दिल्ली या नोएडा, लखनऊ हो या पटना देश का कोई भी ट्रैफिक सिग्नल ऐसा नहीं होगा जहां भीख मांगते बच्चे नजर न आएं। बच्चों से भीख मंगाने वाले रैकेट से जुड़ी खबरें भी अक्सर सुर्खियों में आती हैं। कभी सोचा है कि देश में कितने बच्चे ऐसी जगहों पर भीख मांगते हैं?
अगर आप जानना चाहें, गूगल सर्च करें या सरकार से पूछें तो ऐसे कोई आंकड़े आपको नहीं मिलने वाले हैं। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने संसद में भी यह कह दिया है कि न तो ऐसी बच्चों पर कई सर्वेक्षण कराया गया है, न ही इनसे जुड़ा कोई सटीक आंकड़ा सरकार के पास है।
क्यों गिनती में नहीं आते भिखारी बच्चे?
समाजवादी पार्टी के सांसद राजीव राय ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय से ट्रैफिक लाइट पर भीख मांगने वाले बच्चों की संख्या से संबंधित सवाल किया। राजीव राय ने तारांकित प्रश्न के तहत मंत्रालय से पूछा कि क्या सरकार ने बड़े शहरों और टियर-2 कस्बों में रोड क्रॉसिंग पर भीख मांगने वाले बच्चों की संख्या में कोई सर्वेक्षण कराया है, उनकी संख्या क्या है, औसत आयु समूह क्या है।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने इस सवाल के जवाब में कहा, 'बड़े शहरों और द्वितीय श्रेणी के शहरों में सड़क के चौराहों और ट्रैफिक लाइटों पर भीख मांगने वाले बच्चों की संख्या से जुड़ा कोई सर्वेक्षण नहीं कराया गया है।'
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सरकार के इस जवाब का मतलब क्या है?
सरकार को पता है कि भीख मांगना अपराध है। अगर संगठित गिरोहों के दबाव में बच्चों से भीख मंगवाया जा रहा है तो वह और बड़ा अपराध है। दर्जनों मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि बच्चों से कुछ संगठित अपराधी भीख मंगवाने का धंधा कराते हैं। बच्चों से उनके मां-बाप भी भीख मंगवाते हैं।
किशोर न्याय अधिनियम, 2000 की धारा 24 का सब सेक्शन (1) के कहती है, 'यदि कोई भी व्यक्ति किसी किशोर अथवा बच्चे से भीख मंगवाता है अथवा इस उद्देश्य से रोजगार पर रखता है, तो उसे तीन वर्ष तक के कैद की सजा दी जा सकती है और उस पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है।' कितने बच्चे सड़क पर भीख मांगते हैं, इसका कोई आंकड़ा सरकार के पास नहीं है।
क्या 2021 के आंकड़े से इनकार कर रही है सरकार?
संसद में पूछे गए एक सवाल के जवाब में समाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने देश में मौजूद भिखारियों के कुल आंकड़े बताए थे। सरकार ने कहा था कि साल 2011 की जनगणना के मुताबिक भारत में भीख मांगने वाले, सड़कों पर रहने वाले आवारा लोगों की संख्या 4.13 लाख के करीब है। इनमें से 15 साल से कम उम्र के भीख मांगने वाले बच्चों की संख्या 45 हजार के करीब है।
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भिखारी बच्चों के लिए क्या करती है सरकार?
सपा सांसद राजीव राय ने एक और सवाल किया था। उन्होंने पूछा था कि क्या इन भिखारी बच्चों के पुनर्वास के लिए सरकार की कोई योजना है, 5 साल में इस पर कितना खर्च किया गया है? सवाल के जवाब में बाल विकास मंत्रालय ने कहा है कि सरकार इनके पुनर्वास के लिए योजना चला रही है। समाजिक न्याय और अधिकारिकता विभाग 'स्माइल आजीविका' के तहत ऐसे लोगों के लिए योजना चलाता है।
सरकार के मुताबिक योजना के तहत भीख मांगने वाले बच्चों को खाना, शेल्टर होम, मेडिकल सुविधाएं, पुनर्वास और कौशल विकास पर ध्यान दिया जाता है। मिशन वात्सल्य योजना के तहत इनकी काउंसलिंग की जाती है और कौशल विकास के लिए ट्रेनिंग दी जाती है। बीते 5 साल में साल 2019-20 से लेकर 2023-24 तक इस योजना पर 4317.14 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।
भिक्षावृत्ति रोकने के लिए क्या करती है सरकार?
सामाजिक न्याय और अधिकारी विभाग का का कहना है कि 23 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में भिक्षावृत्ति रोकने के लिए अलग-अलग अधिनियम बनाए गए हैं। 15 राज्यों ने भिक्षावृत्ति की चुनौतियों से निपटने के लिए प्रशासनिक योजनाएं बनाई हैं।