देश के कई हिस्सों में मानसून की सक्रियता के चलते काफी बदलाव वाला रह सकता है। 1 जुलाई 2025 को भी उत्तर-पश्चिम, मध्य और पूर्वी भारत में अच्छी मात्रा में बारिश हो रही है, जिससे जहां एक ओर गर्मी से राहत मिली है, वहीं दूसरी ओर कुछ जगहों पर इससे समस्याएं भी पैदा हुई हैं।
बिहार-झारखंड सहित इन क्षेत्रों में भारी बारिश
झारखंड, बिहार, ओडिशा, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश में भारी बारिश की संभावना जताई गई है। इन राज्यों में बादलों की घनी मौजूदगी और लगातार बारिश के कारण नदियों का जलस्तर बढ़ रहा है, जिससे बाढ़ जैसी स्थिति बन सकती है। उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के पर्वतीय इलाकों में भी 30 जून से 6 जुलाई के बीच तेज बारिश का अनुमान है, जिससे भूस्खलन और सड़क मार्ग बंद होने का खतरा बढ़ गया है। वहीं पंजाब और हरियाणा में भी मौसम विभाग ने भारी वर्षा की संभावना जताई है।
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दिल्ली-NCR में छाए रहेंगे बादल
राजधानी दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में 1 जुलाई को बादलों की गरज के साथ हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है। दिल्ली का अधिकतम तापमान लगभग 32 से 34 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 24 से 26 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने की संभावना है, जो मानसून के सामान्य प्रभाव को दर्शाता है।
पूर्वोत्तर भारत जैसे असम और अरुणाचल प्रदेश में और दक्षिण भारत के कुछ भागों, जैसे तमिलनाडु और तेलंगाना में तापमान सामान्य से थोड़ा अधिक रह सकता है। यह क्षेत्रीय आर्द्रता और मौसम प्रणाली में अंतर के कारण हो सकता है।
समुद्री क्षेत्रों में चल सकती हैं तेज हवाएं
समुद्री क्षेत्रों में स्थिति गंभीर बनी हुई है। बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में तेज हवाओं और ऊंची लहरों की संभावना को देखते हुए मछुआरों को 30 जून से 5 जुलाई तक समुद्र में न जाने की सलाह दी गई है। हवा की गति 40 से 60 किलोमीटर प्रति घंटे तक पहुंच सकती है, जिससे नौवहन में कठिनाइयां हो सकती हैं।
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मौसम की इस स्थिति के कारण उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और झारखंड के कुछ निचले इलाकों में जलभराव और फिसलन भरी परिस्थितियां उत्पन्न हो सकती हैं। ओडिशा और पश्चिम बंगाल में लगातार वर्षा से धान की फसल, सब्जियों और फलों को नुकसान पहुंचने का खतरा बना हुआ है।
इसके साथ शहरी इलाकों में बारिश की वजह से अंडरपासों में पानी भर सकता है, जिससे ट्रैफिक जाम और यातायात में परेशानी हो सकती है। लोगों को सलाह दी गई है कि वह गैर-जरूरी यात्रा से बचें, घर के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का ध्यान से इस्तेमाल करें और स्थिति बिगड़ने पर सुरक्षित जगहों पर रहें। किसानों को खेतों में जल निकासी की व्यवस्था करने की सिफारिश की गई है ताकि फसलें बचाई जा सकें।