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मणिपुर: जिरीबाम से इंफाल तक 'शटडाउन' क्यों? समझिए पूरी कहानी

मणिपुर के जिरीबाम इलाके में सुरक्षाबल हाई अलर्ट पर हैं। चप्पे-चप्पे पर तलाशी ली जा रही है। लॉकडाउन जैसी स्थिति है, आखिर ऐसे हालात क्यों हैं, समझिए वजह।

Manipur Police

मणिपुर के जिरीबाम में सुरक्षाबलों ने बड़ी संख्या में उग्रवादियों के पास से हथियार बरामद किए हैं। (तस्वीर x.com/manipur_police)

मणिपुर के जिरीबाम जिले में सुरक्षाबल हाई अलर्ट पर हैं। कुछ ऐसे ही हालात चुराचांदपुर जिले में भी हैं। दोनों जिलों में हथियारों और गोला-बारूद का एक बड़ा जखीरा सुरक्षाबलों ने पकड़ा है। जिरीबाम जिले के चंपानगर, नरायणपुर और थांगबोइपुंजरे जैसे इलाकों में सुरक्षाबलों ने रेड डाली, जिसमें सर्च ऑपरेशन के दौरान ये हथियार बरामद हुए।

मणिपुर के इन इलाकों में उग्रवादी, बड़ा प्लान तैयार कर रहे थे। तलाशी के दौरान मोर्टार, 30 से ज्यादा जिंदा कारतूस, 5 खाली बैरल कारतूस बरामद किए गए। कई बड़े हथियार भी पकड़े गए। यह सब तब हो रहा था, जब कुछ दिन पहले जब कुकी समुदाय के 11 उग्रवादी एक मुठभेड़ में ढेर हुए थे। 

इंफाल में क्यों आई बंद की नौबत? 
समाचार एजेंसी PTI के मुताबिक जिरीबाम में उग्रवादियों ने 3 महिलाओं और बच्चों का कथित अपहरण कर लिया है। अपहरण के विरोध में इंफाल घाटी के 5 जिलों में बंद बुलाया गया। इंफाल पूर्व, पश्चिम, थौबल, काकचिंग और बिष्णुपुर में लोग सड़कों पर उतर आए। बंद के दौरान सड़कों पर न तो प्राइवेट गाड़ियां नजर आईं और न ही सरकारी। 

इन इलाकों में लागू है AFSPA कानून
केंद्र सरकार ने बढ़ते तनाव को देखते हुए जिरीबाम समेत 6 अन्य इलाकों में आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट (AFSPA) लागू कर दिया है। अब इसे अशांत क्षेत्र के तौर पर चिह्नित कर दिया गया है। मैतेई और कुकी समुदायों के बीच भड़की हिंसा के बाद इसकी अधिसूचना केंद्र सरकार ने जारी की है। केंद्रीय गृहमंत्रालय ने कहा है कि वहां की जातीय हिंसा की वजह से इस नियम को लागू करना पड़ा है। इंफाल पश्चिम जिले में सेकमाई और लामसांग, इंफाल पूर्व जिले में लामलाई, जिरीबाम जिले में जिरीबाम, कांगपोकपी में लेइमाखोंग और बिष्णुपुर में मोइरांग अब AFSPA के प्रभाव में हैं। यह कानून, सुरक्षाबलों को अशांत क्षेत्र में रेड और सर्च ऑपरेशन से जुड़े कुछ विशेष अधिकार देता है। 



सरकारी कार्यालयों में भी लोग आने से बचने लगे। बंद की अपील इंटरनेशनल पीस एंड सोशल एडवांसमेंट (IPSA), ऑल क्लब्स ऑर्गनाइजेशन एसोसिएशन और मीरा पैबी लूप, इंडिजिनियस पीपुल्स एसोसिएशन ऑफ कांगलीपाक (IPAK) और कांगलीपाक स्टूडेंट्स एसोसिएशन (KSA) ने किया था। यह बंद शांतिपूर्ण रहा और कहीं भी हिंसा नहीं हुई।

जिरीबाम में उग्रवादियों ने मचाया है आतंक
हालात इंफाल में नियंत्रण में हैं लेकिन जिरीबाम में नहीं। जिरीबाम के पास ही नगा बहुल तामेंगलोंग जिले में ओल्ड कैफुंडई के पास हथियारबंद उग्रवादियों ने दो ट्रकों में आग लगा दी। पुलिस का कहना है कि उग्रवादी पहाड़ियों के पास नेशनल हाइवे 37 पर कई राउंड फायरिंग कर रहे थे। ट्रक को रोककर उन्होंने ट्रकों में भी आग लगा दी। रोंगमेई नगा छात्र संगठन, मणिपुर का कहना है कि कुकी उग्रवादी ऐसी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। इन ट्रकों में नोनी और तामेंगलोंग इलाके के लिए प्याज और आलू भरा था।



मुठभेड़ पर सुलगा है जिरीबाम
मणिपुर पुलिस के मुताबिक सोमवार को सुरक्षाबलों और उग्रवादियों के बीच एक मुठभेड़ हुई थी। मुठभेड़ में 10 संदिग्ध उग्रवादी मारे गए थे। उग्रवादी सुरक्षाबलों की वर्दी पहनकर आए थे। उग्रवादी हथियारबंद थे। उन्होंने जाकुरधोर में बोरोब्रेका पुलिस स्टेशन और सीआरपीएफ कैंप पर जाकर अंधाधुंध गोलीबारी करनी शुरू कर दी। 

लापता कौन हैं?
पुलिस, लापता 6 लोगों की तलाश में जुटी है। उनकी तस्वीरें भी साफ नहीं हैं और पुलिस उन्हें बचाने के लिए स्थानीय स्तर पर अभियान भी चला रही है। जमीन से लेकर सोशल मीडिया तक, उन्हें लेकर हंगामा बरपा है। लोगों का कहना है कि सरकार को इस जातीय संघर्ष को रोकने के लिए तत्काल हस्पक्षेप करना चाहिए, नहीं तो देर हो जाएगी। राज्य कांग्रेस ने भी कहा है कि मैतेई और कुकी समुदाय के बीच जारी इस जंग को अब तत्काल रोक देने की जरूरत है। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह ने कहा है कि राज्य में हालात खराब हैं। मानवीय आधार पर बंदी महिलाओं और बच्चों को छुड़ाना, सबसे जरूरी और सही फैसला होगा। राज्य सरकार, उन्हें बचाने में फेल हो रही है।



पूर्व मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह ने उठाए सवाल
पूर्व मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह ने कहा, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह अभी भी चुप क्यों हैं? 6 निर्दोष महिला-बच्चों का अपहरण किया गया है। यह अलग राज्यों और देशों के बीच जंग नहीं है। एक ही राज्य के भीतर समुदायों का टकराव है। केंद्र और राज्य को इसका समाधान पहले ही निकाल लेना चाहिए था।' उन्होंने कहा, 'लोकतंत्र में हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है और इस मुद्दे को सुलझाने के लिए बातचीत शुरू की जानी चाहिए। हमने पहले भी इस बात पर जोर दिया है कि यहां सीज फायर होना चाहिए। दोनों समुदायों के बीच बैठक करानी चाहिए। हिंसा खत्म करने में केंद्र की बड़ी भूमिका हो सकती है।'

आखिर क्यों मणिपुर में चल रहा है जातीय संघर्ष?
मणिपुर मई 2023 से ही हिंसा की जद में है। मैतेई और कुकी समुदाय के बीच जातीय संघर्ष अपने चरम पर है। मैतेई मैदानी इलाकों में हैं और कुकी, पहाड़ी इलाकों में पैठ बना चुके हैं। इस जातीय संघर्ष में 200 से ज्यादा लोग मारे गए हैं, वहीं हजारों लोग बेघर हो चुके हैं। जिरीबाम में दोनों समुदायों की आबादी एक जैसी है। इंफाल घाटी और आसपास की पहाड़ियों में भड़के दंगों का असर यहां नहीं हुआ था। जून 2024 में जब एक खेत में एक किसान की क्षत-विक्षत लाश ग्रामीणों ने देखी फिर हिंसा भड़की। उसके बाद हालात अब तक सामान्य नहीं हो पाए हैं। मैतेई समुदाय भी अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा चाहता है। मैतेई समुदाय के लोगों का कहना है कि वे मणिपुर के मूल निवासी हैं और राज्य की आबादी का करीब 53 फीसदी हिस्सा हैं। उन्हें जनजाति का दर्जा मिलना चाहिए। कुकी इसके विरोध में हैं, वे इसे सिर्फ अपने लिए आरक्षित चाहते हैं। दोनों समुदायों के बीच संघर्ष की एक बड़ी वजह यह भी है।  

 

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