भारत के पौने दो लाख मुसलमान वर्ष 2025 में सऊदी अरब के मक्का में हज की यात्रा के लिए पूरी तरह से तैयार है। इसमें 70 फीसदी हज यात्री ऐसे है जो कमिटी के जरिए यात्रा करेंगे। वहीं 30 फीसदी प्राइवेट टूर के जरिए जाएंगे। अब सवाल है कि पिछले साल की तुलना में 2025 में कितनी फीसदी महिलाएं बिना किसी महरम के हज की यात्रा करने जाएंगी।
कितनी महिलाएं करेंगी हज यात्रा?
इस बार देश भर से 3 हजार से अधिक महिलाएं हज यात्रा के लिए जाएंगी। अन्य राज्यों की बात करें तो महाराष्ट्र से 500 महिलाएं अकेले हज यात्रा के लिए जाएंगी। महाराष्ट्र हज कमेटी ऑफ इंडिया के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, नियमों में बदलाव के बाद से इस बार भी हज यात्रा पर जाने वाली 3 हजार से अधिक अकेली महिलाएं हैं।
पिछले साल के आंकड़े क्या बताते है?
बात करें वर्ष 2018 की तो भारत से पहली बार बिना महरम के 45 वर्ष की उम्र की महिलाओं ने हज की यात्री की थी। 29 राज्यों से लगभग 1308 मुस्लिम महिलाओं ने इसके लिए आवेदव किया था। 2018 से 2024 तक 6 हजार से अधिक महिलाएं बिना पुरुष रिश्तेदार के हज यात्रा पर जा चुकी हैं।

महरम से क्या समझते हैं आप?
आसान शब्दों में समझें तो इस्लामी शरीयत में महरम करीबी रिश्तेदार को कहते हैं जिसके साथ किसी भी स्थिति में आप शादी या निकाह नहीं कर सकते है और जायज नहीं है। इसमें बेटा, भाई, मामा, चाचा, ताऊ, दादा, नाना, पोता और नाती जैसे रिश्तेदार शामिल होते हैं। इसका मतलब यह हुआ कि मुस्लिम महिलाएं केवल इन करीबी रिश्तेदारों के साथ ही हज यात्रा कर सकती है। इन रिश्तेदारों के अलावा दूसरे रिश्तेदारों और अनजान पुरुषों के साथ हज पर जाना अच्छा नहीं माना जाता है।
क्या कहता है शरीयत?
शरीयत के मुताबिक, अगर किसी महिला को हज पर जाना है तो उसके साथ किसी पुरुष का होना बेहद जरूरी है। साथ ही पुरुष का महरम होना शर्त में शामिल है। बता दें कि हज का सफर लंबा होता है। पहले लोग समुद्री जहाजों के जरिए हज पर जाते थे तो 6 महीने तक का समय लग जाता था। हज में सफर के दौरान महिलाएं भी होती थी जिसके कारण पुरुष का साथ होना लाजमी माना जाता था।
सऊदी अरब में महरम की शर्त हटी, भारत में क्या नियम?
हज के दौरान मक्का और मदीना में महिलाओं की सुरक्षा बहुत सख्त है। किसी लुटेरे या गैर मर्द से असुरक्षा का खतरा भी न के बराबर है जिसको देखते हुए सऊदी अरब ने हज पर जाने वाली महिलाओं के लिए महरम की शर्त हटा दी है। इसी दिशा में भारत ने भी कानून में बदलाव हुए और महिलाओं को बिना महरम हज पर जाने की इजाजत मिल गई।
हज नीतियों के मुताबिक, 45 वर्ष से अधिक ऊम्र की महिलाएं जिनके पास महरम ना हो वो 4 या उसके अधिक संख्या के समूह के साथ हज यात्रा कर सकती हैं। इसके अलावा 65 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं को इस बार हज के लिए अपने साथ किसी एक व्यक्ति को ले जाना अनिवार्य होगा।