भारतीय कला और संस्कृति को दर्शाने वाला सूरजकुंड मला, जल्द ही हरियाणा के फरीदाबाद में आयोजित होने वाला है। इसमें देश के कोने-कोने से आए शिल्पकार, कपड़ा बनाने वाले और कलाकार भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करते हैं। यह मेला हर साल फरवरी के महीने में आयोजित किया जाता है। इस मेले को देखने के लिए न सिर्फ हरियाणा, दिल्ली के लोग आते हैं, बल्कि देश के कोने-कोने से भी पर्यटक आते हैं।
सूरजकुंड मेला कब से हो रहा है शुरू
सूरजकुंड मेले का इतिहास 1980 के दशक में शुरू हुआ था, जब हरियाणा सरकार ने इस क्षेत्र को पर्यटन के लिए विकसित करने का निर्णय लिया था। तब से, यह मेला हर साल आयोजित किया जाता है और यह देश के विभिन्न राज्यों के कलाकार, शिल्पकार और क्राफ्ट क्षेत्र से जुड़े लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। बता दें कि इस साल सूरजकुंड मेला 07 फरवरी से शुरू होने जा रहा है और यह 23 फरवरी तक रहेगा। इस साल सूरज कुंड मेले का थीम ओडिशा और मध्य प्रदेश की संस्कृति पर आधारित रहेगा।
सूरजकुंड मेले की विशेषताएं
सूरजकुंड मेले की कई विशेषताएं हैं जो इसे अन्य मेलों से अलग बनाती हैं:
शिल्प मेला: सूरजकुंड मेले में देश के विभिन्न राज्यों के शिल्पकार अपनी कला और शिल्प को प्रदर्शित करते हैं।
सांस्कृतिक कार्यक्रम: मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं, जिनमें देश के विभिन्न राज्यों के लोक संगीत और नृत्य का प्रदर्शन किया जाता है।
पारंपरिक व्यंजन: मेले में देश के विभिन्न राज्यों के पारंपरिक व्यंजन भी उपलब्ध होते हैं।
क्राफ्ट बाजार: मेले में एक क्राफ्ट बाजार भी आयोजित किया जाता है, जहां पर देश के विभिन्न राज्यों के शिल्पकार अपनी कला और शिल्प को बेचते हैं।
सूरजकुंड मेले का महत्व
सूरजकुंड मेले का महत्व न केवल सांस्कृतिक रूप से है, बल्कि आर्थिक रूप से भी है। यह मेला देश के विभिन्न राज्यों के शिल्पकारों और कलाकारों को एक मंच प्रदान करता है, जहां पर वे अपनी कला और शिल्प को प्रदर्शित कर सकते हैं और अपने उत्पादों को बेच सकते हैं।