कई बीमारियां ऐसी होती हैं, जिनके मरीजों का इलाज सामान्य अस्पताल में नहीं हो सकता है। उन्हें विशेष उपकरणों, सुविधाओं और देख-रेख की जरूरत पड़ती है। अभी तक, सरकारी अस्पतालों की स्थिति दयनीय रही है, बेड की किल्लत, स्वास्थ्य उपकरणों की कमी और भीड़ से लोग परेशान होते रहे हैं। अब सरकार, सामान्य अस्पतालों को चरण बद्ध तरीके से उन्नत करने के लिए कार्ययोजना तैयार कर रही है। सरकार कुछ अस्पतालों में सुपर स्पेशियलिटी सुविधाओं को बढ़ाने पर जोर दे रही है।
सामान्य तौर पर प्राइवेट सुपर स्पेशियलिटी अस्पतालों में इलाज बहुत महंगा होता है। ये अस्पताल आम लोगों की पहुंच से दूर होते हैं। इन अस्पतालों में अत्याधुनिक सुविधाएं होती हैं, जिनके रखरखाव और ऑपरेशन में बड़ा धन खर्च होता है। सरकार की योजना है कि आम नागरिकों के लिए भी ये सुविधाएं मुहैया कराई जाएं। देश में अस्पतालों की स्थिति और सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल बनाने को लेकर संसद में भारतीय जनता पार्टी (BJP) सांसद ढुलु महतो ने सवाल किया।
सांसद ढुलु महतो ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय से सवाल किया है कि सरकार सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल पर क्या सोचती है, जो अस्पताल हैं, उन्हें अपडेट करने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं? उन्होंने यह भी सवाल किया कि सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल बनाने के लिए कदम क्या उठाए गए हैं, इनके लिए भविष्य की योजनाएं क्या हैं। सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को कैसे सुधार रही है, उनका ब्यौरा क्या है।
सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल पर क्या सोचती है सरकार?
परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से इस सवाल का जवाब दिया गया है। मंत्रालय ने कहा है कि प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (PMSSY) के तहत मौजूदा सरकारी मेडिकल कॉलेज और संस्थानों (GMCI) को अपडेट किया जाना है। सरकार सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक (SSB) और ट्रॉमा सेंटर में इन्हें अपडेट करती है। ऐसे 75 प्रोजेक्ट ऐसे हैं, जिन्हें सरकार ने स्वीकृति दी है। पाटलिपुत्र मेडिकल कॉलेज, धनबाद और रिम्स को अपडेट किया जाएगा। केंद्र शासित प्रदेशों और राज्यों में ऐसे 75 GCMI हैं, जिन्हें अपडेट किया जाना है। 22 नए AIIMS को स्वीकृति दी गई है।
कितना खर्च करती है सरकार?
सरकार ने बताया है कि आयुष्मान भारत हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर मिशन (PM-ABHIM) के तहत 5 लाख से ज्यादा आबादी वाले 602 जिले ऐसे हैं, जहां क्रिटिकल केयर ब्लॉक (CCB) स्थापित करने की योजना है। ऐसे ब्लॉक वहां बनाए जाएंगे, जहां 5 लाख से ज्यादा की आबादी हो। सरकार ने अलग-अलग स्वास्थ्य संबंधी योजनाओं पर 70,051 करोड़ रुपये खर्च करने का लक्ष्य रखा है।
मंत्रालय की ओर से जवाब आया है, 'देश में जिला अस्पतालों, रेफरल अस्पतालों से जुड़े मेडिकल कॉलेजों के लिए निर्माण के लिए सरकार ने 157 मेडिकल कॉलेजों की मंजूरी दी है। नेशनल हेल्थ मिशन (NHM) के तहत सार्वजनिक स्वास्थ्य और सेवा प्रणाली को मजबूत करने की कोशिश सरकार कर रही है। सरकार ने कहा है कि नेशनल हेल्थ मिशन के तहत आयुष्मान आरोग्य मंदिर, एंबुलेंस, मोबाइल मेडिकल यूनिट, आशाकर्मी, रेफलर सेंटर, पीएम नेशनल डायलिसिस प्रोग्राम जैसी सेवाएं शुरू की गई हैं। मंत्रालय ने बताया है कि फ्री दवाई, टीबी मुक्त अभियान और नेशनल वैक्सिनेशन का काम किया जा रहा है।
सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल होते क्या हैं?
सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, गंभीर रूप से बीमार मरीजों के ट्रीटमेंट के लिए जरूरी होते हैं। किडनी, लिवर, दिल और कैंसर मरीजों के इलाज के लिए ऐसे अस्पतालों की जरूरत पड़ती है। ये अस्पताल तकनीकी रूप से बेहद एडवांस होते हैं। डायलिसिस से लेकर कीमोथेरेपी तक इन अस्पतालों में होती है। आमतौर पर प्राइवेट अस्पतालों में इलाज कराना आम आदमी के लिए बेहद महंगा साबित होता है। सरकार, सरकारी सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक बनाकर, इन अस्पतालों में आम आदमी के जाने की राह खोल रही है।