प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के कार्यकारी अध्यक्ष और तेलंगाना सरकार में पूर्व मंत्री केटी रामाराव को समन भेजकर 7 जनवरी को पेश होने के लिए कहा है। मामला फॉर्मूला ई रेस से जुड़ा हुआ है जिसमें कथित रूप से 45 करोड़ रुपये गलत तरीके से ट्रांसफर किए गए।
ईडी ने नगर प्रशासन और शहरी विकास (एमएयूडी) विभाग के पूर्व प्रधान सचिव आईएएस अधिकारी अरविंद कुमार और हैदराबाद महानगर विकास प्राधिकरण (एचएमडीए) के पूर्व मुख्य अभियंता बी एल एन रेड्डी को भी क्रमशः 2 और 3 जनवरी को पेश होने के लिए कहा है।
ईडी तेलंगाना पुलिस के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) द्वारा फरवरी 2023 में हैदराबाद में फॉर्मूला-ई कार रेसिंग इवेंट लाने में कथित अनियमितताओं के संबंध में दर्ज एक एफआईआर के आधार पर प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्डरिंग ऐक्ट (पीएमएलए) के तहत जांच कर रही है। ईडी यह भी जांच कर रही है कि क्या विदेशी कंपनी फॉर्मूला-ई ऑर्गनाइजर्स (एफओई) को 45 करोड़ रुपये के ट्रांसफर में कोई फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट ऐक्ट (फेमा) का उल्लंघन हुआ था।
ACB ने दर्ज किया था मामला
19 दिसंबर को एसीबी ने पूर्व मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव (केसीआर) के बेटे केटीआर के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के साथ-साथ भारतीय दंड संहिता की धारा 409 (आपराधिक विश्वासघात) और 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत मामला दर्ज किया था। केटीआर को मुख्य आरोपी बनाया गया, जबकि कुमार और रेड्डी को क्रमशः दूसरा और तीसरा आरोपी बनाया गया।
20 दिसंबर को एसीबी की एफआईआर का संज्ञान लेते हुए ईडी ने राव, कुमार और रेड्डी के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया। इस बीच, राव द्वारा उनके खिलाफ एसीबी की एफआईआर को रद्द करने के लिए याचिका दायर करने के बाद, तेलंगाना उच्च न्यायालय ने एक अंतरिम आदेश में एसीबी को 30 दिसंबर तक उन्हें गिरफ्तार न करने का निर्देश दिया।
क्या है पूरा मामला
मामला फरवरी 2023 का है जब केटीआर म्युनिसिपल एडमिनिस्ट्रेशन एंड अर्बन डेवलेपमेंट मंत्री थे। यही विभाग फॉर्मूला ई रेस को हैदराबाद में करवाने के लिए जिम्मेदार था।
एफआईआर के मुताबिक केटीआर ने अरविंद कुमार को पेमेंट के लिए अनुमति देने से पहले कैबिनेट कि क्लियरेंस नहीं ली थी। यह भी आरोप है कि एफओई को 45 करोड रुपये दो इन्स्टॉलमेंट में दिए गए जो कि आरबीआई की गाइडलाइन्स का उल्लंघन था।
इसके लिए आरबीआई ने तेलंगाना सरकार पर 8 करोड़ का जुर्माना भी लगाया था. फिर विधानसभा चुनाव हुए और तेलंगाना में कांग्रेस की सरकार आ गई। इस जुर्माने का भुगतान कांग्रेस सरकार ने किया।
जाहिर है नई सरकार ने इस बात की तस्दीक करनी शुरू की कि आखिर आरबीआई ने जुर्माना लगाया क्यों तो एक के बाद एक परतें खुलनी शुरू हो गईं। पता चला कि इस मामले में कई तरह की अनियमितताएं बरती गई हैं। इसके बाद राज्य सरकार ने इसकी जांच एसीबी को सौंप दी।