साल 1970 में दिंवगत बॉलीवुड स्टार राजेश खन्ना और शर्मिला टैगोर की एक फिल्म आई थी ‘अराधना’। हरियाणा के जगधारी सैंट थॉमस स्कूल के दो टीचर्स इस फिल्म को देखने पहुंचे। मूवी खत्म होने के बाद एक दोस्त ने दूसरे से कहा कि ‘एक दिन मैं भी राजेश खन्ना जैसा सूपरस्टार बनूंगा।‘ राम भरोसे, क्रांति, शतरंज के खिलाड़ी, परवरिश, गांधी और कुदरत जैसी फिल्मों को अगर आपने देखा होगा तो उसमें अंग्रेजी अफसर, खलनायक और विलेन के रोल में एक अंग्रेज दिखा होगा। वो और कोई नहीं बल्कि राजेश खन्ना पार्ट 2 बनने की चाहत रखने वाले इंडियन थॉमस बीच ऑल्टर थे।
नाम से नहीं शक्ल से थी पहचान
टॉम ऑल्टर के नाम से मशहूर हुए एक्टर की पहचान हिंदुस्तानी सिनेमा के नामचीन अभिनेताओं में होती हैं। पद्मश्री से सम्मानित किए जा चुके टॉम ऑल्टर भले ही दुनिया को अलविदा कह गए, लेकिन उनकी 300 फिल्म, टीवी शोज और कई बेहतरीन नाटकों का क्रैज आज भी देखने को मिल जाता है। भले ही आप उन्हें नाम से ना जानते हो, लेकिन शक्ल से 100 प्रतिशत आप उन्हें पहचान लेंगे।
मिशनरी परिवार में जन्में थे टॉम
टॉम हॉल्टर को हिंदी फिल्मों में अंग्रेजी अफसर, माफिया और खलनायक का रोल निभाते हुए देखा गया हैं। सूरत से अंग्रेज और दिल से पूरे हिंदुस्तानी टॉम हॉल्टर को देश की मिट्टी से काफी प्यार था। उर्दू और अंग्रेजी उनकी जुबान से मक्खन की तरह निकलती थी। 22 जून, 1950 को एक अमेरिकी क्रिश्चियन मिशनरी परिवार में टॉम का जन्म हुआ था। नवंबर, 1916 में टॉम के दादा-दादी अमेरिका के ओहायो राज्य से भारत आ गए थे। सबसे पहले वह मद्रास आए और फिर वहां से ट्रेन पकड़कर लाहौर पहुंचे।
एक्टिंग ही नहीं बल्कि स्कूल में भी पढ़ाया
मिशनरी होने के कारण इन लोगों ने रावलपिंडी, पेशावर, सियालकोट इलाके में काम किया। आजादी का समय आते ही परिवार में भी बंटवारा हो गया। एक तरफ टॉम के दादा-दादी पाकिस्तान में ही बस गए तो दूसरी ओर टॉम के माता-पिता हिंदुस्तान में रह गए। टॉम के माता-पिता पहले इलाहाबाद, सहारनपुर, जबलपुर, देहरादून और अंत में मसूरी के राजपुर में जाकर बस गए। टॉम ने अपनी पढ़ाई मसूरी के वुड्सटॉक स्कूल से पूरी की। ग्रेजुएशन पूरी होने के बाद टॉम ने हरियाणा के जगधारी सैंट थॉमस स्कूल में स्पॉर्ट्स पढ़ाया।
जब राजेश खन्ना बनने का देखा सपना
1970 में राजेश खन्ना की फिल्म ‘अराधना’ ने टॉम की जिंदगी बदल दी। इस फिल्म को देखने के बाद टॉम को अपने करियर में कुछ अलग करने का सुझा। दूसरा राजेश खन्ना बनने का जूनुन उन्हें पुणे के फिल्म एंड टेलीविज़न इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (FTII) ले आया। 1972 में उन्होंने एडमिशन लिया। नसीरुद्दीन शाह, शबाना आज़मी, बेन्जामिन गिलानी, ओम पुरी जैसे कलाकारों के साथ उनका वक्त बीता।
उर्दू में मजबूत थी पकड़
‘सदमा ना पहुंचे कोई मेरे जिस्म-ऐ-ज़ार पर अहिस्ता फूल डालना मेरी मजार पर’ सत्यजीत रे की ‘शंतरज के खिलाड़ी’ फिल्म में कैप्टन वेस्टन का रोल करने वाले टॉम ऑल्टर ने फिल्म के एक सीन में ये उर्दू शायरी जनरल जेम्स (रिचार्ड एटनबोरो) को पढ़कर सुनाई थी। उर्दू बोलने के लहजे से आपको समझ आ जाएगा की वह अंग्रेजी में पक्के तो थे ही, लेकिन उनकी उर्दू भाषा में भी पकड़ बेमिसाल थी। उर्दू से उन्हें इतना प्यार था कि उन्होंने 2002 में मौलाना आजाद प्ले पर काम भी किया।
स्किन कैंसर से थे पीड़ित
2017 में जब टॉम ऑल्टर का स्किन कैंसर से निधन हुआ तो उनका 1989 का एक वीडियो इंटरनेट पर काफी वायरल होने लगा। इस वीडियो में टॉम 15 साल के सचिन तेंदुलकर का इंटरव्यू लेते नजर आ रहे हैं। सचिन तेंदुलकर का इंटरव्यू लेने वाले टॉम पहले स्पोर्ट्स जर्नलिस्ट थे। बतौर 1980 से 1990 तक वह स्पोर्ट्स जर्नलिस्ट भी रहे।
2017 में टॉम ने एक मीडिया चैनल को अपना इंटरव्यू दिया था जिसमें उन्होंने खुद को अंग्रेज कहलाए जाने पर काफी नाराजगी जताई थी। उन्होंने कहा था कि ‘400 हिंदी फिल्मों में से 10 ही ऐसे रोल थे जिसमें मैनें अंग्रेज का रोल निभाया और इसके बावजूद मुझे अंग्रेज बुलाया जाता हैं।‘