उत्तराखंड में 27 जनवरी से समान नागरिक संहिता (UCC) लागू हो गई है। इसके साथ ही उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है, जहां समान नागरिक संहिता लागू हुई है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, 'समान नागरिक संहिता की गंगोत्री उत्तराखंड से निकलेगी और देशभर में फैल जाएगी।'
उत्तराखंड में UCC लागू करने का वादा बीजेपी ने 2022 के विधानसभा चुनाव में किया था। चुनाव जीतने के बाद UCC के ड्राफ्ट के लिए एक कमेटी बनाई गई थी। कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर पिछले साल फरवरी में इसका बिल विधानसभा में पास हुआ था।
समान नागरिक संहिता यानी UCC का मतलब सभी धर्मों के लिए समान कानून। अब तक शादी, तलाक, उत्तराधिकार, संपत्ति का अधिकार जैसे मसलों पर अलग-अलग धर्मों के अलग-अलग कानून थे। मगर अब सभी धर्मों के लिए एक ही कानून होगा। इसके लागू होने के बाद हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाइयों के लिए क्या-क्या बदल जाएगा? समझते हैं...
हिंदुओं के लिए क्या बदला?
उत्तराखंड की UCC में हिंदुओं के लिए सबसे बड़ा बदलाव संपत्ति के बंटवारे पर हुआ है। हिंदू उत्तराधिकार कानून के तहत, अगर बगैर वसीयत तैयार करे किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है तो उसकी संपत्ति पहले कैटेगरी-1 के उत्तराधिकारियों के पास जाती है। अगर कैटेगरी-1 के उत्तराधिकारी नहीं हैं तो कैटेगरी-2 के पास जाती है। कैटेगरी-1 के उत्तराधिकारियों में बच्चे, विधवा और मां शामिल हैं। कैटेगरी-2 में पिता होता है। अब UCC में कैटेगरी-1 में ही माता और पिता दोनों को शामिल कर दिया गया है। इसका मतलब ये हुआ कि अगर किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है तो माता-पिता के जरिए संपत्ति में मृत व्यक्ति के भाई-बहन को भी हक मिल सकेगा।
मुस्लिमों के लिए क्या बदला?
UCC से मुस्लिमों के लिए काफी कुछ बदल जाएगा। अब तक मुस्लिमों में शादी की कोई कानूनी उम्र तय नहीं थी। अब मुस्लिमों में भी शादी के लिए लड़कों की कानूनी उम्र 21 साल और लड़कियों की 18 साल होगी। इसके अलावा 'बहुविवाह' और 'हलाला' पर भी रोक लग जाएगी। मुस्लिमों में एक से ज्यादा शादी की प्रथा थी लेकिन अब ये खत्म हो जाएगी। अब मुस्लिम पुरुष भी दूसरी शादी तभी कर सकेंगे, जब पहली पत्नी की या तो मौत हो गई हो या फिर तलाक हो गया हो।
मुस्लिमों में संपत्ति बंटवारे पर भी बड़ा बदलाव होगा। अब तक मुस्लिम व्यक्ति अपनी संपत्ति का एक-तिहाई हिस्सा किसी को भी दे सकता था। बाकी का हिस्सा उसके परिवार के सदस्यों को मिलता है। UCC कानून में ऐसा प्रावधान नहीं है। अगर कोई मृत व्यक्ति अपने पीछे वसीयत छोड़ गया है तब भी जरूरी नहीं कि उसकी संपत्ति का एक तिहाई हिस्सा किसी को भी मिले।
ये भी पढ़ें-- लिव-इन से लेकर तलाक तक... उत्तराखंड में UCC से क्या-क्या बदल जाएगा?
ईसाइयों के लिए क्या बदला?
ईसाई धर्म को मानने वालों में तलाक को लेकर नियम अलग हैं। ईसाइयों के पर्सनल लॉ के मुताबिक, आपसी सहमति से तलाक के लिए पति-पत्नी को 2 साल तक अलग रहना पड़ता है। मगर अब ऐसा नहीं होगा। अब आपसी सहमति से तलाक के लिए 6 महीने अलग रहना होगा।
सिखों के लिए क्या बदला?
सिखों की शादी आनंद मैरिज एक्ट के तहत होती है। हालांकि, इसमें तलाक का कोई प्रावधान नहीं है। अब तक सिखों में तलाक के लिए हिंदू मैरिज एक्ट के प्रावधान लागू होते थे। अब उत्तराखंड में सिखों पर UCC कानून के प्रावधान लागू होंगे।
पारसियों के लिए क्या बदला?
पारसियों के लिए भी काफी कुछ बदल जाएगा। पारसी कानून गोद लेने का अधिकार नहीं देता। अब UCC के बाद पारसी भी गोद ले सकेंगे। गोद लिए बच्चों को संपत्ति में भी अधिकार मिलेगा। अगर कोई पारसी महिला किसी दूसरे धर्म के पुरुष से शादी करती है तो उसके सारे अधिकार खत्म हो जाते हैं, मगर अब ऐसा नहीं होगा। इसके अलावा अगर कोई पारसी महिला किसी दूसरे धर्म के पुरुष से शादी करती है तो उसके बच्चे को विरासत में कुछ नहीं मिलता। UCC से अब ये भी खत्म हो जाएगा।