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अन्ना यूनिवर्सिटी रेप केस: ज्ञानशेखरन को 30 साल की सजा, 90000 जुर्माना

चेन्नई महिला अदालत ने अन्ना यूनिवर्सिटी रेप केस के मुख्य आरोपी ज्ञानशेखरन को 30 साल की सजा सुनाई है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट।

Anna University

अन्ना यूनिवर्सिटी। (Photo Credit:PTI)

तमिलनाडु के चर्चित अन्ना यूनिवर्सिटी रेप केस में चेन्नई महिला कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। रेप केस के दोषी ज्ञानशेखरन को अदालत ने 30 साल की कैद और 90 हजार रुपये का जुर्माना लगया है। यह खबर अपडेट की जा रही है। जज एम राजलक्ष्मी की अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि आरोपी पर लगे सभी 11 आरोप सही साबित हुए हैं। 28 मई को कोर्ट ने इस केस में ज्ञानशेखरन को दोषी माना था। ज्ञानशेखरन ने अन्ना यूनिवर्सिटी की सेकेंड ईयर में पढ़ने वाली छात्रा का यौन उत्पीड़न किया था। उस पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 329, 126 (2), 87, 127 (2), 75 (2) जैसी धाराएं लगी थीं। आईटी एक्ट की धारा 66ई के तहत भी उसे दोषी पाया गया। कोर्ट ने उसे तमिलनाडु प्रोहिबिशन ऑफ हरेसमेंट ऑफ वुमेन एक्ट के सेक्शन 4 के तहत भी दोषी पाया। 

आरोपी के वकील बीआर जयप्रकाश नारायणन ने कहा:-

 

कोर्ट ने यह माना है कि अन्ना यूनिवर्सिटी रेप केस से कभी 11 मामलों में वह आरोपी है। बीते सप्ताह ही फैसला सुनाय गया था। सजा के बारे में अदालत ने आज बताया है। उसे 30 साल की कैद हुई है और 90 हजार का जुर्माना भी देना होगा। यह राशि पीड़िता को दी जाएगी। हम एक और अपील कर सकते हैं। हम शीर्ष अदालत में अपील करेंगे।

23 दिसंबर 2024 को हुआ क्या था?
23 दिसंबर 2024 को एक छात्रा, अपने दोस्त के साथ यूनिवर्सिटी कैंपस में मौजूद थी। आरोपी ने दोनों का वीडियो बना लिया और उसके बाद उस पर हमला बोल दिया। लड़की का दोस्त वहां से भाग गया लेकिन आरोपी ने छात्रा के साथ रेप किया। कैंपस के अंदर छात्रा से रेप हुआ था। ज्ञानशेखरन कैंपस के पास बिरयानी स्टाल लगाता था। कैंपस में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सवाल उठे थे। देशभर में इस केस की गूंज सुनाई दे रही थी। 

क्या-क्या आरोप सच साबित हुए?
कोर्ट ने ज्ञानशेखरन को बलात्कार का दोषी माना है। उस पर यौन उत्पीड़न के लिए दबाव बनाने के आरोप भी सच साबित हुई है। हाई कोर्ट ने इस केस में दिसंबर में स्वत: संज्ञान लिया था। कोर्ट ने कहा था कि आरोपी को कड़ी से कड़ी सजा मिले, जिन्होंने FIR को पब्लिक डोमेन में लीक किया, उन पर अदालत ने केस दर्ज करने की मांग की थी। हाई कोर्ट ने एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम का गठन किया था। महिला अधिकारी इस केस की जांच कर रही थीं। कोर्ट ने तमिलनाडु पुलिस की इस केस के सिलसिले में आलोचना की थी। कोर्ट ने पुलिस और विश्वविद्यालय के रवैये पर भी सवाल उठाए थे। 

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FIR  के लीक होने पर कोर्ट ने लगाई थी फटकार

कोर्ट ने कहा कि FIR की डीटेल्स का लीक होना पीड़िता के लिए बेहद अपमानजनक था। परिवार को भी इसकी वजह से ठेस पहुंची। कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देशित किया कि पीड़िता को 25 लाख रुपये की आर्थिक मदद की जाए। यह राशि उन लोगों को देनी होगी, जिन्होंने FIR से जुड़े विवरणों को लीक किया है। कोर्ट के इस आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने स्टे लगा दिया था। 

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