तीस्ता प्रोजेक्ट पर यूनुस की क्या है स्ट्रैटजी? चीन को भेजा बुलावा
तीस्ता नदी प्रोजेक्ट भारत और बांग्लादेश के बीच काफी समय से एक प्रमुख मुद्दा रहा है। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के समय से ही इसे सुलझाने की कोशिशें होती रही हैं।

मुहम्मद यूनुस। Photo Credit (@ChiefAdviserGoB)
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस पिछले दिनों अपने (26-29 मार्च) चार दिवसीय यात्रा पर चीन की राजधानी बीजिंग गए थे। अपने चीन दौरे के बाद मुहम्मद यूनुस इस कदर आत्मविश्वास में आए कि उन्होंने अपने शक्तिशाली पड़ोसी देश भारत विरोधी बयान दे दिया। बयान भी ऐसा दिया जो भारत की एकता पर चोट पहुंचाए। यूनुस ने जैसे ही बयान दिया उसकी भारत सहित पूरी दुनिया में चर्चा होने लगी। भारत ने भी बांग्लादेश के पीएम यूनुस के बयान को लेकर कड़ा विरोध जताया।
दरअसल, भारत विरोधी बांग्लादेश की वर्तमान सरकार चीन के साथ नजदीकियां लगातार बढ़ा रही है। चीन के साथ मिलकर बांग्लादेश की कट्टरपंथी अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस भारत को समुद्र के रास्ते घेरने की योजना बना रहे हैं। भारत को घेरने के लिए यूनुस ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को बांग्लादेश की यात्रा पर आने का न्यौता दे डाला है।
मुहम्मद यूनुस ने क्या कहा है?
मुहम्मद यूनुस अपने चार दिवसीय यात्रा पर बीजिंग यात्रा के दौरान भारत के बारे में बयान दिया। उन्होंने चीन को बांग्लादेश आने का निमंत्रण दिया। मुहम्मद यूनुस ने जिनपिंग के सामने कहा कि भारत के पूर्वोत्तर राज्य- (अरुणाचल प्रदेश, असम, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड, त्रिपुरा) चारों तरफ से जमीन से घिरे हुए हैं और कहा कि इन सातों राज्यों की समुद्र तक सीधी पहुंच नहीं है।
इस ओर इशारा करते हुए बांग्लादेश ने चीन को सुझाव दिया कि इस क्षेत्र में बांग्लादेश समुद्र का इकलौता संरक्षक है, इस नाते चीन यहां आकर ढाका की मदद से अपना आर्थिक विस्तार कर सकता है। यूनुस का यह बयान इस ओर साफ तौर से इशारा कर रहा है कि बांग्लादेश चीन के साथ मिलकर रणनीतिक रूप से भारत को घेरने की प्लानिंग कर रहा है।
तीस्ता नदी को लेकर चीन से मदद मांगी
इसी बीच यूनुस ने तीस्ता नदी को लेकर भी बड़ा बयान दिया। उन्होंने चीन से तीस्ता नदी के जल प्रबंधन में दीर्घकालिक मदद मांगी है। यूनुस ने चीन से तीस्ता नदी को लेकर तब मदद मांगी है जब भारत पहले से ही इस नदी के लिए बांग्लादेश के साथ मिलकर काम कर रहा है। तीस्ता नदी भारत के पश्चिम बंगाल से होते हुए बांग्लादेश में जाती है, इसलिए इसके पानी पर दोनों पड़ोसी देश पहले इसपर काम कर रहे थे।
मुहम्मद यूनुस ने चीन में कहा, 'हम यहां (चीन) आपसे सीखने आए हैं कि हम जल संसाधनों को लोगों के लिए कैसे उपयोगी बना सकते हैं।' ऐसे में आइए जानते हैं कि तीस्ता नदी क्या है और भारत-बांग्लादेश के बीच चल रहा 'तीस्ता प्रोजेक्ट' का इतिहास क्या है?
तीस्ता दोनों देशों के बीच प्रमुख मुद्दा
तीस्ता नदी प्रोजेक्ट भारत और बांग्लादेश के बीच काफी समय से एक प्रमुख मुद्दा रहा है। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के समय से ही इसे सुलझाने की कोशिशें होती रही हैं लेकिन बीते अगस्त 2024 में शेख हसीना की सरकार के सत्ता से बेदखल होने के बाद से ही दोनों देशों के बीच तल्खी देखने को मिली है। इस बीच चीन और पाकिस्तान ने बांग्लादेश के साथ करीबी बढ़ाने की कोशिशें तेज की हैं।
50 साल का सहायता पैकेज देने का आग्रह
मुहम्मद यूनुस ने चीन से तीस्ता जल प्रबंधन में 50 साल का सहायता पैकेज देने का आग्रह किया है। यूनुस ने कहा कि चीन जल प्रबंधन का मास्टर है और बांग्लादेश चीनी विशेषज्ञता से सीखने में रुचि रखता है। इस चर्चा का मुख्य विषय तीस्ता नदी थी, जिसे बांग्लादेश भारत के साथ साझा करता है। शेख हसीना की सरकार ने पहले इसके लिए भारत से सहयोग मांगा था लेकिन यूनुस ने चीन पर निर्भरता दिखाई है। ये सीधे तौर पर क्षेत्र में भारत की चिंता बढ़ाने वाले कदम हैं।
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उस समय ये बात भी रिपोर्ट्स के जरिए जामने आई थीं कि शेख हसीना ने तीस्ता के लिए चीन से आर्थिक मदद मांगी थी लेकिन चीन की ओर से हसीना के मन मुताबिक वित्तीय मदद का आश्वासन नहीं मिला, जिससे वह नाखुश थीं।
चीन से कर्ज देने का अनुरोध
जब हसीना जून 2024 में चीन गई थीं तो उन्होंने इस परियोजना के लिए चीन से कर्ज देने का अनुरोध किया था, हालांकि मई 2024 में ही भारतीय विदेश सचिव के ढाका दौरे के दौरान बांग्लादेश के पूर्व विदेश मंत्री हसन महमूद ने कहा था कि भारत इस परियोनजा में आर्थिक सहायता देना चाहता है। लेकिन इन सबके बीच एक अरब डॉलर की तीस्ता नदी विकास परियोजना से भारत की सुरक्षा चिंताएं जुड़ी हुई हैं और यह परियोजना चीन के पास जाती है तो ये भारत के लिए बड़े झटके की तरह होगा।
ऐसे में बांग्लादेश, चीन और पाकिस्तान के बीच संबंधों को लेकर भारत की चिंताएं बढ़ गई हैं।
क्या है तीस्ता परियोजना?
तीस्ता नदी 414 किलोमीटर लंबी नदी है। यह नदी भारत से होते हुए बांग्लादेश से होकर बहती है। तीस्ता परियोजना, भारत और बांग्लादेश के बीच तीस्ता नदी के जल प्रबंधन और उपयोग से संबंधित एक बहु-आयामी परियोजना है।
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काफी पहले बांग्लादेश में तीस्ता पर एक बैराज स्थापित करने और जमीन के कटाव को रोकने का एक मास्टर प्लान बनाया गया था। एक अरब डॉलर की तीस्ता नदी विकास परियोजना से भारत की सुरक्षा चिंताएं जुड़ी हुई हैं। यह दोनों देशों के बीच सालों से लंबित जल बंटवारे से भी जुड़ा मुद्दा है।
इस परियोजना के तहत बाढ़ पर लगाम लगाना, जमीन के कटाव को रोकना जैसे काम किए जाने हैं। इस परियोजना के तहत बांग्लादेश वाले हिस्से में एक बैराज का निर्माण किया जाना है। कई जगहों पर तीस्ता की चौड़ाई काफी अधिक है, उसे कम किया जाना है। कुछ जगहों पर नदी की गहराई भी बढ़ाई जानी है और तटबंधों को मजबूत किया जा सके। इस परियोजना के जरिए तटीय इलाकों में रहने वाले लोगों की मुश्किलें भी कम हो जाएंगी।
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