वक्फ कानून: अब दक्षिण 24 परगना में भड़की हिंसा, पुलिस वाहन को लगाई आग
वक्फ कानून को लेकर बंगाल एक बार फिर हिंसा की चपेट में है। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस वाहनों को आग लगा दी।

प्रतीकात्मक तस्वीर । Photo Credit: PTI
मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा के बाद अब सोमवार को दक्षिण 24 परगना में हिंसा फैल गई है। यह हिंसा बांगड़ एरिया के सोनपुर गांव में हुई जहां पर पुलिस की एक गाड़ी को आग लगा दी गई और ढेर सारी मोटर साइकिलों को जला दिया गया। कुछ दिन पहले ही मुर्शिदाबाद में हिंसा भड़क गई थी और इस मामले में 200 लोगों को गिरफ्तार किया गया था।
खबरों के मुताबिक इंडियन सेक्युलर फ्रंट (इंडियन सेक्युलर फ्रंट) के समर्थकों को जब कोलकाता की ओर जाने से रोक दिया गया तो उस वक्त हिंसक परिस्थितियां उत्पन्न हो गईं। जानकारी के मुताबिक आईएसएफ के लोग कोलकाता में वक्फ संशोधन के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए आ रहे थे लेकिन उन्हें रास्ते में ही रोक दिया गया।
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मुर्शिदाबाद में हुई थी हिंसा
वक्फ बोर्ड संशोधन बिल को लेकर ही कुछ दिन पहले बंगाल के मुर्शिदाबाद में हिसा भड़क उठी थी। इस दौरान पुलिस पर पथराव किया गया था और कुछ वाहनों को आग भी लगा दी गई थी। 8 अप्रैल को उमरपुर क्षेत्र में राष्ट्रीय राजमार्ग-12 को जाम कर दिया गया, पुलिस की गाड़ियां जलाई गईं और सांसद खलीलुर रहमान के दफ्तर पर हमला किया गया। निमतिता रेलवे स्टेशन पर ट्रेनों पर पथराव किया गया, जिससे रेल सेवाएं बाधित हुईं। इस हिंसा में तीन लोगों की मौत हुई और दस से अधिक घायल हुए।
अब तक पुलिस ने 200 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है। कलकत्ता हाई कोर्ट ने शांति व्यवस्था बहाल करने के लिए केंद्रीय बलों की तैनाती का आदेश दिया। राजनीतिक रूप से टीएमसी और बीजेपी राज्य में होने वाली इस घटना के लिए एक दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रही हैं।
देश के कई हिस्सों में हुए प्रदर्शन
बंगाल ही नहीं वक्फ कानून को लेकर देश के अन्य हिस्सों में भी विरोध प्रदर्शन देखने को मिले। हैदराबाद में चारमीनार के पास मक्का मस्जिद, सईदाबाद की दरगाह उजाले शाह और अन्य मस्जिदों में भारी प्रदर्शन हुआ। AIMPLB और अन्य मुस्लिम संगठनों ने वक्फ अधिनियम को असंवैधानिक बताते हुए सरकार से इसे वापस लेने की मांग की।
असम के श्रीभूमि क्षेत्र में 1000 से अधिक लोग सड़कों पर उतरे और राष्ट्रीय राजमार्ग-6 को जाम करने की कोशिश की। पुलिस और अर्धसैनिक बलों की मदद से स्थिति को नियंत्रित किया गया। इसके अलावा सिलचर में भी पुलिस पर पथराव किया गया। हालांकि, प्रशासन में स्थिति पर नियंत्रण पा लिया।
नई दिल्ली की बात करें तो जंतर मंतर पर सैकड़ों लोगों ने वक्फ बोर्ड के विरोध में प्रदर्शन किया, जिसमें ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, विपक्षी सांसद व धार्मिक संगठन शामिल थे। सभी ने इसे मुस्लिमों को लक्षित करने वाला क़ानून बताया।
सुप्रीम कोर्ट में पड़ी याचिका
वक्फ बिल को लेकर जारी हिंसा के मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका डाली गई जिसमें एसआईटी का गठन करके मुर्शिदाबाद हिंसा मामले में जांच करने का आदेश देने की बात कही गई है। याचिका दाखिल करने वाले शशांक शेखर झा ने इस मामले में कोर्ट से निर्देश देने की मांग की है ताकि दंगों में प्रभावित लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकी।
शनिवार को हिंसा को देखते हुए हाई कोर्ट ने मुर्शिदाबाद में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस फोर्स को तैनात करने की आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि जब ऐसी स्थिति हो तब कोर्ट अपनी आंखें बंद नहीं रख सकता।
किस बात का है विवाद
इस बिल के कुछ प्रावधानों को लेकर कुछ लोगों में असंतोष का भाव है इसी बात को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहा है।
- वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करना।
- ज़िला कलेक्टरों को संपत्ति विवाद तय करने का अधिकार देना।
- बोर्ड में गैर-मुस्लिम को नियुक्त किया जाना इत्यादि।
- सरकार का कहना है कि ये बदलाव पारदर्शिता बढ़ाने और भ्रष्टाचार रोकने के लिए हैं, लेकिन विरोधियों का मानना है कि यह धार्मिक संपत्तियों को छीनने और मुसलमानों को हाशिए पर धकेलने की साज़िश है।
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नेताओं के तीखे बयान
असदुद्दीन ओवैसी (AIMIM अध्यक्ष) ने वक्फ बोर्ड को लेकर कहा कि 'यह कानून मुसलमानों पर सीधा हमला है। आप हमारे मस्जिदों और दरगाहों को छीनना चाहते हैं। अगर हिंदू और सिख संस्थानों में बाहरी नहीं बैठ सकते, तो वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम क्यों? अगर यह कानून ऐसे ही पास किया गया, तो यह देश में सामाजिक अस्थिरता फैलाएगा। मैं एक प्राउड इंडियन मुस्लिम के रूप में कहता हूं – मैं अपनी मस्जिद का एक इंच भी नहीं दूंगा।'
वहीं ममता बनर्जी ने कहा, 'यह कानून पूरी तरह असंवैधानिक और धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ है। केंद्र सरकार ने बिना राज्यों से परामर्श किए मुस्लिमों के अधिकारों पर हमला किया है। हम इसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं करेंगे।'
राहुल गांधी ने कहा, 'यह कानून न सिर्फ मुस्लिम समुदाय को हाशिए पर डालता है, बल्कि यह एक खतरनाक परंपरा की शुरुआत करता है। इससे सभी समुदायों के संवैधानिक अधिकार खतरे में पड़ सकते हैं।'
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