को खूब सता रहा है। उसने Perplexity की तर्ज पर अपने सर्च इंजन में एआई ओवरव्यू और एआई मोड को जोड़ा, ताकि Perplexity की तरफ जाने वाले यूजर्स को रोका जा सके।
- Perplexity अपना तेजी के साथ विस्तार कर रही है। इसी साल फरवरी में उसने डीप रिसर्च मोड लॉन्च किया। यह मोड सैकड़ों सोर्स से जानकारी जुटाकर एक बेहतरीन रिपोर्ट तैयार करने में सक्षम है। कंपनी ने कुछ समय पहले ही Perplexity Labs को लॉन्च किया है। इसकी मदद यूजर्स स्प्रेडशीट, रिपोर्ट, डैशबोर्ड और वेब ऐप बना सकते हैं।
- सैमसंग और पर्प्लेक्सिटी के बीच बातचीत चल रही है। इसके मुताबिक सैमसंग अपने आने वाले गैलेक्सी S26 मोबाइल में पर्प्लेक्सिटी को डिफॉल्ट AI असिस्टेंट के तौर पर पेश करेगा। अगर ऐसा हुआ तो यह सैमसंग के फोन में गूगल जेमिनी की जगह लेगा।
- एपल भी अपने सफारी ब्राउजर में Perplexity को लाने की कोशिश में जुटा है। Perplexity ने कॉमेट नाम से एक एप लॉन्च किया है। इसे गूगल क्रोम का प्रतिद्वंद्वी माना जा रहा है। Perplexity के इस कदम से गूगल सतर्क है। उसने क्रोम समेत अपने सभी प्लेटफॉर्म पर जेमिनी को जोड़ दिया है।
कैसे कमाई करता है Perplexity?
Perplexity ने भारत में भारती एयरटेल के साथ साझेदारी की है। उससे उसे राजस्व हासिल होता है। इसके अलावा वह सब्सक्रिप्शन से कमाई करती है। ई-कॉमर्स से भी उसे राजस्व प्राप्त होता है। 2024 में Perplexity ने अपने प्लेटफॉर्म पर विज्ञान दिखाना शुरू किया। इससे विज्ञापन बाजार में उसकी न केवल पहुंच मजबूत हो रही बल्कि रेवेन्यू भी बढ़ रहा है।
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