logo

ट्रेंडिंग:

'डाबर के खिलाफ मत देना विज्ञापन', पतंजलि को हाई कोर्ट ने फिर लताड़ा

डाबर इंडिया ने पतंजलि के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की थी। याचिका में मांग की गई थी पतंजलि डाबर के खिलाफ टीवी पर विज्ञापन न चलाए। एक बार फिर पंतजलि ग्रुप को फटकार पड़ी है।

Patanjali

आचार्य बाल कृष्ण और स्वामी रामदेव। (Photo Credit: Patanjali)

दिल्ली हाई कोर्ट ने पतंजलि को डाबर के खिलाफ टीवी पर विज्ञापन चलाने से रोक दिया है। योग गुरु रामदेव के स्वामित्व वाली कंपनी पतंजलि आयुर्वेद पर डाबर च्यवनप्राश के खिलाफ टीवी पर विज्ञापन देने के आरोप लगाए गए थे। हाई कोर्ट ने इस विज्ञापन का प्रसारण रोक दिया है। अब पतंजलि टीवी पर च्यवनप्राश के खिलाफ कोई ऐड नहीं दे सकेगी।  

जस्टिस मिनी पुष्करणा की अगुवाई वाली बेंच ने डाबर की याचिका मंजूर की। अब डाबर के खिलाफ पतंजलि टीवी या अखबारों में विज्ञापन नहीं दे सकेगा। अब इस केस की अगली सुनवाई 14 जुलाई को होने वाली है। 

डाबर ने ऐसे विज्ञापनों को आपत्तिजनक माना था। डाबर दशकों से च्यवनप्राश बना रहा है। लाइव लॉ की एक रिपोर्ट के मुताबिक डाबर ने अंतरिम राहत के लिए दो याचिकाएं अदालत में दायर की थीं। कोर्ट ने बीते साल दिसंबर में इस पर समन जारी किया था। डाबर ने अपनी दूसरी याचिका में कहा है कि समन के बाद भी पतंजलि ने 6182 विज्ञापन दिए, वह भी एक सप्ताह के भीतर। 

यह भी पढ़ें: 'दोबारा मत बनाना ऐसे ऐड,' शरबत जिहाद पर रामदेव को HC की फटकार

डाबर ने पतंजलि पर ही उठाए सवाल

सीनियर अधिवक्ता संदीप सेठी डाबर की तरफ से पेश हुए थे। उन्होंने दलील दी थी कि पतंजलि ने अपने विज्ञापन में झूठा दावा किया है कि च्यवनप्राश में 51 जड़ी-बूटियां मिलाई गई हैं। सच्चाई यह है कि सिर्फ 47 जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया गया है। पंतजलि के उत्पाद में मरकरी का इस्तेमाल हुआ है, जिसे खाना बच्चों की सेहत के लिए ठीक नहीं है। 

डाबर ने अपने पक्ष में क्या कहा है?

डाबर ने कहा है कि हमारे च्यवनप्राश में 40 जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया गया है। आर्युवैदिन मानकों का पालन किया गया है। डाबर की क्षमताओं पर सवाल उठाए गए हैं। यह आपत्तिजनक है।

सीनियर अधिवक्ता जयंत मेहता पतंजलि की ओर से पेश हुए हैं। उन्होंने कहा है कि च्यवनप्राश में इस्तेमाल की जाने वाली जड़ी बूटियां सही हैं, उनमें कोई खामी नहीं है। 


यह भी पढ़ें: 'शरबत जिहाद' के बाद अब 'धर्म बर्बादी', रामदेव के ऐड से फिर भड़का विवाद

कब से चल रहा है दोनों कंपनियों में विवाद?

24 दिसंबर 2024 को यह मामला दिल्ली हाई कोर्ट में पहुंचा। पतंजलि पर डाबर के खिलाफ भ्रामक विज्ञापन देने के आरोप लगे। डाबर ने ऐसे विज्ञापनों पर रोक लगाने की मांग की थी। डाबर का कहना है कि वे हमें साधारण च्यवनप्राश बता रहे हैं। पतंजलि पर यह भी आरोप है कि वे डाबर के च्यवनप्राश को खराब बता रहे हैं।  

कब-कब माफी मांग चुके हैं बाबा रामदेव

जब पूरी दुनिया कोविड से जूझ रही थी, तब साल 2021 में बाबा रामदेव ने कोरोना से बचाने की दवाई 'कोरोनिल' लॉन्च कर दी थी। उनका दावा था कि यह बीमारी लोगों को कोरोना होने से बचा लेगी। जब उन्होंने लॉन्च किया, इसके कुछ दिन बाद ही तत्काल इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने उनसे सफाई मांग ली। उन्होंने अंग्रेजी डॉक्टरों का मजाक उड़ाया था। 17 अगस्त 2022 को शुरू हुआ था। रामदेव ने एलोपैथी को बेअसर बताते हुए कहा था कि वह कुछ बीमारियों का पक्का इलाज कर सकेत हैं। पतंजलि ने सुप्रीम कोर्ट में साल 2023 में कहा कि वह ऐसे विज्ञापन नहीं प्रसारित करेंगे। उन्हें सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर बार-बार माफी मांगनी पड़ी। 22 अप्रैल को भी स्वामी रामदेव को 'शरबत जिहाद' वाले विज्ञापन पर माफी मांगनी पड़ी। 

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

और पढ़ें

design

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap