चंडीगढ़ पूरे देश में तीनों क्रिमिनल कानूनों को लागू करने वाला पहला प्रशासनिक यूनिट बन गया है। मंगलवार को इस मौके पर पीएम मोदी ने बोलते हुए कहा कि यह तीनों कानून लोगों के अधिकारों की रक्षा करने वाले हैं। तीनों नए कानूनों की समीक्षा के मौके पर चंडीगढ़ में पीएम मोदी ने कहा कि देश की आजादी के बाद लोगों ने सोचा कि अंग्रेज चले गए और उन्हें अंग्रेजों के बनाए कानूनों से भी निजात मिल जाएगी, लेकिन यह देश का दुर्भाग्य था कि आजादी के दशकों बाद भी हमारे कानून उसी दंड संहिता के इर्द-गिर्द घूमते हैं जिसका उद्देश्य देशवासियों को गुलाम बना के रखना था।
अब नए कानून से गुलाम क्रिमिनल सिस्टम से छुटकारा मिल गया है. उन्होंने कहा कि अब तारीख पर तारीख का खेल खत्म हो गया है। नए कानूनों से आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई मजबूत होगी। भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में आने वाली कानूनी अड़चन दूर होगी।
हर कार्रवाई होगी टाइम बाउंड
पीएम मोदी ने यह भी कहा कि कानून लोगों के अधिकारों की सुरक्षा कर रहे हैं। पहले एफआईआर दर्ज करवाना मुश्किल था लेकिन अब जीरो एफआईआर को कानूनी रूप दिया गया है।
साथ उन्होंने कहा कि यदि आरोपी के ऊपर से केस हटाना होगा तो पीड़ित की सहमति जरूरी होगी। पुलिस किसी को भी जबरदस्ती हिरासत में नहीं ले पाएगी, उसके परिजनों को सूचित करना होगा। साथ ही आरोपियों को लंबे समय तक जेल में नहीं रखा जा सकेगा। हर कार्रवाई को टाइम बाउंड किया गया है।
सुधार हुए पर मूल चरित्र नहीं बदला
उन्होंने कहा कि समय-समय पर छोटे-मोटे सुधार हुए हैं लेकिन उनके मूल चरित्र में कोई बदलाव नहीं हुआ है। पीएम मोदी ने कहा कि आजादी मिलने के बावजूद, औपनेवेशिक काल के कानून में बदलाव करने के लिए हमने कभी सवाल नहीं पूछा और गुलामी की मानसिकता ने देश के विकास का काफी प्रभावित किया।
लेकिन देश को इसकी गुलामी के अतीत से बाहर निकलकर अपने ताकत को समझना होगा। आज भारतीय न्याय संहिता और भारतीय नागरिक संहिता को लागू करके भारत एक कदम आगे बढ़ गया है।
उन्होंने कहा कि आजादी के 70 सालों तक हमने भारत की न्याय व्यवस्था ने बहुत चुनौतियों का सामना किया है. काफी सोच-विचार के बाद भारतीय न्याय संहिता को बनाया गया है।
क्या हैं तीनों क्रिमिनल कोड
सरकार ने 1 जुलाई से आईपीसी, सीआरपीसी और इंडियन एविडेंस ऐक्ट की जगह पर भारतीय न्याय अधिनियम, भारतीय न्याय अधिनियम और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को लागू किया था. इसके जरिए महिलाओं से जुड़े कई कानूनों में बड़े बदलाव गए थे. इससे महिलाओं से जुड़े ज्यादातर अपराधों में पहले से ज्यादा सजा मिलनी थी.
इसके तहत एफआईआर के 90 दिनों के भीतर चार्जशीट दाखिल करनी जरूरी होगी और चार्जशीट दाखिल करने के 60 दिनों के भीतर आरोप दाखिल करने होंगे।