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स्वामित्व योजना क्या है, जरूरी क्यों, मकसद क्या? पढ़ें हर सवाल का जवाब

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वामित्व योजना की शुरुआत 2020 में की थी। कैसे यह योजना अस्तित्व में आई, क्यों यह जरूरी था, पढ़िए विस्तार से।

Narendra Modi

साल 2020 में स्वामित्व योजना की शुरुआत हुई थी। (तस्वीर-PTI)

देश में स्वामित्व योजना का लाभ 50,000 से ज्यादा गांवों को मिलने वाला है। 12 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के गांव में रहने वाले लोगों को संपत्ति के आधिकारिक दस्तावेज मिलेंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में इस महत्वाकांक्षी मिशन की शुरुआत 2020 में हुई थी। अलग-अलग गांव में संपत्ति के हक लेकर ड्रोन सर्वे कराए गए थे। 

छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमचाल प्रदेस, मध्य प्रदेश, मिजोरम, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजा, राजस्थान और यूपी जैसे राज्यों के 50,000 गांवों के 58 लाख से ज्यादा निवासियों को संपत्ति कार्ड जारी होंगे। ग्रामीण क्षेत्रों में जमीन के रिकॉर्ड को डिजिटल तरीके से तैयार किया गया है। जमीन के मालिकाना हक की तस्वीर साफ होगी तो भूमि विवाद कम होंगे। स्वामित्व योजना, सरकार के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट्स में से एक है।


स्वामित्व योजना कैसे अस्तित्व में आई?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 11 अक्तूबर 2020 को केंद्रीय पंचायती राज मंत्री, यूपी, उत्तराखंड, हरियाणा और एमपी के मुख्यमंत्रियों के साथ मिलकर एक योजना की शुरुआत की थी। पहले चरण में 763 गावों की 1 लाख की संपत्ति के मालिकों को संपत्ति कार्ड और डीड के वितरण की शुरुआत की थी। संपत्ति कार्ड जिन्हें दिया गया, उन्हें बैंकों से भी इस जमीन के आधार पर लोन मिला। 

25 दिसंबर 2020 को हरियाणा के 94 गांवों को, उत्तराखंड के 205 गांवों और अन्य राज्यों के 531 गांवों में 41942 संपत्तियों के कार्ड बांटे गए। 26 जनवरी 2021 को 131 गांवों में 3081 संपत्तियों को कार्ड बांटे गए। 24 अप्रैल को प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय स्कीम पर इस योजना की शुरुआत की। 


इस योजना का लाभ क्या है?
जिन लोगों के पास जमीन के कागजात नहीं होते थे, पट्टे की जमीनों पर उन्हें लोन हासिल करने में दिक्कतें आती थीं। इस योजना के जरिए जिन लोगों को जमीनें दी जाएंगी, उन्हें लोन हासिल करने में आसानी होगा। डीड या स्वामित्व कार्ड हासिल करने वाले भूमिधरों की जमीन पर ऋण भी मिलेगा। ऋण का इस्तेमाल वे किसी भी क्षेत्र में कर सकेंगे। 

संपत्ति का वैधानिक रिकॉर्ड जरूरी होता है। स्वामित्व कार्ड से लोगों को उनकी जमीन पर कानूनी अधिकार मिलेगा। जो संपत्तियां चकबंदी से बाहर हैं या सीलिंग में आ गई हैं, उन्हें नियमित किया गया है। 

योजना का अहम मकसद
- ग्रामीणों के नागरिक अधिकारों की रक्षा, भूमि विवादों को रोकना
- सार्वजनिक भूमि की पहचान करना, अतिक्रमण रोकना
- जमीन के नक्शे का सटीक विवरण तैयार करना

जरूरत क्यों थी?
- ज्यादातर राज्य ऐसे थे, जहां भूमि सर्वे दशकों पहले हुआ था। 
- रिकॉर्ड से ज्यादा लोग जोत रहे थे, अवैध कब्जा था।
- आधिकारिक रिकॉर्ड ही सपंत्तियों का नहीं था, जिसके चलते लोगों के पास जमीन का मालिकाना हक नहीं था। 
- ऐसी जमीनों पर कब्जा तो रहता है लेकिन इसके आधार पर न कर्ज मिलता था, न कानूनी फायदा।
- ऐसी जमीनों की खरीद बिक्री भी नहीं हो सकती थी, अब स्वामित्व कार्ड मिलने से लोगों के पास यह अधिकार आएगा। 

कितने गांवों में स्वामित्व कार्ड देने का लक्ष्य है?
-आंध्र प्रदेश, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान, यूपी, उत्तारखंड जैसे राज्यों के 50,000 गावों में पहले चरण के तहत स्वामित्व कार्ड देना।
-  भारत के करीब 6.62 लाख गावों का पूर्ण कवरेज

कैसे हुआ था लैंड सर्वे?
कंटीन्यूएसली ऑपरेटिंग रिफरेंस स्टेशन (CORS) नेटवर्क के जरिए क्षेत्रीय स्तर पर जमीनों का खाका तैयार किया गया। इनका सटीक मैप तैयार किया गया। जमीन की असली स्थिति सामने आई। कौन सी जमीन, किस प्रकार की है, इसकी सरकार ने जानकारी हासिल की। मैन्युअली इसे अंजाम देना पाना मुश्किल था। 


ड्रोन से ही क्यों हुआ सर्वे?
- नीति आयोग, पंचायती राज मंत्रालय, भारतीय सर्वेक्षण विभाग की इस परियोजना पर नजर रही। नेशनल स्टीयरिंग कमेटी की इस पर नजर रही।
- भारतीय सर्वेक्षण विभाग, NIC, राज्य, जमीनों का रिकॉर्ड, स्टेट स्टेयरिंग कमेटी ने की। 
- काम की प्रगति, वर्क रिव्यू पर नजर डिस्ट्रिक्ट स्तरीय मॉनिटरिंग कमेटी की रही। 

गांवों को लाभ क्या मिलेगा?
महात्मा गांधी ग्रामीण स्वराज्य की बात करते थे। यह योजना, उसी नीति का विस्तार कही जा सकती है। खेतिहर जमीनों और आवासीय जमीनों की मैपिंग से जमीन विवाद कम होंगे, स्वामित्व का अधिकार तय होगा, यह पता चलेगा कि किसके पास कितनी अनाधिकृत जमीन है। संपत्तियां तय होने से राजस्व का लाभ भी मिलेगा। 


सरकार के पास सटीक डेटाबेस होगा
संपत्तियों का रिकॉर्ड सरकार नियमित करना चाहती थी। ड्रोन के इस्तेमाल से मैप के जरिए सरकार के पास हर रिकॉर्ड होगा। जमीनों का बेहतर प्रबंधन किया जा सकेगा। गावों की यथास्थिति से सरकार परिचित होगी और अविकसित गांवों को प्राथमिकता के आधार पर विकास किया जा सकेगा। 

क्यों खुश हैं लोग?
जिन लोगों को संपत्ति कार्ड मिलता है, उनके भू मालिक होने की औपचारिक पु्ष्टि हो जाती है। बहुत से लोग जो आबादी इलाकों में रह रहे थे, उनके पास अपनी संपत्ति के ही दस्तावेज नहीं थे। अब उन्हें असली दस्तावेज मिले हैं। बैंक, मालिकाना हक वाली संपत्तियों पर ही कर्ज देते हैं, कर्ज लेकर ये लोग कुछ व्यापार शुरू कर सकते हैं। 

इस योजना पर क्या सोचते हैं प्रधानमंत्री?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने योजना की शुरुआत में कहा था, 'देश ने ठान लिया है कि गांव और गरीब को आत्मनिर्भर बनाना है। भारत के सामर्थ्य की पहचान बनाना है। संकल्प की सिद्धि के लिए स्वामित्व योजना की बड़ी भूमिका है।'

डिजिलॉकर पर भी उपलब्ध होंगे दस्तावेज 
जमीनों के दस्तावेज डिजीलॉकर ऐप पर भी रखा जा सकता है। इसके लिए आधार कार्ड से वेरिफिकेशन कराना होगा। यहां जाकर आप की संपत्ति कार्ड भी नजर आ  सकेगी। आप ऑनलाइन भी अपनी जमीन का सत्यापन कर सकते हैं। आधार वेरिफाइड साइन अप का आंकड़ा, नाम, आधार, जन्मतिथि, पिता का नाम, फोन, संपत्ति की आईडी हर विवरण आप यहां देख सकेंगे। 

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