पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर पानी की कमी से जूझ रहे बुंदेलखंड के किसानों की परेशानी दूर होने वाली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को 'केन-बेतवा नदी जोड़ो प्रोजेक्ट' की आधारशिला रखी। इस प्रोजेक्ट से मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की करीब 65 लाख आबादी को फायदा होगा।
कौन-कौन सी नदी जुड़ेगी?
इस प्रोजेक्ट के तहत, केन (एमपी) को बेतवा (यूपी) से जोड़ा जाएगा। केन नदी जबलपुर की कैमूर पहाड़ियों से निकलती है। यहां से 427 किलोमीटर उत्तर में बहने के बाद यूपी में बांदा में यमुना नदी में मिलती है। वहीं, बेतवा नदी एमपी के रायसेन से निकलकर 576 किमी बहने के बाद यूपी के हमीरपुर में यमुना में मिलती है।
इससे फायदा क्या होगा?
- मध्य प्रदेशः 10 जिलों- छतरपुर, पन्ना, टीकमगढ़, निवाड़ी, दमोह, शिवपुरी, दतिया, रायसेन, विदिशा और सागर की 44 लाख आबादी को फायदा होगा। इन सभी जिलों की 8.11 लाख हेक्टेयर जमीन सिंचित होगी।
- उत्तर प्रदेशः 4 जिलों- झांसी, ललितपुर, महोबा और बांदा की 59,000 हेक्टेयर सूखी जमीन सिंचित होगी। इसके अलावा इन जिलों की 21 लाख आबादी को पीने का पानी मिलेगा।

क्या है यह प्रोजेक्ट?
अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में देश की 36 नदियों को आपस में जोड़ने का फैसला लिया गया था। केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट भी उन्हीं में से एक है। इस प्रोजेक्ट पर 44,605 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इनमें से 90% खर्च और 10% राज्य सरकारें करेंगी।
केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट 221 किलोमीटर लंबा होगा। इसे पूरा होने में 8 साल का वक्त लगेगा। केन नदी पर 77 मीटर ऊंचा और 2.13 किमी लंबा बांध बनाया जाएगा। पहाड़ों के अंदर से भी 1.1 और 1.9 किमी लंबी दो सुरंगें निकलेंगी।
इस प्रोजेक्ट से 103 मेगावाट बिजली का भी उत्पादन होगा। इसके अलावा 27 मेगावाट सौर ऊर्जा का उत्पादन करने का लक्ष्य भी रखा गया है। चंदेल युग के 42 पुराने तालाबों का भी पुनर्विकास किया जाएगा।