logo

ट्रेंडिंग:

BJP के लिए क्यों इतने अहम होते हैं निकाय चुनाव? समझिए वजह

यूपी के सुदूर किसी जिले में नगर निगम चुनाव हों या दिल्ली, मुंबई, चंडीगढ़ और हरियाणा के हाइटेक शहरों के, भारतीय जनता पार्टी निकाय चुनाव में जी-जान से जुड़ जाती है। आखिर BJP ऐसा क्यों करती है, समझिए विस्तार से।

BJP

भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता। (Photo Credit: PTI)

भारतीय जनता पार्टी (BJP) को छत्तीसगढ़ के निकाय चुनावों में प्रचंड बहुमत से जीत मिली है। राज्य के कुल 10 निगम, 49 नगर पालिका और 113 नगर पंचायतों पंचायतों के चुनाव हुए थे। 11 फरवरी को हुए इस चुनाव में बीजेपी ने शानदार जीत हासिल की है। 

नगर निगम में की 10 सीटों पर बीजेपी की जीत हुई, नगर पालिका की 49 नगर पालिका की सीटों में 35 सीटों पर और 81 नगर पंचायत में बीजेपी की जीत हुई। कांग्रेस नगर निगम में एक भी सीट हासिल नहीं कर पाईष नगर पालिका में 8 सीटें और नगर पंचायत में 22। 

भारतीय जनता पार्टी ने संगठन स्तर पर इस चुनाव के लिए खूब मेहनत की। सीएम विष्णु देव साय से लेकर बूथ स्तर तक के कार्यकर्ता तक इस चुनाव में जी-जान से जुटे थे। बीजेपी ने जनवरी में ही स्थानीय संगठन स्तर पर कई बदलाव किए थे। धारमलाल कौशिक, नारायण चंदेल, विक्रम उसेंडी और शिवरतन शर्मा जैसे नेताओं को बीजेपी ने जमीन पर उतार दिया था।   
2014 से BJP ने बदली रणनीति
भारतीय जनता पार्टी हर चुनाव में इसी तरह की रणनीति अख्तियार करती है। साल 2014 के बाद से निकाय चुनावों के लिए बीजेपी ने पूरा दमखम लगा दिया था। हैदराबाद के निकाय चुनाव हों या दिल्ली के, बीजेपी अपने केंद्रीय नेतृत्व को निकाय चुनावों में उतार देती है। अब दिल्ली और हरियाणा के निकाय चुनावों पर बीजेपी का फोकस है। 

यह भी पढ़ें: सुबह-सुबह दिल्ली-NCR में भूकंप के तेज झटके, 4.0 तीव्रता का भूकंप

अब किन राज्यों पर है BJP का जोर?
हरियाणा में नगर निगम चुनाव होने वाले हैं। 9 निगम, 7 नगर परिषद और 24 नगर पालिका में चुनाव होने वाले हैं। चुनाव के लिए अधिसूचना 5 फरवरी को जारी हुई थी। 18 फरवरी तक स्क्रूटनी की जाएगी। नामांकन वापसी की तारीख 19 फरवरी है। वोटिंग 2 मार्च को है, वहीं चुनाव के नतीजे 12 को घोषित किए जाएंगे। 

बीजेपी ने गुरुग्राम, सिरसा, कुरुक्षेत्र, अंबाला, भिवानी, फतेहाबाद, जींद, कैथल, करनाल, पलवल, सोनीपत और यमुना नगर जैसे शहरों में दिग्गज नेताओं को उतार दिया है। प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली से लेकर सीएम नायब सैनी तक की नजर इन चुनावों पर है। दूसरी तरफ दिल्ली में भी बीजेपी ट्रिपल इंजन की सरकार बनाने की कवायद में जुटी है।

दिल्ली में बीजेपी का निशाना अब एमसीडी में मेयर पद पर है। विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने शानदार जीत हासिल की है। अब दिल्ली में बीजेपी की कोशिश है कि एमसीडी में भी सरकार बनाई जाए। आम आदमी पार्टी के 3 पार्षद बीजेपी में शामिल हो गए हैं। MCD में मेयर की संख्या कुल 250 है।

साल 2022 के चुनाव में AAP के 134 पार्षद चुने गए थे, वहीं बीजेपी के पास 104 पार्षद थे। अब बीजेपी के पास कुल पार्षदों की संख्या दलबदल के बाद 120 हो गई है। AAP के 3 पार्षदों ने और पाला बदल दिया है। अब सवाल यह है कि आखिर बीजेपी ऐसा क्यों करती है?

क्यों निकाय चुनावों पर इतना जोर देती है BJP?
भारतीय जनता पार्टी के कुछ स्थानीय कार्यकर्ताओं से खबरगांव ने बात की। सुमित कुमार दिल्ली के रहने वाले हैं और बीजेपी के कार्यकर्ता हैं। उनसे जब सवाल किया गया कि आखिर निकाय चुनावों में बीजेपी जी-जान क्यों झोंक देती है?

उन्होंने कहा, 'स्थानीय स्तर पर कार्यकर्ताओं में मजबूत संदेश जाता है। अगर निकाय चुनाव में किसी पार्टी का दबदबा रहता है तो छोटे-बड़े काम स्थानीय नेता आसानी से करा ले जाते हैं। एक उत्साह रहता है कि प्रतिनिधित्व अपना है तो पार्टी की छवि भी अच्छी बनती है। दिल्ली एमसीडी में बीजेपी ही काबिज थी लेकिन 2022 में नतीजे हमारे पक्ष में नहीं आए। अब एक बार फिर AAP से लोगों का मोहभंग हुआ है।'

यह भी पढ़ें: 'सिर में घुसी कील, ग्रिल पर लटके लोग' कैसा था वो भगदड़ का मंजर?

राजनीतिक विश्लेषक जयंती पांडेय बताते हैं कि बीजेपी के लिए लोकसभा चुनाव हों विधानसभा चुनाव हों या निकाय चुनाव, कार्यकर्ताओं के लिए हर चुनाव अहम होता है। जमीनी स्तर पर जब अपने प्रतिनिधि होते हैं तो बूथ स्तर पर पार्टी मजबूत होती है। अगर निकाय चुनाव में पार्टी हारती है तो विधानसभा और लोकसभा चुनाव में मुश्किलें बढ़ती हैं।

अमित शाह, नरेंद्र मोदी और अमित शाह। (फोटो क्रेडिट-PTI)

जयंती पांडेय बताते हैं, 'स्थानीय स्तर पर संगठन मजबूत करना संघ की कार्य प्रणाली रही है। संघ के मार्गदर्शन में बीजेपी काम करती है। जब निकाय स्तर पर भी अपनी पार्टी के प्रतिनिधि होते हैं तो केंद्र और राज्य की योजनाओं को लागू कराना और आसान हो जाता है। क्षेत्रीय पार्टियों का आमतौर पर निकाय चुनावों में दबदबा होता है लेकिन बीजेपी की कोशिश यही रहती है कि वहां स्थानीय पार्टियों का असर कम हो। निकाय चुनावों में समाजवादी पार्टी, बसपा, AAP, RJD, TMC, AIMIM और इनेलो जैसी पार्टियां भी दमदारी से लड़ती हैं। बीजेपी का संदेश साफ होता है कि कैसे इन पार्टियों का स्थानीय स्तर पर मनोबल कम किया जा सके।'

सामाजिक कार्यकर्ता अष्टभुजा उपाध्याय बताते हैं, 'निकाय चुनावों के नतीजों से यह इशारा मिल जाता है कि जनता किस ओर जा रही है। अगर निकाय चुनावों में पार्टी का प्रदर्शन ठीक नहीं होता तो शीर्ष नेतृत्व मंथन करता है, जिसके बाद कमियों पर चर्चा होती है। बीजेपी अक्सर दिग्गज नेताओं, सांसदों, विधायकों और कार्यकर्ताओं की पूरी फौज निकाय चुनावों में उतारती है। रैलियां, जनसंपर्क अभियान और सोशल मीडिया कैंपेन भी पार्टी की ओर से युद्धस्तर पर चलाया जाता है। विपक्षी दल इसकी आलोचना करते हैं, लेकिन बीजेपी इसे अपनी ताकत मानती है।'

 

Related Topic:#BJP

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

और पढ़ें

design

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap