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अनाजों और दालों पर कम क्यों खर्च कर रहे भारतीय? जानें

एक रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय खाने पर कम खर्च कर रहे हैं जबकि अन्य चीजों की खरीददारी पर उनके खर्चे बढ़ रहे हैं। इसके कई कारण बताए गए हैं।

representational image : Piexa

प्रतीकात्मक तस्वीर । पिक्साबे

एक रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय अपने खाने-पीने खास कर अनाजों और दालों पर तुलनात्मक रूप से कम खर्च कर रहे हैं जबकि अन्य चीजों पर ज्यादा खर्च कर रहे हैं। भारतीय स्टेट बैंक द्वारा किए गए एक विश्लेषण के मुताबिक भारतीय परिवारों में खर्च करने के पैटर्न में कमी देखी गई है। भारतीयों में खाद्य पदार्थों की तुलना में गैर-खाद्य पदार्थों पर खर्च करने की प्रवृत्ति बढ़ी है। 

 

इसके मुताबिक भारतीयों में दालों और अन्य अनाजों की खपत में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में करीब 5 फीसदी की कमी आई है। रिपोर्ट में कहा गया है, 'ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में 'अनाज और दालों' की खपत में उल्लेखनीय गिरावट (5 प्रतिशत से अधिक) आई है।'

क्या है कारण

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में (खाद्य से गैर-खाद्य वस्तुओं की ओर) खपत में यह बदलाव आर्थिक विकास, सरकारी नीतियों और जीवनशैली में बदलाव के कारण बदलती प्राथमिकताओं को दर्शाता है।

 

रिपोर्ट में खाद्य पदार्थों पर व्यय के हिस्से में पर्याप्त गिरावट को दर्शाया गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में, खाद्य पदार्थों पर खर्च का प्रतिशत 2011-12 में 52.9 प्रतिशत से घटकर 2023-24 में 47.04 प्रतिशत हो गया, जो 5.86 प्रतिशत अंकों की गिरावट को दर्शाता है।

 

शहरी क्षेत्रों में भी गिरावट

शहरी क्षेत्रों में एक छोटी लेकिन महत्वपूर्ण कमी देखी गई, जिसमें हिस्सा 42.62 प्रतिशत से घटकर 39.68 प्रतिशत हो गया, जो 2.94 प्रतिशत अंकों की गिरावट है।

 

इसके विपरीत, लोगों के बजट में गैर-खाद्य वस्तुओं की बढ़ोत्तरी हुई है। ग्रामीण क्षेत्रों में गैर-खाद्य व्यय का हिस्सा 2011-12 में 47.1 प्रतिशत से बढ़कर 2023-24 में 52.96 प्रतिशत हो गया, जो 5.86 प्रतिशत अंकों की वृद्धि दर्शाता है। शहरी क्षेत्रों में भी गैर-खाद्य व्यय में वृद्धि देखी गई, जिसमें हिस्सा 57.38 प्रतिशत से बढ़कर 60.32 प्रतिशत हो गया, जो 2.94 प्रतिशत अंकों की वृद्धि है।

टॉयलेटरीज पर बढ़ा खर्च

दूसरी ओर, स्वच्छ भारत अभियान की सफलता और स्वच्छता के बारे में बढ़ती जागरूकता के कारण टॉयलेटरीज़ पर खर्च बढ़ा है। दिलचस्प बात यह है कि घरेलू खर्च में करों और उपकरों (सेस) की हिस्सेदारी में कमी आई है, संभवतः जीएसटी दरों के बेहतर होने के कारण। इस बीच, कपड़ों और जूतों पर खर्च में भी कमी आई है, यह प्रवृत्ति पहले के टैक्सेशन सिस्टम की तुलना में कम जीएसटी दरों के कारण है।


खाद्य पदार्थों से गैर-खाद्य पदार्थों पर खर्च में बदलाव भारत के बदलते सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य को दर्शाता है। बढ़ती आय, बेहतर जीवन स्तर और स्वच्छता तथा किफायती टैक्सेशन को बढ़ावा देने वाली सरकारी इनीशिएटिव ने विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में खर्चों में आए इस बदले पैटर्न को स्वरूप दिया है।

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