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मेडिकल कोर्स में सीटें बढ़ाने की कवायद, मुश्किलें क्या हैं?

केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को देश के मेडिकल कॉलेजों में सीटें बढ़ाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। देशभर में MBBS की 5,323 और पीजी कोर्स की 5,000 सीटें बढ़ाई जाएंगी।

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केंद्रीय कैबिनेट, Photo Credit: PTI

डॉक्टर बनने का सपना देख रहे लाखों छात्रों के लिए खुशखबरी है। केंद्रीय कैबिनेट ने देश के मेडिकल कॉलेजों में सीटें बढ़ाने का फैसला कर लिया है। बुधवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट की मीटिंग में सरकार ने देश के मेडिकल कॉलजों में 50323 एमबीबीएस और 5000 पोस्ट ग्रेजुएशन की सीटें बढ़ाने की योजना को मंजूरी दी। अगले चार साल में दस हजार से ज्यादा अंडर ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएशन की सीटें बढ़ाई जाएंगी। हर एक सीट के लिए सरकार 1.5 करोड़ रुपये खर्च करेगी। 

 

मेडिकल कोर्स में सीटें बढ़ाने के प्लान के बारे में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने साल 2025-26 के बजट में शेयर किया था। बजट में घोषणा की गई थी कि अगले पांच सालों में देश के मेडिकल कॉलेजों में 75,000 नई सीटें जोड़ी जाएंगी। डॉक्टरों की बढ़ती मांग को देखकर सरकार मेडिकल कोर्स में सीटें बढ़ाने की कोशिश कर रही है। सरकार जिला अस्पलतालों के साथ नए मेडिकल कॉलेज बना रही है। इसके साथ ही नए AIIMS बनाने की योजना पर भी सरकार काम कर रही है। 

 

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देश में कितनी मेडिकल सीटें?

इस समय देश में करीब 1.2 लाख मेडिकल सीटें एमबीबीएस की हैं और पोस्ट ग्रेजुएशन लेवल पर 74,306 सीटें हैं। 2014 से अब तक मेडिकल कोर्स की सीटें लगभग दोगुनी हो गई हैं। 2014 में 51,328 एमबीबीएस सीटें और 31,185 पोस्ट ग्रेजुएशन सीटें थीं। हर साल करीब 20 लाख स्टूडेंट्स मेडिकल कोर्स में दाखिले के लिए में नीट का पेपर देते हैं ऐसे में सरकार पर सीटें बढ़ाने का दबाव भी बन रहा है। 

भारत में रहकर पढ़ाई का मौका 

भारत में मेडिकल कोर्स की सीटें अपेक्षाकृत बहुत कम हैं। हर साल बहुत सारे स्टूडेंट्स कड़ी मेहनत के बावजूद सीटें कम होने के कारण मेडिकल कोर्स में एडमिशन नहीं ले पाते। ऐसे स्टूडेंट्स विदेश से मेडिकल कोर्स करते हैं। पिछले कुछ साल से विदेश में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे भारतीय छात्रों को कोरोना, आंतरिक अशांति, तकनीकी कारण या युद्ध के कारण कोर्स पूरा करने में दिक्कतों का सामना पड़ा।  ऐसे में सरकार अब देश में ही छात्रों के लिए सीटें बढ़ा रही है ताकि वेदश जाकर पढ़ाई करने का यह ट्रेंड कम हो सके। 

क्या आएंगी दिक्कतें?

सरकार ने मेडिकल की सीटें बढ़ाने का फैसला तो ले लिया है लेकिन इस फैसले को लागू करने में सरकार को कई दिक्कतों का सामना भी करना पड़ेगा। सबसे बड़ी समस्या मेडिकल फैक्लटी की कमी है। देश के मेडिकल कॉलेजों में अभी भी मानकों के हिसाब से जरूरी फैक्लटी नहीं है। इसके साथ ही इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी भी एक बड़ी समस्या है। फैक्लटी की की और अनियमितताओं को खत्म करने के लिए नेशनल मेडिकल कमीशन ने बायोमेट्रिक अटेंडेस और लाइव वीडियो फीड जैसी नई पहल शुरू की हैं। सराकर ने जो मेडिकल सीटें बढ़ाई बैं उनमें एक बड़ी संख्या प्राइवेट कॉलेजों की भी है। प्राइवेट कॉलेज मनमाने तरीके से फीस वसूल कर रहे हैं। ऐसे में सीटें बढ़ने पर भी देश के एक बड़े तबके की पहुंच से बाहर हो सकती हैं। नेशनल मेडिकल कमीशन ने प्राइवेट कॉलेजों की फीस से जुड़े नियम बनाने की कोशिश की थी लेकिन अभी तक कमीशन इसमें कामयाब नहीं हो पाई है। 

 

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15 हजार करोड़ होंगे खर्च 

सरकार ने इस फैसले को लागू करने के लिए 2025-26 से 2028-29 के बीच करीब 15 हजार करोड़ रुपये की लागत आई है। इसमें केंद्र सरकार का हिस्सा 10,303.20 करोड़ रुपये और राज्य सरकार का हिस्सा 4731.30 करोड़ रुपये होगा। इस फैसले को लागू करने के लिए स्वास्थय मंत्रालय दिशा निर्देश जारी करेगा और 2029 तक यह सीटें बढ़ा दी जाएंगी। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस फैसले की जानकारी देते हुए कहा कि सरकार लगातार मेडिकल सुविधाएं बढ़ाने के लिए प्रयास कर रह है और इसके लिए मेडिकल एजुकेशन को बढ़ावा दे रही है। दुनिया में सबसे ज्यादा 808 मेडिकल कॉलेज भारत में हैं। उन्होंने यह भी कहा कि पिछले 10 साल में एमबीबीएस सीटें 127% और पीजी सीटें 143% बढ़ी हैं।

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